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उम्र की धोखाधड़ी करने वाले हो जाएं सावधान, BCCI ला रही है ये नया सॉफ्टवेयर

बीसीसीआई ने उम्र को लेकर धोखाधड़ी करने वाले खिलाड़ियों पर नकेल कसने का फैसला किया है और अब इसी कारण एक नया सॉफ्टवेयरल लाया जा रहा है।

Shubham Yadav
By Shubham Yadav July 24, 2022 • 14:17 PM
Cricket Image for उम्र की धोखाधड़ी करने वाले हो जाएं सावधान, बीसीसीसीआई ला रही है ये नया सॉफ्टवेयर
Cricket Image for उम्र की धोखाधड़ी करने वाले हो जाएं सावधान, बीसीसीसीआई ला रही है ये नया सॉफ्टवेयर (Image Source: Google)
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अब तक भारतीय क्रिकेट में खिलाड़ी उम्र की धोखाधड़ी आसानी से कर लेते थे और कई बार तो कोई उन्हें पकड़ भी नहीं पाता था लेकिन कई बार कुछ खिलाड़ियों द्वारा की गई इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश भी हुआ। अब भविष्य में खिलाड़ी ऐसा ना कर पाएं इसीलिए बीसीसीआई ने उम्र की धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए एक सॉफ्टवेयर का उपयोग करने जा रहा है।

इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से ना सिर्फ नतीजे मिलेंगे बल्कि लागत को भी 80 प्रतिशत तक बचाया जा सकेगा। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई मौजूदा समय में उम्र निर्धारित करने के लिए TW3 पद्धति (बाएं हाथ और कलाई के एक्स-रे के आधार पर) का उपयोग करता है। TW3 पद्धति की लागत प्रति परीक्षण 2400 रुपये है और इसमें लगभग 3-4 दिन लगते हैं जबकि बोनएक्सपर्ट सॉफ्टवेयर का प्रस्तावित उपयोग तत्काल परिणाम देगा और लागत केवल 288 रुपये होगी।

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इस पूरी पद्धति के बारे में बीसीसीआई ने एक नोट जारी किया जिसमें लिखा है, "एक्स-रे को स्वतंत्र बीसीसीआई पर्यवेक्षक की उपस्थिति में एक्स-रे केंद्र में राज्य संघों के संबंधित गृह केंद्रों पर लिया जाता है और बीसीसीआई एवीपी विभाग को भेजा जाता है। बीसीसीआई एवीपी विभाग उन्हें एक उचित प्रारूप में जोड़ता है और Bone Age की व्याख्या के लिए इसे बीसीसीआई पैनल में दो (2) स्वतंत्र रेडियोलॉजिस्ट को भेजता है।"

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया, “रिपोर्टिंग में भी समय लगता है क्योंकि हमारे पास 38 एसोसिएशनों की रेटिंग करने वाले लगभग 4 रेडियोलॉजिस्ट हैं और प्रत्येक रेडियोलॉजिस्ट लगभग 8-9 एसोसिएशनों की देखरेख करता है। एक दिन से लेकर तीन-चार दिनों के बीच सलाहकारों से उनके काम के बोझ और खिलाड़ियों की संख्या के आधार पर संघों की रिपोर्टिंग प्राप्त करने में कोई भी समय लग सकता है। पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग दो (2) महीने लगते हैं।"

जाहिर है कि अगर इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग सफल रहा तो खिलाड़ी उम्र की हेराफेरी करने से पहले हज़ार बार सोचेंगे और इसीलिए बीसीसीआई ने प्रयोग पर राज्य संघों के साथ काम करने का फैसला किया है।


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