वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी द्वारा खेली गई टॉप- 5 यादगार पारियां
वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में दुनिया के सबसे बड़े फिनिशर माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने भाररत के लिए इस फॉर्मेट में कई यादगार पारियां खेली। करियर के शुरूआती मुकाबलों में उन्होंने टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी की। लेकिन खुद कप्तानी संभालने के बाद उन्होंने निचले क्रम में बल्लेबाजी शुरू की और अंत तक उस ही रोल में रहे। धोनी ने जिस भी पोजिशन पर बल्लेबाजी की, वहां अच्छा प्रदर्शन कर टीम को कई जीत दिलाई। आज हम एक नजर डालेंगे धोनी द्वारा वनडे में खेली गई पांच सबसे बेहतरीन पारियों पर।
183* बनाम श्रीलंका, सवाई मान सिंह स्टेडियम
साल 2005 में श्रीलंका की टीम भारत दौरे पर आई। उस दौर पर 7 वनडे मैचों की सीरीज के दौरान सीरिज के तीसरे मैच में धोनी ने धमाकेदार पारी खेली। 31 अक्टूबर को हुए उस मैच में भारतीय टीम श्रीलंका के दिये गए 298 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी और मैच में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आये धोनी ने 145 गेंदों में 183 रनों की नाबाद पारी खेली। इस दौरान धोने ने 15 चौके तथा 10 छक्के लगाने का कारनामा किया। धोनी ने यह पारी चामिंडा वास, फरवीज महरूफ तथा महान मुथैया मुरलीधरन जैसे गेंदबाजों के सामने खेली थी। भारत ने उस सीरीज को 6-1 से अपने नाम किया और धोनी ने उस सीरीज में कुल 346 रन बनाए ।
72* बनाम पाकिस्तान, गदाफी स्टेडियम
साल 2006 में पाकिस्तान दौरे पर गयी भारतीय टीम पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट सीरीज हारने के बाद 5 वनडे मैचों की सीरीज खेलने उतरी। पहले मैच को पाकिस्तान ने अपने नाम किया तो वहीं दूसरें को भारतीय टीम ने। सीरीज बराबरी पर चल रही थी।
तीसरे मैच में भारतीय टीम पाकिस्तान के दिये गए 289 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी। 35 ओवरों के बाद भारतीय टीम के 5 विकेट 190 के स्कोर पर गिर गए। बचे हुए 90 गेंदों में भारत को 100 रनों की जरूरत थी ऐसे में धोनी पाकिस्तानी गेंदबाजों पर जम के बरसे और गदाफी स्टेडियम के कोने कोने में गेंदें भेजी। उन्होंने 46 गेंदों में 72 रनों की तेज तर्रार पारी खेली और 14 गेंद पहले ही भारत ने 5 विकेट रहते जीत हासिल की। धोनी की इस पारी की सराहना पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी की।
धोनी ने सीरीज के पांचवे मुकाबले में भी 56 गेंदों में 77 रनों की पारी खेली और सीरीज में कुल 219 रन बनाए।
91* बनाम श्रीलंका, वानखेड़े स्टेडियम
2 अप्रैल साल 2011 को भारत और श्रीलंका की टीम वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला खेलने उतरी। श्रीलंका के दिये गए 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के 2 धुरंधर सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग 31 के स्कोर पर पवेलियन लौट चुके थे। फिर विराट कोहली के रूप में एक औए झटका लगा और तब टीम का स्कोर 114 रन था।
सभी को उम्मीद थी की युवराज सिंह बल्लेबाजी करने आएंगे लेकिन धोनी ने खुद को युवराज से उपर आमंत्रित किया। धोनी ने इसके बाद श्रीलंका के गेंदबाजों को मैच में आने का मौका नहीं दिया और 79 गेंदों में 2 छक्के तथा 8 चौकों की मदद से 91 रनों की एक यादगार पारी खेली जो शायद कोई भी क्रिकेट फैन जिंदगी भर याद रखेंगे। भारत ने इसी जीत के साथ 28 सालों बाद वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम किया।
78* बनाम इंग्लैंड ,लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड
साल 2011 में भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर गई जहां वनडे सीरीज के दौरान भारतीय टीम 0-2 से पीछे चल रही थी। भारतीय टीम के 4 विकेट 26 ओवरों में 110 रन पर गिर गए जिसके बाद क्रिज पर बल्लेबाजी करने आये धोनी और उनके साथी खिलाड़ी सुरेश रैना। दोनों ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की खबर लेनी शुरू की और दोनों के बीच 143 गेंदों में 169 रनों की साझेदारी हुई। उस मैच में धोनी ने जेम्स एंडरसन , स्टुअर्ट ब्रॉड तथा ग्रीम स्वान जैसे गेंदबाजों के सामने लॉर्ड्स की तीखी विकेट पर 71 गेंदों में 78 रनों की पारी खेली। बाद में मैच में बारिश ने बाधा डाली और मैच को रद्द घोषित किया गया।
45* बनाम श्रीलंका, क्वीन्स पार्क ओवल
धोनी ने इस मैच में भले ही अर्धशतक या शतक ना जमाया हो लेकिन यह उनके वनडे करियर की बेजोड़ पारियों में से एक है। साल 2011 में भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच ट्राई-सीरीज का आयोजन हुआ। पहले दो मैच हारने के बाद भारत ने श्रीलंका के सामने फाइनल में अपनी जगह बनाई। श्रीलंका ने भारत को 201 रनों का लक्ष्य दिया जो भारत के लहजे से थोड़ा आसान था। लेकिन भारतीय टीम इस छोटे स्कोर के सामने लड़खड़ा गयी और 47 ओवरों में 9 विकेट पर 182 रन बनाकर हार के कगार पर खड़ी थी।
आखिरी ओवर में टीम को जीतने के लिए 15 रनों की जरूरत थी और गेंदबाजी पर उनके सामने श्रीलंका के तेज गेंदबाज शमिंदा इरांगा मौजूद थे। धोनी ने ड्रेसिंग रूम से नया बैट मंगाया लेकिन पहले बॉल पर एक भी रन नहीं बना पाए। अब भारतीय टीम को 5 गेंदों में 15 रनों की जरूरत थी। धोनी ने इस बार गेंदबाज को नहीं बख्शा और पहले एक छक्का , फिर एक चौका और फिर एक छक्का लगाकर भारतीय टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई। उन्होंने 52 गेंदों में 45 रन बनाए।