टेस्ट क्रिकेट में खत्म हो रहा है 'मियां भाई' का जादू, विदेश में रहे हैं बुरी तरह से फ्लॉप
भारतीय क्रिकेट टीम के तेज़ गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने पिछले कुछ सालों में वनडे और टी-20 क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन जब बात टेस्ट क्रिकेट की आती है तो वो इस कामयाबी को दोहराने में असफल रहे हैं।
साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में मिली शर्मनाक हार को भूलाकर भारतीय टीम दूसरे टेस्ट को जीतकर सीरीज 1-1 से बराबर करने के इरादे से मैदान में उतरेगी। हालांकि, दूसरे टेस्ट में भी मेजबान टीम का ही पलड़ा भारी रहेगा क्योंकि भारतीय टीम को केपटाउन में भी तेज़ गेंदबाजों के माकूल ही पिच मिलेगी और इस समय भारतीय तेज़ गेंदबाज उतने असरदार साबित नहीं हो रहे हैं। खासकर मोहम्मद सिराज की बात करें तो उन्होंने पिछले कुछ सालों में जो प्रदर्शन वनडे और टी-20 में किया है उसे वो टेस्ट क्रिकेट में दोहराने में असफल रहे हैं।
खासकर सेना देशों (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में तो वो बुरी तरह फ्लॉप रहे हैं। सिराज का खराब प्रदर्शन भी एक बड़ी वजह है कि पिछले दो सालों में भारत विदेशी सरज़मीं पर हार रहा है क्योंकि वो टीम के प्रमुख गेंदबाज बन गए हैं और उनका खेलना भी तय होता है ऐसे में अगर वो परफॉर्म नहीं करेंगे तो टीम का बंटाधार होना तो तय ही है।
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अगर सिराज के 'सेना देशों' में पिछले 2 सालों में टेस्ट क्रिकेट के आंकड़े देखें तो आपको पता चल जाएगा कि वो कितने बुरे दौर से गुजर रहे हैं। सिराज ने पिछले दो सालों में सेना देशों में 7 पारियों में सिर्फ 11 विकेट लिए हैं। इस दौरान उनका औसत 46 का रहा है और स्ट्राइक रेट 63 का रहा है जो उनके जैसे गेंदबाज को तो बिल्कुल भी शोभा नहीं देता है ऐसे में अगर भारत को अफ्रीका को दूसरे टेस्ट में हराना है तो ये जरूरी होगा कि सिराज अपनी गेंदबाजी से धमाल मचाएं।
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अगर दूसरे टेस्ट की प्लेइंग इलेवन की बात करें तो यदि रवींद्र जड़ेजा फिट हैं, तो वो स्वाभाविक रूप से रविचंद्रन अश्विन के स्थान पर टीम में आ जाएंगे। शार्दुल ठाकुर और प्रसिद्ध कृष्णा दोनों का सेंचुरियन में फ्लॉप शो देखने को मिला थछा ऐसे में इनमें से किसी एक की जगह मुकेश कुमार को खेलने का मौका मिल सकता है यहां तक कि टीम मैनेजमेंट अपना ध्यान अवेश खान पर भी केंद्रित कर सकती है। आवेश ने भारत ए के लिए शानदार खेल दिखाया था ऐसे में अगर वो भी टेस्ट डेब्यू करते दिखें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।