भारत में क्रिकेट के अलावा अन्य लोकप्रिय खेलों में बैडमिंटन शीर्ष पर है। इसमें पुलेला गोपीचंद का बड़ा योगदान रहा है। पहले खिलाड़ी के रूप में और अब कोच के रूप में गोपीचंद इस खेल को लोकप्रिय और करियर की दृष्टि से अवसरपूर्ण बनाने में अपनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। वर्तमान समय में गोपीचंद राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के कोच के रूप में कार्यरत हैं। गोपीचंद ने कुछ महीनों पूर्व एक बयान में कहा था कि अमीर लोगों को ही अपने बच्चों को खेल के क्षेत्र में भेजना चाहिए। गोपीचंद के 52वें जन्मदिन पर आइए जानते हैं कि उन्होंने आखिर ऐसा क्यों कहा था।
पुलेला गोपीचंद ने कुछ महीने पहले कहा था कि अमीर लोगों को ही अपने बच्चों को खेल के क्षेत्र में भेजना चाहिए। उन्होंने कई खिलाड़ियों का उदाहरण भी दिया था जिन्होंने करियर की समाप्ति के बाद आर्थिक परेशानी का सामना किया और सरकार से सहायता मांगी थी।
एक खिलाड़ी और कोच के रूप में गोपीचंद बेहद सफल हैं। इसलिए दोनों किरदारों के संघर्ष को भी अच्छी तरह जानते हैं। खेल निश्चित तौर पर सफलता की स्थिति में दौलत और शोहरत देता है, लेकिन असफलता की स्थिति में गुमनामी के अलावा कुछ नहीं मिलता। खेल महंगा भी हो गया है। क्रिकेट अकादमी हो या बैडमिंटन अकादमी या फिर किसी अन्य खेल से जुड़ा संस्थान, ट्रेनिंग काफी महंगी हो गई है। एक साधारण परिवेश का खिलाड़ी अकादमी में जाना अफोर्ड नहीं कर सकता है। अकादमी में ही अच्छे कोच हैं, ऐसे में बिना कोचिंग के खिलाड़ी की क्षमता और प्रतिभा निखर नहीं सकती। वहीं खेल के क्षेत्र में लंबे संघर्ष के बाद भी असफलता मिलने के बाद खिलाड़ियों के पास किसी दूसरे क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का अवसर और क्षमता कम हो जाती है।