2003/04 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई टेस्ट सीरीज हाल के दिनों में सबसे यादगार सीरीज में से एक थी। दुनिया की दो सर्वश्रेष्ठ टीमें 1-1 स्कोरलाइन के साथ मैदान पर पहुंची थीं। ये मैच सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की दृढ़ता के लिए क्रिकेट के इतिहास में सदा-सर्वदा के लिए अमर हो गया था। जब सचिन तेंदुलकर 2 जनवरी, 2004 को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) में क्रीज पर आए, तब इस पारी से पहले वो खराब फॉर्म से जूझ रहे थे।
क्रिकेट के मैदान पर फैंस ने देखी भगवान की झलक: सचिन तेंदुलकर के बल्ले से 0, 1, 37, 0 और 44 का स्कोर निकला था। सचिन तेंदुलकर ऑफ स्टंप के बाहर वाइड गेंदों पर कवर ड्राइव खेलने के चक्कर में आउट हो रहे थे। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पिछले मैच में, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने नौ विकेट से जीता था उस मैच की दोनों पारियों में तेंदुलकर ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर छेड़छाड़ करने के चक्कर में आउट हुए थे।
दृढ़ इच्छाशक्ति का दूसरा नाम सचिन तेंदुलकर: इसके बाद चौथे टेस्ट मैच में जब सचिन मैदान पर उतरे तब उन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि उन्हें क्रिकेट का भगवान क्यों कहा जाता है। लिटिल मास्टर ने अपनी 613 मिनट की मैराथन पारी के 436 का सामना किया। ये आत्म-संयम, साधु- धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति की ऐसी पारी थी जिसे देखने वाले लोग इसे कभी नहीं भूल पाएंगे।
On this day in 2004, Sachin Tendulkar registered a marathon unbeaten 241 against Australia at the SCG.
— ICC (@ICC) January 4, 2022
And he did it without playing a single cover drive pic.twitter.com/MHI0KV6wzs
33 चौके जड़े लेकिन एक भी कवर ड्राइव नहीं: सचिन तेंदुलकर ने एक भी कवर ड्राइव खेले बिना 241 रनों की पारी खेली। नाबाद 241 रनों की पारी के दौरान मास्टर-ब्लास्टर के बल्ले से 33 चौके निकले थे। सचिन ने कवर ड्राइव ना खेलने पर कहा, 'ऑफ स्टंप से बाहर फेंकी गई गेंदों पर मैं कई बार आउट हो चुका था। इसलिए मैंने कवर ड्राइव नहीं खेलने का फैसला किया।'