35 साल पहले कैसे भारतीय टीम बनी थी विश्वविजेता, जानिए पूरी कहानी

Updated: Mon, Jun 25 2018 14:50 IST
35 साल पहले कैसे भारतीय टीम बनी थी विश्वविजेता, जानिए पूरी कहानी Images (Twitter)

25 जून 1983 भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐसा ऐतिहासिक दिन जो कोई भी भारतीय फैन्स अपने पूरे जीवनकाल तक भूलना नहीं चाहेगा। आज से 35 साल पहले भारतीय क्रिकेट टीम ने 2 बार की वर्ल्ड चैंपियन और तब ख़िताब की प्रबल दावेदार मानी जा रही वेस्टइंडीज को हराकर लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर करोड़ो भारतवासियों को गर्व से झुमने का अहम मौका दिया।

ये जीत किसी सपने से काम नहीं थी क्योंकि उस दौरान भारतीय टीम बहुत ही कमजोर मानी गई थी। भारतीय क्रिकेट की गिनती क्रिकेट के फिसड्डी टीमों में होती थी। 

1983 वर्ल्ड कप में 8 टीमों ने हिस्सा लिया जिसमें भारतीय टीम दूसरी टीमों के मुकाबले बेहद कमजोर टीम थी। इन 8 टीमों को 2 ग्रुप में बाँटा गया जहाँ भारतीय टीम वेस्टइंडीज,ऑस्ट्रेलिया और ज़िम्बाब्वे के साथ दूसरे ग्रुप में थी।  

 

भारत ने अपना पहला मैच 9 जून 1983 को ओल्ड ट्रेफर्ड में वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला और भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 8 विकेट के नुकसान पर वेस्टइंडीज के सामने 262 रनों  का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया। जवाब में वेस्टइंडीज की टीम 228 रन ही बना पायी और भारत ने वो मुकाबला 34 रन से जीता।

अपने दूसरे मुकाबले में भारतीय टीम की भिड़ंत ज़िम्बाब्वे से हुई। उस मैच में ज़िम्बाब्वे भारतीय गेंदबाजी के आगे ढेर हो गयी और भारत को 155 रनों का लक्ष्य दिया जिसे भारत ने 37.3 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया।

तीसरे मैच में भारतीय टीम मजबूत ऑस्ट्रेलिया के साथ भिड़ी थी जहाँ ऑस्ट्रेलिया के 320  रनों के जवाब में भारतीय टीम महज 158 रन ही बना सकी। वेस्टइंडीज के साथ हुए दूसरे मुकाबले में भारतीय टीम वेस्टइंडीज के 282 रनों के जवाब में 216 ही बना सकी और वेस्टइंडीज ने वो मुकाबला 66 रनों से जीता।  

 

1983 वर्ल्ड  कप में ज़िम्बाब्वे के साथ हुए दूसरे मुकाबले में भारतीय कप्तान कपिल देव ने 175 रनों की जबरदस्त पारी खेली जिसके मदद से भारत ने ज़िम्बाब्वे को 31 रनों से हराया।

भारत ने लीग राउंड में अपना आखिरी मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला जहाँ भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 118 रन के बड़े अंतर से हराया।

 1983 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट का पहला सेमीफइनल भारत और इंग्लैंड के बीच 22 जून को ओल्ड ट्रेफर्ड के मैदान पर खेला गया जहाँ इंग्लैंड ने अपने सभी विकेट खोकर भारत के सामने 216 रनों का लक्ष्य रखा और भारतीय टीम ने सूझबूझ से बल्लेबाजी करते हुए लक्ष्य को 4 विकेट के नुकसान पर 54.4 ओवर में हासिल कर लिया। दूसरी ओर वेस्टइंडीज ने दूसरे सेमीफइनल मुकाबले में पाकिस्तान को हराकर लगातार तीसरी बार वर्ल्ड कप फाइनल में अपनी जगह बनाई। 

 

ऐसा था ऐतिहासिक दिन

25 जून को भारत इतिहास रचने से एक कदम दूर था। फाइनल मुकाबले में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर  भारतीय टीम को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया। भारतीय टीम को रनों के लिए संघर्ष करना पड़ा  और पूरी टीम 54.4 ओवर में 183 रनों पर ढेर हो गयी। भारत के तरफ से के.श्रीकांत ने 38, संदीप पाटिल ने 27 और मोहिंदर अमरनाथ  ने 26 रन बनाए।  

छोटे से लक्ष्य का बचाव करते हुए भारतीय गेंदबाजों ने उनके 6 विकेट 76 रन पर ही गिरा दिए और  देखते देखते वेस्टइंडीज की पूरी टीम 140 रन पर ही ढेर हो गयी और मैदान पर जश्न शुरू हो गया। भारतीय टीम ने अपने करोड़ो देशवासियों के लिए एक सुनहरे सपने को हकीकत में बदल दिया। भारत के लिए मोहिंदर अमरनाथ ने 3  और मदन लाल ने भी 3 विकेट चटकाए। मोहिंदर अमरनाथ को उनके यादगार ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए ''मैन ऑफ़ द मैच'' के ख़िताब से नवाजा गया। 

इस ऐतिसासिक मैच में महान कप्तान कपिल देव ने सर विवियन रिचर्ड्स का कैच लपका था जो मैच का टर्निंग मोड़ साबित हुआ। आजभी कपिल देव के द्वारा लपका गया कैच उस मैच का सबसे ऐतिहासिक पल में से एक माना जाता है।

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