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वर्ल्ड कप जीत के असली हीरो थे क्लाइव लॉयड

1975  में आईसीसी द्वारा आयोजित पहले वर्ल्ड कप को जीतकर वेस्टइंडीज पहली वर्ल्ड चैंपियन बनी थी । वेस्टइंडीज टीम ने वर्ल्ड कप मैचों में जो वर्चस्व कायम किया था उसका एक ही कारण था वेस्टइंडीज की टीम के कप्तान क्लाइव

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Clive Llyod
Clive Llyod ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Jan 10, 2015 • 12:05 AM

1975  में आईसीसी द्वारा आयोजित पहले वर्ल्ड कप को जीतकर वेस्टइंडीज पहली वर्ल्ड चैंपियन बनी थी । वेस्टइंडीज टीम ने वर्ल्ड कप मैचों में जो वर्चस्व कायम किया था उसका एक ही कारण था वेस्टइंडीज की टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड । 

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
January 10, 2015 • 12:05 AM

क्लाइव लॉयड ने अपने शानदार परफॉर्मेंस से वेस्टइंडीज टीम को विश्व विजेता बना दिया था। खासकर क्लाइव लॉयड का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में किया गया परफॉरमेंस वेस्टइंडीज टीम के इतिहास में सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस के रूप में याद किया जाता है । हालांकि क्लाइव लॉयड को ज्यादातर वर्ल्ड कप मैचों में बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला था. 1975 वर्ल्ड कप मैचों में क्लाइव लॉयड ने 5 मैच खेले थे जिनमें उनको केवल 3 इनिंग्स में ही बल्लेबाजी करने का मौका मिला , 3 पारीयों में क्लाइव ने 1 अर्धशतक और एक लाजबाव शतक जो फाइनल मैच में बनाया था। 

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वैसे तो क्लाइव लॉयड ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से वेस्टइंडीज क्रिकेट को उन सालों के दरम्यान सभी टेस्ट मैच खेलने वाली टीमों से वेस्टइंडीज टीम को कहीं बेहतर बना दिया था। लेकिन क्लाइव लॉयड ने जो परफॉर्मेंस वर्ल्ड कप में किया वो वेस्टइंडीज टीम की 70 के दशक में टीम के आधिपत्य जमाने की गाथा का विवरण बयान करता है ।

श्रीलंका के साथ पहले मैच में बल्लेबाजी ना कर पाने वाले क्लाइव लॉयड ने जब लीग मैच में अपना दूसरा मैच पाकिस्तान के साथ जून 11 को इंग्लैंड के बर्मिंघम में खेला था । उस मैच में क्लाइव लॉयड ने पाकिस्तानी बॉलरों की जमकर धुनाई करते हुए शानदार 53 रन बनाएं थे। लॉयड के 53 रन में सबसे हैरानी की बात ये थी कि उन्होंने सिर्फ 58 बॉल का सामना किया था. 70 के दशक में किसी बल्लेबाज के द्वारा इस तरह की बल्लेबाजी करना किसी भी क्रिकेट चाहने वालो के लिए पहला अनुभव था। लॉयड ने अपने 55 रन की पारी में ताबड़तोड़ 8 चौके लगाए थे और तो औऱ क्लाइव लॉयड का स्ट्राइक रेट आसमान छु रहा था । 91.37 का स्ट्राइक रेट से रन बनानें का जो कारनामा क्लाइव लॉयड ने कर दिखाया था उससे आने वाले वनडे मैचों की तस्वीर पूरी तरह बदलने वाली थी। सही मायने में वनडे क्रिकेट में तेजी से रन बनानें की जो धारणा क्रिकेट में आई थी उसका हक इस बायें हाथ के महान बल्लेबाज को ही जाता है । 

सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ केवल 3 रन पर आउट हो गए थे क्लाइव लॉयड , वो तो भला हो न्यूजीलैंड की टीम का जिसने वेस्टइंडीज के समक्ष केवल 158 रन का लक्षय दिया था जिसे वेस्टइंडीज ने आसानी से बना लिया था. इसके बाद लॉयड की बल्लेबाजी का सबसे असाधारण पल आने वाला था।

1975 वर्ल्ड कप फाइनल क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्डस पर था। पहला वर्ल्ड कप का फाइनल देखने के लिए लॉर्डस दर्शकों से खचाखच भरा पड़ा था। ऑस्ट्रेलिया की टीम फाइनल में वेस्टइंडीज के सामने थी। कयास लगाए जा रहे थे कि फाइनल वेस्टइंडीज की टीम ही जीतेगी क्योकि लीग मैच में वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को ओवल के मैदान पर 7 विकेट से जोरदार पटखनी दी थी। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की टीम ने सेमीफाइनल में इंग्लैंड को बुरी तरह से पराजीत किया था। जिससे फाइनल मैच में दोनों टीम के जीतने के आसार 50 -50 थे। 

इयान चैपल ने टॉस जीतकर वेस्टइंडीज टीम को पहले बल्लेबाजी करने का ऑफर दिया । चैपल का यह फैसला सफल साबित हुआ और वेस्टइंडीज के शुरूआत के 3 विकेट 50 रन पर आउट हो गए थे। 3 विकेट के जल्द ही वापस पवैलियन पहुंच जाने के बाद मैदान के बीचोंबीच आगमन हुआ वेस्टइंडीज कप्तान क्लाइव लॉयड का । क्लाइव लॉयड और रोहन कन्हाई ने टीम को संवारने के लिए ऑस्ट्रेलियाई पेस बॉलरों का जमकर सामना कर रह थे। खासकर लॉयड ने अपने बल्लेबाजी से जो धमाका कर रहे थे उससे ऑस्ट्रेलिया का बॉलिंग अटैक पूरी तरह विफल नजर आने लगा था। 

कंगारू कप्तान इयन चैपल ने लॉयड और कन्हाई को रोकने के लिए अपने सबसे भरोसेमंद पेस बॉलर डेनिस लिली को वापस बॉलिंग करने के लिए बुलाया , पर उस मैच में लॉयड पूरी तरह से आक्रमण करने के ईरादे से मैदान पर उतरे थे। लॉयड ने डेनिस लिली की बाउंसर लेती हुई एक बॉल पर हुक करते हुए स्कॉयर लेग पर सिक्स लगाकर अपने ईरादे लिली को स्पष्ट कर दिए थे। इसके बाद तो लॉयड ने किसी भी ऑस्ट्रेलियन बॉलर को चैन की सांस लेने नहीं दिया। दूसरे छोर पर एंकर की भुमिका निभा रहे कन्हाई के साथ मिलकर लॉयड ने 36 ओवर में वेस्टइंडीज के टीम का स्कोर 149 रन तक पहुंचा दिया था। क्लाइव लॉयड ने वर्ल्ड कप के फाइनल में शतक लगाते हुए टीम वेस्टइंडीज को जीत के सपने से भर दिया था। खास कर लॉयड ने अपना जो शतक बनाया था वो केवल 82 बॉल पर बनाया था जिसमें 12 चौके और 2 छक्के शामिल थे. सबसे चौकाने वाली बात ये थी कि लॉयड ने क्रिज पर शतक बनानें के लिए केवल 1 घंटे और 48 मिनट लिए थे। बिस्फोटक बल्लेबाजी करते हुए लॉयड ने वेस्टइंडीज को ऑस्ट्रेलिया के सामने बड़ा स्कोर बनानें की नींव रखी थी। लॉयड को जब 102 रन पर गिलीमोर ने मार्श के हाथों कैच कराया तब लॉयड अम्पायर के फैसल से नाखुश नजर आए थे। वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 292 रन बना दिए थे । 

