'बहुत पैसे खराब करती है, मैं चाहता हूं ये FD करा ले' 15 लाख की कार गिफ्ट मिली तब भी खुश नहीं हुए पूजा के पापा
भारतीय क्रिकेट टीम की खिलाड़ी पूजा वस्त्रकर को मुंंबई इंडियंस ने महिला प्रीमियर लीग के पहले ऑक्शन में 1.9 करोड़ की भारी कीमत देकर अपनी टीम में शामिल कर लिया है।
भारतीय टीम की स्टार खिलाड़ी पूजा वस्त्रकर इस समय भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए टी-20 वर्ल्ड कप खेल रही हैं लेकिन पिछले कुछ दिन उनके लिए किसी सपने से कम नहीं रहे। महिला प्रीमियर लीग के पहले ऑक्शन में मुंबई इंडियंस ने पूजा को 1.9 करोड़ की भारी धनराशि खर्च करके अपनी टीम में शामिल कर लिया। किसी ने भी नहीं सोचा था कि पूजा को इतनी बड़ी रकम मिलेगी लेकिन उनकी किस्मत चमकी और वो झटके में 1,9 करोड़ ले गईं।
हालांकि, पूजा के पापा बंधन राम वस्त्रकर उनसे खुश नहीं हैं और वो चाहते हैं कि पूजा ऑक्शन से मिले पैसों को फिक्सड डिपॉजिट (FD) में जमा कर दे। पूजा के पापा की नाराजगी की वजह बेहद दिलचस्प है। उनका मानना है कि पूजा बहुत पैसा बर्बाद करती हैं। दरअसल, हुआ ये कि टी-20 वर्ल्ड कप के लिए रवाना होने से पहले पूजा ने अपने पापा के लिए 15 लाख रुपये की कार खरीदी थी लेकिन इस गिफ्ट को उनके पापा "पैसे की बर्बादी" कहते हैं।
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इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बंधन राम जी ने कहा, “वो बहुत पैसे बर्बाद करती है। मैं चाहता हूं कि वो ये सारे पैसे का एफडी कर ले। चार साल की उम्र से, वो क्रिकेट में है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक दिन भारत के लिए खेलेगी। लेकिन वो हमेशा ये जानती थी। जब भी वो क्रिकेट के लिए पैसे मांगती थी, मैं उसे ये कहकर चिढ़ाता था कि वो क्रिकेट में अपना समय क्यों बर्बाद कर रही है। वो कहती थी, 'आप देखना, मैं एक दिन इंडिया के लिए खेलूंगी।'
पूजा सात भाई-बहनों (पांच बेटियों और दो बेटों) में सबसे छोटी हैं और हमेशा अपने पिता की लाडली रही हैं। बंधन राम की इच्छा अपनी बेटी को महिला विश्व कप खिताब के साथ देखने की है। वो कहते हैं, “मुझे उम्मीद है कि वो दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप उठाने में भारत की मदद करेगी। वो चोट के बाद वापसी कर रही है और उम्मीद है कि वो फिट रहेगी।'
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आपको बता दें कि पूजा को उनकी बड़ी बहन उषा ने क्रिकेट से परिचित कराया था। उषा अपनी बहन की कहानी के बारे में बताते हुए कहती हैं, “आठ या नौ साल तक, वो लड़कों के साथ गली में क्रिकेट खेलती थी। फिर आशुतोष सर (श्रीवास्तव) ने उन्हें मैदान पर खेलते हुए देखा, हमारे घर आए और मेरे पिता से कहा कि उन्हें अपनी अकादमी में शामिल होने दें। एक साल बाद, जब मेरी मां का निधन हो गया, तो पूजा ने अकादमी जाना बंद कर दिया। मुझे इसके बारे में पता चला और मैं सचमुच उसे अकादमी ले गई। इसके बाद से उन्होंने एक भी अभ्यास सत्र नहीं छोड़ा। मुझे खुशी है कि वो अपने जुनून को आगे बढ़ा रही है। हमें उनकी उपलब्धियों पर बहुत गर्व है।”