Advertisement
Advertisement
Advertisement

मिट्टी के घर में रहता था, दादा की दया और खुद की मेहनत से बदल दी ज़िंदगी

Sudip Kumar gharami inspiring story helped by sourav ganguly : सुदीप कुमार घरामी, एक ऐसा नाम जो बहुत कम लोग जानते होंगे लेकिन जब आप इस लड़के की कहानी को जानेंगे तो आप भी इस खिलाड़ी को सलाम करेंगे।

Shubham Yadav
By Shubham Yadav June 06, 2022 • 17:48 PM
Cricket Image for मिट्टी के घर में रहता था, दादा की दया और खुद की मेहनत से बदल दी ज़िंदगी
Cricket Image for मिट्टी के घर में रहता था, दादा की दया और खुद की मेहनत से बदल दी ज़िंदगी (Image Source: Google)
Advertisement

रणजी ट्रॉफी 2022 के पहले क्वार्टरफाइनल में बंगाल का सामना झारखंड से हो रहा है और पहले दिन का खेल खत्म होने तक बंगाल की टीम ने मैच पर अपनी पकड़ मजबीूत कर ली और इसका श्रेय अगर किसी खिलाड़ी को जाता है तो उसका नाम है सुदीप कुमार घरामी। घरामी ने इस करो या मरो वाले मुकाबले में बंगाल के लिए शतक जड़कर उनको ड्राइविंग सीट पर पहुंचा दिया।

फिलहाल घरामी भी 204 गेंदों में 106 रन बनाकर नाबाद हैं और वो दूसरे दिन चाहेंगे कि इस शतक को एक बड़े स्कोर में तब्दील किया जाए। पहले दिन का खेल खत्म होने तक बंगाल ने 89 ओवर में 1 विकेट के नुकसान पर 310 रन बना लिए हैं। इस मैच में शतक लगाने के बाद एकदम से सुदीप कुमार घरामी लाइमलाइट में आ गए हैं और लोग इनके बारे में सर्च करना भी शुरू कर चुके हैं।

Trending


अगर आप भी घरामी के बारे में जानना चाहते हैं तो चलिए आपको उनकी कहानी बताते हैं। घरामी साल 2020 से पहले एक मिट्टी के घर में रहते थे और उनके घर की हालत भी काफी खराब थी। उनके पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं जबकि उनकी माता जी गृहिणी हैं। अगर आप घरामी को आज इस लेवेल पर खेलते हुए देख रहे हैं तो इसके पीछे बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली का बहुत बड़ा हाथ है। गांगुली ने उन्हें एक अंडर-23 टूर्नामेंट में खेलते हुए देखा था जिसके बाद उन्होंने इस खिलाड़ी को निखारने के लिए फास्टट्रैक करवाया।

इसके बाद संयोग से, जिस तरह 1990 में सौरव गांगुली ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में अपना डेब्यू किया था वैसे ही इस युवा खिलाड़ी ने भी साल 2020 के खिताबी मुकाबले में बंगाल के लिए खेलते हुए सौराष्ट्र के खिलाफ राजकोट के खंडेरी स्टेडियम में पदार्पण किया।

2019 में U-23 टूर्नामेंट जीतने के बाद उन्होंने जो पैसा कमाया, उससे उन्हें संपत्ति बनाने में मदद मिली। घरामी ने अपनी कहानी बयां करते हुए खुद एक वेबसाइट को बताया, “मैं नैहाटी में पैदा हुआ था और मैं छोटी उम्र से ही क्रिकेटर बनना चाहता था। हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं था। मेरे पिता एक राज मिस्त्री के रूप में काम करते थे। लेकिन वो वास्तव में मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते थे। मुझे वो सब कुछ देने के लिए जो मुझे चाहिए था, वो लोगों से पैसे उधार लेते थे।"

ज़ाहिर है कि एक मिट्टी के घर में रहने वाला युवा खिलाड़ी आज अगर बड़े लेवेल पर क्रिकेट खेल रहा है तो इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत का बहुत बड़ा हाथ है और साथ ही अगर दादा का साथ ना मिला होता तो शायद उन्हें यहां पहुंचने के लिए और लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता था।


Cricket Scorecard

Advertisement