जोंटी रोड्स ने धोनी के बारे में दिया ऐसा खास बयान, कही दिल जीतने वाली बात
23 अक्टूबर। साउथ अफ्रीका के पूर्व टेस्ट खिलाड़ी जोंटी रोड्स का कहना है कि भारत के लिए खेलने की काबिलियत रखने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम के लिए अपनी भूमिका को बखूबी समझें, इसके लिए उन्हें लगातार अंदर-बाहर करने की जगह निरंतर
23 अक्टूबर। साउथ अफ्रीका के पूर्व टेस्ट खिलाड़ी जोंटी रोड्स का कहना है कि भारत के लिए खेलने की काबिलियत रखने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम के लिए अपनी भूमिका को बखूबी समझें, इसके लिए उन्हें लगातार अंदर-बाहर करने की जगह निरंतर मौका दिया जाना चाहिए।
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दक्षिण अफ्रीका के लिए क्रिकेट के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी भी खेल चुके रोड्स ने इसुजू मोटर्स के नए एसयूवी के लांच के अवसर पर आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम सही दिशा में है, लेकिन खिलाड़ियों के चयन के लिए निरंतरता बनाए रखी जानी चाहिए क्योंकि इससे खिलाड़ी टीम में अपनी भूमिका और जिम्मेदारी को लेकर जागरूक होता है।
क्रिकेट में फील्डिंग को नई परिभाषा देने वाले रोड्स ने कहा, "अगर आप इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज को देखें, तो वह निराशाजनक थी। हालांकि, टीम ने अच्छी वापसी करने की कोशिश की। मैं समझता हूं कि भारतीय टीम सही दिशा में आगे बढ़ रही है। खिलाड़ियों को अंदर-बाहर किए जाने को लेकर थोड़ी आलोचनाएं हुई हैं। रोहित शर्मा टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं। लोकेश राहुल हमेशा मैदान पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। हालांकि, युवा खिलाड़ियों को भी मौका मिल रहा है और वे अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ऐसे में टीम के चयन नें निरंतरता रखनी होगी ताकि खिलाड़ी अपनी भूमिका को लेकर जागरूक हो सकें।"
आस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी सीरीज को लेकर रोड्स ने कहा कि भारत या फिर किसी भी टीम के लिए आस्ट्रेलिया दौरा हमेशा से कठिन होता है और ऐसे में टीम को कई ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत होती है, जो अपनी भूमिका को पहचानते हैं और मैदान पर उसे उतारते भी हैं। रोड्स के मुताबिक आगामी सीरीज के लिए भारत को भी ऐसे ही कुछ युवा खिलाड़ियों की जरूरत है जो अनुभवी खिलाड़ियों का साथ दे सकें।
रोड्स ने कहा, "आस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबला हमेशा दिलचस्प होता है। चाहे आप कोई भी टीम हो। जब आप आस्ट्रेलिया जाते हैं, तो युवा खिलाड़ियों की जरूरत होती है लेकिन आपको अनुभवी और अपने किरदार को पहचानने वाले खिलाड़ियों की भी जरूरत है। यहां भारत को थोड़ी कमी खल सकती है। युवा खिलाड़ी भी अच्छा कर सकते हैं, क्योंकि उनके भीतर कुछ खो देने का डर नहीं होता। तेज गेंदबाज बेहतर कर सकते हैं। यह देखना भी जरूरी है कि भारत किन स्पिन गेंदबाजों के साथ लेकर जा रहा है, क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में चौथे और पांचवें दिन में पिच टर्न लेती है।"
भारतीय टीम की फील्डिंग के बारे में पूछे जाने पर रोड्स ने कहा कि टीम में कई बड़े बदलाव हुए हैं और भारत के खिलाड़ी अच्छे एथलीट बन गए हैं। भले ही भारतीय टीम को फील्डिंग की अहमियत पहचानने में देरी हुई हो। उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि भारतीय क्रिकेट में बड़े बदलाव आए हैं। केवल यह नहीं कि वह विदेशों में विपक्षी टीमों को टक्कर दे रहे हैं और उनके पास अच्छे तेज गेंदबाज हैं। वे एक अच्छे एथलीट भी बन चुके हैं।"
बकौल रोड्स, "मैंने आईपीएल में मुंबई इंडियंस के साथ नौ सीजन काम किया है। इस दौरान, मैंने जो बदलाव देखे हैं, वे व्यापक हैं। भारतीय खिलाड़ियों को इस चीज को सराहने में समय लगा कि फील्डिंग भी क्रिकेट का एक अहम हिस्सा है। एक अच्छे फील्डर होने के लिए एथलेटिक और फिट होना पड़ता है। विभिन्न कप्तानों के अंदर भी टीम में बदलाव देखने को मिले हैं। महेंद्र सिंह धोनी हमेशा फील्ड पर शांत रहे हैं। वह खिलाड़ियों को बदलते रहते हैं, लेकिन मैदान पर संयम रखते हैं। विराट कोहली इसे अगले स्तर पर लेकर गए हैं।"
उन्होंने कहा, "इसमें केवल कप्तान को ही नहीं, बल्कि अन्य वरिष्ठ खिलाड़ियों का सहयोग भी जरूरी है। कप्तान अकेले चिल्लाकर मैदान पर कुछ नहीं कर सकते। अगर सुरेश रैना फिट नहीं हैं, तो उन्हें टीम से हटाया जा सकता है फिर चाहे कितने भी वरिष्ठ हों। यो-यो टेस्ट में असफलता के कारण अंबाती रायडू भी टीम से बाहर रहे। यह दिलचस्प है क्योंकि अंबाती भले ही टीम में वरिष्ठ खिलाड़ी न हों, लेकिन वह भारतीय क्रिकेट में बेहद वरिष्ठ खिलाड़ी हैं। इन खिलाड़ियों का बाहर होना यह दर्शाता है कि कप्तान फील्डिंग को लेकर बेहद गंभीर हैं।"
फील्डिंग में सबसे अच्छी टीम के बारे में पूछे जाने पर रोड्स ने कहा, "मैं दक्षिण अफ्रीका का पक्षधर हूं। हम भाग्यशाली रहे हैं कि हमें हमेशा एथलेटिक खिलाड़ी मिले हैं। हम दक्षिण अफ्रीका में कई तरह के खेल खेलते हैं और इससे हमें काफी फायदा मिलता है। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी ऐसा ही होता है। वे भी मैदान पर बेहज मजबूत हैं। सीमित ओवरों के क्रिकेट में हाल के कुछ समयों में इंग्लैंड की टीम सबसे बेहतर रही है। भारतीय टीम सीमित ओवरों के क्रिकेट प्रारूप में अपनी फील्डिंग को एक नए स्तर पर लेकर गई है।