हम उस समय की बात कर रहें है जब क्रिकेट को सब बुल गए थे,काफी समय तक कोई क्रिकेट नहीं खेल पाया था। यह है पहला विश्व युद्ध। हालांकि सकंट के बादल तो 1914 से पहले ही मंडरा रहे थे लेकिन औपचारिक तौर पर पहले विश्व युद्ध की शुरूआत अगस्त 1914 में हुई। जैसे की महीना खुद संकेत दे रहा है उस समय सिर्फ इंग्लैंड में क्रिकेट चल रहा था। तब आज की तरह मैचों की गिनती ज्यादा नहीं थी और इंग्लैंड में जब क्रिकेट सत्र चलता था तो और किसी भी देश मे क्रिकेट नहीं खेली जाती थी। इंग्लैंड मे काउंटी चैंपियनशिप के मैच चल रहे थे।
जैसे ही इंग्लैंड में जर्मनी से लड़ाई की घोषणा की तो वैसे ही इसे विश्व युद्ध का नाम दे दिया। क्योंकि यह बहुत बड़ी लड़ाई थी। दोनों देशों के अपने अपने गुट थे और वास्तव में लड़ाई में कई देश शामिल हो गए थे। इसलिए इसे विश्व युद्ध का नाम दिया गया। ये लड़ाई इतनी बड़ी थी कि इंग्लैंड में काउंटी चैंपियनशिप में जो मैच खेले जा रहे थे उन्हें लड़ाई शुरू होते ही मैच के बीच में रोक दिया गया। ये भी इंतजार नहीं किया गया कि वह मैच खत्म तो हो जाते। यह भी नहीं सोचा गया कि कोशिश तो की जाए कि खेलों को विश्व युद्ध से दूर रखा जाए। उस समय हर को विश्व युद्ध में इस तरह शामिल था कि क्रिकेट की तो किसी को चिंता नहीं थी। इसलिए जब काउंटी चैंपियनशिप के मैच रोके या विश्व युद्ध की वजह से इंटरनेशनल लेवल पर भी मैचों का आयोजन रूक गया तो किसी ने इसकी चिंता भी नहीं की।
पहले विश्व युद्ध के कारण 6 साल से ज्यादा तक इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेला गया था। हालांकि मैच तो कम होते थे लेकिन कम से कम इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच तो मुकाबला चलता रहता था। इन दोनों टीमों के मैच साउथ अफ्रीका के साथ होते थे और वे भी रूक गए। इस तरह विश्व युद्ध के कारण किसी का ध्यान क्रिकेट खेलने पर नहीं था।