Advertisement

'धोनी से जरूर पूछूंगा सेंचुरी के बाद भी क्यों किया था बाहर?' संन्यास लेते ही मनोज तिवारी ने किया धमाका

बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने वाले मनोज तिवारी ने संन्यास लेते ही एक बड़ा बयान दे दिया है। उन्होंने कहा है कि वो धोनी से जरूर पूछेंगे कि आखिर 2011 में सेंचुरी लगाने के बाद भी उन्हें ड्रॉप क्यों

Shubham Yadav
By Shubham Yadav February 20, 2024 • 10:39 AM
'धोनी से जरूर पूछूंगा सेंचुरी के बाद भी क्यों किया था बाहर?' संन्यास लेते ही मनोज तिवारी ने किया धमा
'धोनी से जरूर पूछूंगा सेंचुरी के बाद भी क्यों किया था बाहर?' संन्यास लेते ही मनोज तिवारी ने किया धमा (Image Source: Google)
Advertisement

बंगाल के लिए रणजी क्रिकेट खेलने वाले मनोज तिवारी ने हाल ही में संन्यास का ऐलान कर दिया है और अब अपने संन्यास के बाद उन्होंने ऐसे सवाल खड़े किए हैं जिससे भारतीय क्रिकेट में बवाल मच गया है। तिवारी ने तत्कालीन कप्तान एमएस धोनी पर सवाल उठाते हुए अपने करियर का सबसे बड़ा अफसोस व्यक्त किया है।

2008 में भारत के लिए पदार्पण करने वाले तिवारी ने सात वर्षों और आठ अलग-अलग सीरीज में 12 वनडे और तीन टी-20 मैच खेले। इस दौरान तिवारी ने कुछ अच्छी पारियां भी खेली लेकिन उनका करियर ज्यादा लंबा ना हो सका। तिवारी को सबसे ज्यादा निराशा तब हुई जब उन्होंने भारतीय टीम के लिए शतक बनाया लेकिन एमएस धोनी की कप्तानी में उन्हें उसके बाद भी बाहर कर दिया गया और अब उन्होंने उसी चीज़ को याद करते हुए कहा है कि वो धोनी से जरूर पूछेंगे कि उन्हें 2011 में शतक लगाने के बाद भी बाहर क्यों किया गया था।

Trending


न्यूज 18 के साथ एक इंटरव्यू में, तिवारी ने धोनी से स्पष्टीकरण मांगने की इच्छा व्यक्त की और कहा, “मुझे उम्मीद है कि जब भी मौका मिलेगा मुझे उनके विचार मिलेंगे। मैं ये प्रश्न पूछने के लिए कृतसंकल्प हूं। मैं धोनी से पूछना चाहता हूं कि शतक बनाने के बावजूद मुझे टीम से बाहर क्यों किया गया, खासकर ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान जब विराट कोहली, रोहित शर्मा या सुरेश रैना जैसे कोई भी प्रमुख खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे। इस समय, मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है।''

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा, “65 प्रथम श्रेणी मैच खेलने के बाद, मेरी बल्लेबाजी का औसत लगभग 65 था। उस समय ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे के दौरान, मैंने एक अभ्यास मैच में 130 रन बनाए, इसके बाद एक अन्य अभ्यास मैच में इंग्लैंड के खिलाफ 93 रन बनाए। करीबी होने के बावजूद उन्होंने युवराज सिंह को चुना। मैंने महसूस किया कि टेस्ट कैप के लिए मेरी उपेक्षा की गई और मेरे शतक के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार प्राप्त करने के बाद भी मुझे लगातार 14 मैचों तक नजरअंदाज किया गया।''

तिवारी ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, "जब किसी खिलाड़ी का आत्मविश्वास उच्चतम स्तर पर होता है और कोई उसे तोड़ देता है, तो ये उस खिलाड़ी की भावना को मारने की क्षमता रखता है।"

Also Read: Live Score

अगर तिवारी के घरेलू क्रिकेट में रिकॉर्ड की बात करें तो उन्होंने 2004 में अपने पदार्पण के बाद से 147 मैचों में 10,000 से अधिक रन के साथ अपने प्रथम श्रेणी करियर का अंत किया।


Cricket Scorecard

Advertisement