फाइनल मैच में लॉयड ने ना सिर्फ अपनी बल्लेबाजी से बल्कि ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज बॉटलर को क्लीन बोल्ड कर एक विकेट भी अपने खाते में जोड़ा था. हर डिपार्टमेंट में क्लाइव लॉयड लॉड्स के मैदान पर सभी खिलाड़ियों से ज्यादा भाग्यशाली नजर आए थे यही कारण था कि अपनी फील्डिंग में भी लॉयड ने ऑस्ट्रेलियन कप्तान इयन चैपल को रन आउट कर ऑस्ट्रेलिया का वर्ल्ड कप जीतने के सपनें को निरस्त कर दिया था।   

लॉयड के ऑलराउंड परफॉर्मेंस के कारण ही वेस्टइंडीज की टीम पहली बार विश्वविजेता बन कर क्रिकेट में किंग बननें का बिगुल पूरे वर्ल्ड को सुना दिया था। मैच के बाद क्लाइव लॉयड न कहा था कि “मैदान पर वो जो चाह रहे थे वो हो रहा था खासकर बल्लेबाजी के दौरान ऑस्ट्रेलियन बॉलर की बॉल उनको फुटबॉल की तरह दिखाई दे रही थी।“ 

क्लाइव लॉयड जब तक वेस्टइंडीज टीम के लिए खेले तब तक वेस्टइंडीज की टीम ने कई मुकाम को अपने खाते में जोड़ा था. इतना ही नहीं क्लाइव लॉयड के नेतृत्व में वेस्टइंडीज की टीम ने तीन वर्ल्ड कप के टूर्नामैंट में 2 बार वर्ल्ड कप खिताब को जीतकर वेस्टइंडीज की क्रिकेट टीम को वर्ल्ड की नंबर वन टीम बनया था.  

1979 के वर्ल्ड कप मैचों में भी क्लाइव लॉयड ने एक बार फिर से वेस्टइंडीज टीम की कमान संभाली थी हालांकि 1979 के वर्ल्ड कप में लॉयड का बल्ला कोई कमाल तो नहीं दिखाया था पर अपनी कप्तानी करने की स्किल से टीम वेस्टइंडीज को लगातार दूसरी बार वर्ल्ड चैम्पियन बनानें की स्क्रिप्ट तैयार की थी. ‘79 वर्ल्ड कप में लॉयड ने 4 मैच में 3 इंनिग्स में ही बल्लेबाजी करने का मौका मिला और एक अर्धशतक सहीत कुल 123 रन ही बना पाए थे । तो वही ‘83 के वर्ल्ड कप में जहां इंडिया की टीम ने वेस्टइंडीज की टीम को हरा कर इंडीज टीम के राज को विश्व क्रिकेट से खत्म किया था । ‘83 वर्ल्ड कप में लॉयड का प्रदर्शन उनके क्षमता से कम था यही कारण था कि वेस्टइंडीज की टीम इंडिया जैसे कमतर टीम से फाइनल मैच हार गई थी। 83 वर्ल्ड कप में लॉयड के बल्ले से एक भी शतक नहीं बना था तथा हैरत तो तब होती है जब लॉयड के बल्ले से एक भी अर्धशतक वेस्टइंडीज टीम को नसीब नहीं हुआ था। 1983 वर्ल्ड कप में क्लाइव लॉयड ने 8 मैचों में से केवल 5 बार बल्लेबाजी करने का मौका मिला और कुल मिलाकर 112 रन ही बना पाए । बल्लेबाजी औसत 28.00 का रहा था और सर्वश्रेष्ठ स्कोर 41 रन का ही रह पाया था। 

क्लाइव लॉयड की कप्तान  की गाथा का आज तक वेस्टइंडीज क्रिकेट में एक सिख की तरह है । उनके इस शानदार रिकॉर्ड को वेस्टइंडीज क्रिकेट का कोई भी प्लेयर छू तक नहीं पाया है ।।।।


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