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सीओए कुछ राज्य संघों को बीसीसीआई चुनावों से रख सकता है अलग

नई दिल्ली, 6 सितम्बर | भारत में क्रिकेट की देखरेख कर रही प्रशासकों की समिति (सीओए) ने बीसीसीआई के राज्य संघों की चुनावो की तारीख आगे बढ़ाकर 28 सितंबर कर दी है। सीओए ने साफ कहा है कि वह अब

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सीओए कुछ राज्य संघों को बीसीसीआई चुनावों से रख सकता है अलग Images
सीओए कुछ राज्य संघों को बीसीसीआई चुनावों से रख सकता है अलग Images (Twitter)
Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat
Sep 06, 2019 • 04:45 PM

नई दिल्ली, 6 सितम्बर | भारत में क्रिकेट की देखरेख कर रही प्रशासकों की समिति (सीओए) ने बीसीसीआई के राज्य संघों की चुनावो की तारीख आगे बढ़ाकर 28 सितंबर कर दी है। सीओए ने साफ कहा है कि वह अब और तारीखों में विस्तार नहीं करेगी जिसके पीछे उसने बीसीसीआई की एजीएम के लिए 21 दिन पहले दिए जाने वाले नोटिस का तर्क दिया है। सीओए का यह कदम हालांकि राज्य संघों को खटक रहा है और वह उसे सर्वोच्च अदालत के फैसले के खिलाफ मान रहे हैं। 

Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat
September 06, 2019 • 04:45 PM

राज्य संघ के एक अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि सीओए का यह फैसला उनके लिए हैरानी भरा रहा है क्योंकि यह सर्वोच्च अदालत के आदेश का सीधा-सीधा उल्लंघन है। साथ ही इससे साफ लग रहा है कि सीओए कुछ राज्य संघों को चुनावों से दूर रखना चाहती है। 

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अधिकारी ने कहा, "यह हैरान करने वाली बात है कि सीओए ऐसे फैसले ले रही है जो सर्वोच्च अदालत के आदेश के खिलाफ हैं और इसका सटीक उदाहरण यह है कि संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है जो राज्य संघों को बीसीसीआई के चुनावों में हिस्सा लेने से रोकता हो। जो जरूरी है वो यह है कि राज्य संघ का प्रतिनिधि सर्वोच्च अदालत के आदेश के मुताबिक योग्य हो।"

उन्होंने कहा, "समिति की कोशिश कुछ तय संघों को चुनावों में हिस्सा लेने से रोकने की है ताकि बीसीसीआई के चुनावों को प्रभावित किया जा सके। यह कभी नहीं सुना गया कि चुनावों के नियम तब बदले जाएं तब यह पूरी प्रक्रिया जारी हो।"

राज्य संघ के वकील ने भी इस पर हैरानी जताते हुए कहा, "वह जनसेवक की परिभाषा बदलने में लगे हुए हैं और कुछ तय लोगों को सर्वोच्च अदालत द्वारा तय किए गए पैमाने के हिसाब से अयोग्त बताने से बचाना चाहते हैं। सर्वोच्च अदालत के आदेश के अनुसार चुनाव आयुक्त स्वतंत्र होना चाहिए लेकिन यहां सीओए मीडिया रिलीज भेज रहा है और चुनाव आयुक्त से अलग सफाई पेश कर रहा है।"

उन्होंने कहा, "कैसे एक ही शख्स नियम बना भी सकता है और उन्हें समझा सकता है और उन्हें लागू कर सकता है? यह अपने आप में हितों का टकराव है। इसलिए अब वह यह फैसले करने में समर्थ हो गए हैं कि किसे चुनाव आयुक्त बोर्ड से हटाया जाए और कौन इस प्रक्रिया का हिस्सा होगा और यह प्रक्रिया में गंभीर कमियां हैं।

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