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सबसे बदनसीब क्रिकेटर: वनडे में 268 रनों की पारी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया,करीब 17000 रन के बावजूद नहीं मिला टीम में मौका 

21 नवंबर 2022 को बेंगलुरु में तमिलनाडु के बल्लेबाज नारायण जगदीसन (Narayan Jagadeesan) ने विजय हजारे ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के विरुद्ध 141 गेंद में 277 रन बनाकर लिस्ट ए क्रिकेट (वनडे) में सबसे बड़े स्कोर का वर्ल्ड...

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एली ब्राउन वनडे में 268 रनों की पारी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया,करीब 17000 रन के बावजूद नहीं मिला टीम म
एली ब्राउन वनडे में 268 रनों की पारी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया,करीब 17000 रन के बावजूद नहीं मिला टीम म (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Nov 28, 2022 • 12:26 PM

21 नवंबर 2022 को बेंगलुरु में तमिलनाडु के बल्लेबाज नारायण जगदीसन (Narayan Jagadeesan) ने विजय हजारे ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के विरुद्ध 141 गेंद में 277 रन बनाकर लिस्ट ए क्रिकेट (वनडे) में सबसे बड़े स्कोर का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इसके लिए 2002 में ग्लैमॉर्गन के विरुद्ध मैच में, सरे के एलिस्टर ब्राउन (Ali Brown) के 268 के रिकॉर्ड को तोड़ा- ये चेल्टनहैम एंड ग्लूस्टर ट्रॉफी का मैच था।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
November 28, 2022 • 12:26 PM

मौजूदा दौर टी20 क्रिकेट का है और कई बल्लेबाज वनडे क्रिकेट को टी20 की स्टाइल में खेल रहे हैं। जब ब्राउन ने 268 रन के साथ लिमिटेड ओवर क्रिकेट में सबसे बड़ा स्कोर बनाया तो टी20 क्रिकेट नहीं थी। ऐसे स्कोर बनाना तब आसान नहीं था। उन्होंने तब ग्रीम पोलक का जो पिछला रिकॉर्ड तोड़ा वह 222 रन (1974-75 में बॉर्डर के विरुद्ध वेस्टर्न प्रोविंसके लिए) का था। ब्राउन- 30 चौके, 12 छक्के और 160 गेंद खेले। पहले 100 रन 80 गेंद में लेकिन अगली 54 गेंद में 10 चौके और 6 छक्के लगाकर लिस्ट ए क्रिकेट में अपना दूसरा दोहरा शतक पूरा किया (पहला : 1997 में हैम्पशायर के विरुद्ध 40 ओवर के एक्सा लाइफ लीग मैच में 119 गेंद में 203 रन)। यूं तो इस मैच में कई और रिकॉर्ड भी टूटे पर ये खास थे :

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*  सरे का 438-5 का स्कोर- वनडे मैच में सबसे बड़ा स्कोर। 
*  एक वनडे मैच में सबसे ज्यादा रन (सरे 438+ ग्लैमर्गन 429) बने।
*  सबसे महंगी वनडे गेंदबाजी- डैरेन थॉमस 9 ओवर में 108 रन। लिमिटेड ओवर क्रिकेट में 9 ओवर के सबसे महंगे स्पैल का रिकॉर्ड।    

जिस तरह जगदीसन के रिकॉर्ड के जिक्र में ये कहा जा रहा है कि एक कमजोर टीम के साधारण दर्जे के आक्रमण के विरुद्ध रिकॉर्ड बनाया- उसी तरह ब्राउन के रिकॉर्ड में इस बात का जिक्र होता है कि एक तरफ बाउंड्री सिर्फ 60 गज की थी और बल्लेबाजों ने इसका पूरा फ़ायदा उठाया। सरे के कप्तान एडम होलियोक ने टॉस जीता और बैटिंग को चुना। इयान वार्ड (97) और अली ब्राउन ओपनर और रिकॉर्ड बनते गए। सरे के 438-5 के जवाब में ग्लैमॉर्गन की शुरुआत भी अच्छी थी- मार्टिन बिकनेल के पहले ओवर में 20 रन। रॉबर्ट क्रॉफ्ट (75 गेंद में 119) तथा डेविड हेम्प (102) का शतक पर उनकी टीम 9 रन से हार गई। आख़िरी 3 गेंद में 12 रन की जरूरत थी जो नहीं बने।  

वनडे क्रिकेट में इसके बाद भी बड़े स्कोर बने पर ब्राउन के 268 तो मानो एवरेस्ट हों- रोहित शर्मा 2014 में, एक वनडे इंटरनेशनल में 264* पर थे और रिकॉर्ड तोड़ने के लिए उनके पास सिर्फ एक गेंद थी। इस चक्कर में आउट हो गए- रिकॉर्ड नहीं टूटा।  

जगदीसन अभी इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेले हैं पर ब्राउन 16 वनडे इंटरनेशनल खेल चुके थे। ओल्ड ट्रैफर्ड में भारत के विरुद्ध 118 (जब इंग्लैंड ने 237 रन को चेज किया) इसमें सबसे ख़ास थे। ख़ास बात ये है कि सेलेक्टर उनके इस 268 के रिकॉर्ड स्कोर से कतई प्रभावित नहीं हुए और उन्हें इस रिकॉर्ड पारी की बदौलत कोई और इंटरनेशनल मैच नहीं खिलाया। उस समय उन्हें इयान बॉथम जैसा पावरफुल हिटर कहते थे। ब्राउन ने कभी इस पर अफ़सोस जाहिर नहीं किया। उन्हें इस बात की जरूर निराशा थी कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट में लगभग 17,000 रन बनाने के बावजूद कभी टेस्ट टीम में नहीं आ पाए। 

उस इंग्लिश सीजन में नेटवेस्ट वनडे ट्राई-सीरीज़ खेली जा रही थी इंग्लैंड में (अन्य दो टीम : भारत और श्रीलंका) पर ब्राउन को नहीं बुलाया था और शायद उसी का जवाब दिया उन्होंने। शायद सेलेक्टर ये मान चुके थे कि ब्राउन घरेलू क्रिकेट वाली फार्म इंटरनेशनल क्रिकेट में नहीं दिखाते।  

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 वे बल्लेबाजी/रिकॉर्ड में टेड डेक्सटर के करीब भी नहीं थे पर उन्हीं के नाम से प्रभावित 'लॉर्डी' का निकनेम मिला उन्हें। द ओवल स्टेडियम में उनकी इस बेमिसाल पारी को याद रखने का एक और तरीका है- वहां की बार को '268 बार' का नाम दे दिया। वह ब्राउन का बेनिफिट साल था- कई क्रिकेट प्रेमियों ने उन्हें 268 पाउंड का चेक दिया। 1996 में भारत के विरुद्ध ओवल में, वनडे डेब्यू पारी में 52 गेंद में 37 रन बनाए थे तो द टाइम्स ने उन्हें 'जोकर' का टाइटल दिया था। 2011 तक खेलते रहे थे।
 

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