सचिन तेंदुलकर उनकी पत्नी और ससुर का था नाम, पनामा पेपर लीक होते ही बंद की थी कंपनी
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का नाम पैंडोरा पेपर्स की जांच में सामने आया है।
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का नाम पैंडोरा पेपर्स की जांच में सामने आया है। सचिन तेंदुलकर उनकी पत्नी और उनके ससुर के नाम पर ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (BVI) में एक ऑफ़-शोर कंपनी थी जो 2016 में पनामा पेपर लीक होते ही बंद कर दी गई। ऑफ शोर कंपनी को सरल भाषा में ऐसे समझ सकते हैं-'कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश में अगर कंपनी खोलता है।'
ऑफ शोर कंपनी के लिए ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (BVI) इसलिए चुना जाता है क्योंकि वहां टैक्स बचाने, टैक्स चोरी और काले पैसे को सफेद बनाने के तमाम साधन मौजूद होते हैं। दी इंडियन एक्सप्रेस द्वारा किए गए एक खुलासे में इस बात का दावा किया गया है कि सचिन तेंदुलकर की कंपनी भी वहां थी। वहीं इंटरनैशनल कोंसोर्टियम ऑफ़ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने भी इस खबर पर मुहर लगाई है।
Trending
खबरों की मानें तो सचिन तेंदुलकर के अलावा उनकी पत्नी अंजलि और ससुर आनंद मेहता ‘सास इंटरनेशनल लिमिटेड’नाम की कंपनी मे निदेशकों की भूमिका में थे। इस कंपनी को एलजे मैनेजमेंट नाम की कंपनी ने BVI में खुलवाया था। जब कंपनी बंद हुई तब किसके हिस्से कितना पैसा आया इस बात को लेकर भी रिपोर्ट आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक सचिन तेंदुलकर के पास 9 शेयर थे जिसकी कीमत 8, 56, 702 डॉलर (5,73,99,034 रुपए) , पत्नी अंजलि के पास 14 शेयर जिसकी कीमत 13,75,714 डॉलर (9,21,72,838 रुपए) वहीं आनंद मेहता के पास 5 शेयर जिसकी कीमत 4,53,082 डॉलर (3,03,56,494 रुपए) थी।
बता दें कि सचिन की कंपनी जब बंद हुई तब 2016 में 1 डॉलर की औसत कीमत तकरीबन 67 रुपए थी। मालूम हो कि सास इंटरनेशनल लिमिटेड का जिक्र पैंडोरा पेपर में पहली बार 2007 में हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक़ 10 अगस्त, 2007 को 90 शेयर के साथ यह कंपनी बनी थी तब 90 शेयरों की क़ीमत 8.6 मिलियन लगभग 60 करोड़ रुपये आकी गई है।
Also Read: T20 World Cup 2021 Schedule and Squads
रिपोर्ट के अनुसार शुरुआत में सचिन के नाम इन 90 शेयर में से एक भी शेयर नहीं था। वहीं उनकी पत्नी अंजलि तेंदुलकर को 60 शेयर दिए गए और सचिन के ससुर के नाम 30 शेयर थे। 3 अप्रैल, 2016 को पनामा पेपर लीक का खुलासा हुआ था जिसके माध्यम से पता चला कि दुनियाभर के अमीर और प्रभावशाली लोग कैसे अपने पैसे पर टैक्स देने से बचने के लिए उन्हें ऑफ-शोर कंपनियों में लगाते हैं। इस सबके बीच गौर करने वाली बात यह है कि सचिन की कंपनी पनामा पेपर लीक के खुलासे के तीन महीने बाद ही बंद हो जाती है।