युजवेंद्र चहल: खेत में बनी पिच पर करते थे प्रैक्टिस, बिना थके घंटों फेंका करते थे टूटी पिच पर गेंद
युजवेंद्र चहल IPL 2022 में कहर ढा रहे हैं। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हुए युजवेंद्र चहल ने महज 4 मैचों में 11 विकेट झटके हैं।
युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) लंबे समय से टीम इंडिया और आईपीएल टीम के लिए शानदार प्रदर्शन करते आए हैं। 31 साल के इस गेंदबाज के बारे में ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि चहल ने शतरंज छोड़कर क्रिकेट की तरफ रुख किया है। युजवेंद्र चहल स्कूल के दिनों से शतरंज खेलते आए हैं वहीं वो शतरंज के नैशनल खिलाड़ी रह चुके हैं। युजवेंद्र चहल के क्रिकेटर बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है।
चहल अपने करियर के शुरूआती दिनों में डीएवी स्कूल में अभ्यास किया करते थे और यहीं से उनका क्रिकेट के प्रति झुकाव बढ़ता गया था। चहल की डीएवी स्कूल के प्रिंसिपल डॉ धर्मदेव विद्यार्थी भी उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए काफी प्रोत्साहित किया करते थे। चहल के पिता ने डेढ़ एकड़ खेत में उनके लिए क्रिकेट पिच बनवाई हुई थी जहां पर वो अभ्यास किया करते थे।
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बताया जाता है कि युजवेंद्र चहल ने शुरुआती प्रैक्टिस खेतों में गेंदबाज़ी कर के ही की है। चहल ने इसपर बोलते हुए कहा था, 'पापा ने हमारे खेत पर ही मेरी प्रैक्टिस के लिए विकेट बनाई थी जिससे मैं कभी भी वहां जाकर गेंदबाजी का अभ्यास कर सकूं।' इसके अलावा चहल ने जींद के हैप्पी स्कूल के ग्राउंड पर बनी पिच पर भी काफी मैच खेले हुए हैं।
बता दें कि 23 जुलाई 1990 को हरियाणा के जिंद में युजवेंद्र चहल का जन्म हुआ था। चहल के पिता पेशे से एडवोकेट हैं। वहीं शतरंज में तेज दिमाग वाले चहल का मन पढ़ाई में काफी कम लगता था। चहल को कई मौकों पर ये कहते हुए सुना जा चुका है कि उनकी पहली पसंद हमेशा से ही शतरंज की चाल रही है।
खेत में करते थे घंटों अभ्यास: युजवेंद्र चहल गेंदबाजी करने का काफी शौक रखते थे। चहल के दोस्त और परिवार के लोग बताते हैं कि वो खेत में डंडा लगाकर बिना थके घंटों गेंद फेंका करते थे। इसी पिच पर वो नए-नए प्रयोग करते थे। धीरे-धीरे खेत वाले मैदान से ही चहल को परफेक्शन की राह दिखनी शुरू हो गई थी।
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वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए ग्रीस गए थे चहल: शतरंज में चहल इतने तेज थे कि उन्हें उस वक्त वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए ग्रीस भेजा गया था। वहां पर उन्होंने शानदार प्रदर्शन भी किया था। हालांकि, बाद में शतरंज की जगह उन्होंने क्रिकेट पर फोकस शुरू किया।