एमएस धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के सपोर्ट स्टॉफ में एक नाम ऐसा है जिसका जिक्र हो सकता है आपको टीम के ऑफिशियल परिचय में पढ़ने को न मिले। वजह साफ़ है- टीम फ्रेंचाइजी ने कोई ऑफिशियल कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया और न ही इस कॉन्ट्रैक्ट का कोई ऑफिशियल स्पांसर है। इतना ही नहीं, ये सपोर्ट स्टॉफ तभी नजर आता है, जब टीम चेन्नई में खेलती है। आप को ये सारा जिक्र किसी पहेली जैसा लग रहा होगा। नाम जानेंगे तो और भी हैरान रह जाएंगे।
कोविड -19 महामारी की शुरुआत के दिनों में जब कई काम करने वाले तंगी में थे तो कुछ हाथ उनकी मदद के लिए भी आगे आए। उन दिनों की एक खबर ये भी थी कि भारत के पूर्व सीमर इरफान पठान ने जो चैरिटी की और चेन्नई के आर भास्करन को 25,000 रुपये की मदद दी। आईपीएल स्थगित होने से उनके पास से एकदम काम चला गया था और गुजारा मुश्किल हो रहा था। कौन हैं ये आर भास्करन? चेन्नई में उन्हें, चेन्नई सुपर किंग्स का ऑफिशियल कॉबलर (मोची) कहते हैं। उन्हें ये टाइटल किसने दिया- कोई नहीं जानता।
भास्करन 1993 से चेन्नई के वलजाह रोड पर बैठे हैं। धीरे-धीरे, करीब के स्टेडियम से क्रिकेटर छोटी- छोटी मरम्मत के लिए आने लगे और वे चेन्नई की क्रिकेट से जुड़ गए। आईपीएल शुरू होने के बाद तो विदेशी क्रिकेटर भी आने लगे। इसीलिए वे चेन्नई टीम के ऑफिशियल कॉबलर बन गए और मैच के दिनों में तो उन्हें एमए चिदंबरम स्टेडियम के अंदर, खिलाड़ियों और मैच ऑफिशियल के एरिया के बाहर, एक छोटे से वर्क स्टेशन से काम करने दिया जाता है- खिलाड़ी और ऑफिशियल उनके पास जाते रहते हैं, न पुलिस रोकती है और न एंटी करप्शन वाले। उस दिन का काम का खर्चा धोनी की टीम वाले देते हैं। कोविड के बाद से दिक्कत ये आ रही है कि चेन्नई में मैच नहीं तो काम नहीं ! उनका परिवार है- भास्करन, उनकी पत्नी, दो बेटे, एक बेटी और एक बहू के साथ एक छोटे से घर में रहते हैं। जब इरफ़ान के मदद करने की खबर सोशल मीडिया पर शेयर हुई तो कई क्रिकेट प्रेमियों ने भी भास्करन की मदद की।
.jpg)