विराट कोहली जैसी है हनुमा विहारी की कहानी, 10 साल की उम्र में पिता के निधन के बाद भी खेला था मैच

Updated: Tue, Jan 12 2021 18:04 IST
Indian Cricketer Hanuma Vihari, a story of grit from early days (Indian Cricketer Hanuma Vihari)

हैमस्ट्रिंग चोट के बावजूद सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) पर तीसरे टेस्ट मैच के पांचवें दिन सोमवार को खेली गई जुझारू और मैच ड्रॉ कराने वाली पारी ने हनुमा विहारी (Hanuma Vihari) के टेस्ट करियर पर असर डाला है। चोट के कारण हो सकते हैं कि वह चौथे और अंतिम मैच में न खेलें, लेकिन इस पारी ने उन्हें निश्चित रूप से उन्हें बहुत आत्मविश्वास दिया है।

कप्तान विराट कोहली ने सीरीज शुरू होने से पहले स्टीव स्मिथ के साथ बातचीत में कहा था कि विहारी एक ऐसे खिलाड़ी थे जिसे वह टेस्ट सीरीज के दौरान आगे देखना चाहते थे। कोहली को उनकी और उनके धर्य को पसंद करने का एक कारण हो सकता है।

कोहली जब 18 साल के थे, तो रणजी ट्रॉफी के दौरान उनके पिता का निधन हो गया था। विहारी भी जब 10 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। 2006 में अपने पिता के निधन के बावजूद कोहली रणजी ट्रॉफी में कर्नाटक के खिलाफ खेले थे। विहारी भी अपने पिता के निधन के बावजूद स्कूल फाइनल के मैच में खेले थे।

विहारी के बचपन के कोच जॉन मनोज ने कहा, " वह बहुत धर्यवान है। अपने पिता के निधन के बावजूद वह स्कूल के फाइनल मैच में खेले थे और 80 रन बनाए थे। वह शुरू से ही दृढ़ संकल्पी था। उनकी मां ने दिवंगत पिता के पेंशन के सहारे उन्हें समर्थन किया है।"

विहारी ने 161 गेंदों पर नाबाद 23 रन बनाए, जोकि दोहरे अंकों में पहुंचने का टेस्ट इतिहास का सबसे कम आंकड़ा है।

 

विहारी ने अपने 12 टेस्ट मैचों में अब तक केवल एक ही टेस्ट भारत में खेला है। महत्वपूर्ण बात यह है कि विहारी टीम की जरूरतों के हिसाब से बल्लेबाजी करते हैं।

2018 में पिछली बार आस्ट्रेलिया दौरे पर विहारी पहले दो टेस्ट में विफल रहे थे। इसके बाद उन्हें ओपनिंग करने के लिए भेजा गया और उन्होंने उस समय भी ऐसी ही पारी (सोमवार को तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी) खेली थी।

विहारी संयोग से, ऑस्ट्रेलिया 2012 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली टीम के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जोकि सीनियर भारतीय टीम में हैं। उस टूर्नामेंट में उनका औसत 11.83 का ही था। लेकिन विहारी ने घरेलू क्रिकेट में 56.75 की औसत से रन बनाए हैं।

मनोज ने कहा, " जब वह उस विश्व कप से स्वदेश लौटे थे तो उन्होंने हमेशा अपना ध्यान केंद्रित किया था। उनका लक्ष्य देश के लिए खेलने का था। हमें उन पर भरोसा था और हम उन्हें हमेशा प्रेरित करते थे और आज ये पारी इसका परिणाम है।"
 

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