'35 साल के रोहित शर्मा को टेस्ट टीम का कप्तान बनाना एक इमोशनल फैसला था'
रोहित शर्मा को उस वक्त टेस्ट टीम की कप्तानी दी गई जिस उम्र में क्रिकेटर अपना करियर खत्म कर रहे होते हैं। रोहित शर्मा का चोटिल होने का लंबा इतिहास भी रहा है।
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टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी युवराज सिंह का मानना है कि रोहित शर्मा को टेस्ट कप्तान बनाना बीसीसीआई और चयनकर्ताओं द्वारा लिया गया इमोशनल फैसला था। इस साल की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत की 1-2 से सीरीज हार के बाद विराट कोहली ने टेस्ट कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था। चूंकि रोहित के पास पहले से ही ODI और T20I टीम की बागडोर थी,इसलिए टेस्ट कप्तान के रूप में उनकी नियुक्ति महज औपचारिकता थी।
युवराज सिंह ने होम ऑफ हीरोज शो में रोहित शर्मा के बारे में बोलते हुए कहा, 'बेहतरीन लीडर। जब मैं मुंबई इंडियंस के लिए खेल रहा था तो मैं उनके अंडर में खेला था। बहुत अच्छा सोचते हैं वो, बहुत अच्छे कप्तान हैं वो। रोहित को कम से कम वाइट बॉल क्रिकेट में कुछ समय पहले कप्तान बना देना चाहिए था। लेकिन चूंकि विराट इतना अच्छा कर रहे थे और टीम भी अच्छा कर रही थी तो यह आसान नहीं था।'
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युवराज सिंह ने आगे कहा,'मुझे लगा कि टेस्ट क्रिकेट में उन्हें कप्तान बनाना एक इमोशनल फैसला था। जब उन्हें कप्तान बनाया तो फिटनेस के अधीन घोषित किया गया। आप फिटनेस के अधीन अपने टेस्ट कप्तान की घोषणा नहीं कर सकते। वो काफी ज्यादा चोटिल होते हैं। वह उस उम्र में है जहां उसे अपने शरीर की देखभाल करनी चाहिए।'
युवराज सिंह ने कहा, 'इससे उन पर टेस्ट कप्तानी का भी दबाव बनेगा। उन्हें टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग करते हुए अभी कुछ ही साल हुए हैं। वह अच्छा खेल रहा है। इस खिलाड़ी को टेस्ट क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना दीजिए। मुझे आशा है कि वह आनंद लेंगे, मैदान पर 5 दिनों तक खड़े रहना आसान नहीं है।'
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कई लोगों की राय थी कि बीसीसीआई को कुछ अन्य विकल्पों पर गौर करना चाहिए क्योंकि रोहित शर्मा उस समय 34 साल के थे और चोटिल होने का उनका लंबा इतिहास रहा है। हैमस्ट्रिंग की समस्या से वो काफी जूझ हैं और उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण सीरीज छोड़नी पड़ी है।