'धोनी इज्ज़त गंवा रहे हैं, उन्हें 2023 आईपीएल के बाद रिटायर हो जाना चाहिए था'
दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ चेन्नई सुपरकिंग्स की हार के बाद एमएस धोनी को काफी ट्रोल किया जा रहा है। कुछ दिग्गज और फैंस तो ये तक कह रहे हैं कि धोनी को अब रिटायरमेंट ले लेनी चाहिए।

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 के 17वें मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स ने चेन्नई सुपर किंग्स को 25 रनों से हराकर सीज़न की लगातार तीसरी जीत दर्ज की। इस मैच के आखिरी 10 ओवरों में सीएसके ने जीत की कोशिश ही नहीं की और एमएस धोनी के साथ-साथ विजय शंकर ने भी काफी धीमी बल्लेबाजी की जिसके चलते सीएसके की टीम 25 रन दूर रह गई और मैच के बाद धोनी की तो काफी फजीहत हो रही है।
इस बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने तो यहां तक कह दिया कि एमएस धोनी को सीएसके के साथ आईपीएल 2023 का खिताब जीतने के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था और अब वो धीरे-धीरे फैंस का सम्मान खो रहे हैं। धोनी, जो सीएसके लाइनअप के एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बने हुए हैं, इस सीजन में प्रभाव छोड़ने में विफल रहे हैं। अब तक के 4 मैचों में धोनी ने 76 रन बनाए हैं, लेकिन फैंस और क्रिकेट पंडितों ने उनकी धीमी बल्लेबाजी पर सवाल उठाए हैं।
क्रिकबज से बात करते हुए, तिवारी ने कहा, "मुझे लगता है कि उनके लिए संन्यास लेने का सही समय 2023 में था, जब उन्होंने आईपीएल ट्रॉफी जीती थी। उन्हें तब संन्यास ले लेना चाहिए था। कहीं न कहीं, मुझे लगता है कि क्रिकेट से उन्होंने जो भी प्रसिद्धि, नाम और सम्मान कमाया है वो पिछले दो सालों में उनके खेलने के तरीके से खत्म होता जा रहा है। फैंस उन्हें इस तरह से देखना बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और उनमें वो चमक खत्म होती जा रही है। उन्होंने पिछले कुछ सालों में फैंस के बीच जो भरोसा बनाया है, खासकर चेन्नई के फैंस के दिलों में। पिछले मैच के बाद जिस तरह से फैंस सड़कों पर उतरे और उनके खिलाफ इंटरव्यू दिए, ये इस बात का संकेत होना चाहिए था कि ये अब काम नहीं कर रहा है।"
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तिवारी ने स्टीफन फ्लेमिंग की टिप्पणियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि धोनी 10 ओवर से ज्यादा बल्लेबाजी नहीं कर पाते हैं। पूर्व क्रिकेटर को लगता है कि टीम के हित में फैसले नहीं लिए जा रहे हैं। तिवारी ने कहा कि किसी को आगे आकर प्रबंधन से ये प्रयोग बंद करने के लिए कहना चाहिए। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा, "वो अभी भी कोशिश कर रहे हैं, और यहां तक कि स्टीफन फ्लेमिंग ने भी कहा कि वो 10 ओवर से अधिक नहीं दौड़ सकते। लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि अगर आप 20 ओवर तक फील्डिंग कर सकते हैं, विकेट बचा सकते हैं, जहां आपको उठना, बैठना, बग़ल में डाइव लगाना पड़ता है। अगर आप रन-आउट कर सकते हैं, तो आपके घुटनों में दर्द नहीं होगा। लेकिन जब टीम को जीत के लिए आपकी ज़रूरत होती है, जब आपको बैटिंग के लिए भेजा जाता है और उम्मीदें बहुत ज़्यादा होती हैं, तो आप सिर्फ़ 10 ओवर खेलने की बात करते हैं? सब कुछ इसी के इर्द-गिर्द हो रहा है। मेरे ख़याल से लिए जा रहे फ़ैसले टीम के हित में नहीं हैं। मुझे लगता है कि एक मज़बूत फ़ैसला किए जाने की ज़रूरत है।"