Cricket History - जब भारत के पारसी क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड को दी थी चुनौती
भारतीय क्रिकेट इतिहास (पार्ट १) कहने को तो भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला था, लेकिन भारतीय क्रिकेट इतिहास का पन्ना कुछ और ही कहता है।दरअसल, जिन भारतीयों ने पहली बार क्रिकेट खेली थी वो
भारतीय क्रिकेट इतिहास (पार्ट १)
कहने को तो भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच 1932 में इंग्लैंड के विरुद्ध खेला था, लेकिन भारतीय क्रिकेट इतिहास का पन्ना कुछ और ही कहता है। दरअसल, जिन भारतीयों ने पहली बार क्रिकेट खेली थी वो कोई पेशेवर खिलाड़ी नहीं थे बल्कि पारसी समुदाय के लोग थे। पारसियों की यह टीम अकसर बॉम्बे के मैदान पर क्रिकेट खेला करती थी और इस दौरान सबसे दिलचस्प बात यह थी कि वो बल्ले की जगह धूप और बारिश से बचने वाले छाते का इस्तेमाल किया करते थे।
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साल 1848 में भारत के पारसियों ने 'ओरिएंटल क्लब' का गठन किया और फिर दो साल बाद यानी 1850 में उनके द्वारा 'यंग जोरोस्ट्रीयन क्लब' बनाया गया। उन्होंने तब उस दौर के मशहूर बॉम्बे जिमखाना क्लब में खेल रहे ब्रिटिश क्रिकेटरों को चुनौती देनी शुरू कर दी।
लेकिन अंग्रेजों को अपने सामने किसी और का इस खेल में रुचि लेना या जीतना पसंद नहीं था। इसी क्रम में एक घटना हुई जब 1876 में पारसियों ने एक मैच जीता और तब मैदान पर मौजूद दर्शकों ने इसका जश्न मनाना शुरू किया। अंग्रेजी हुकूमत को यह बात हजम नहीं हुई और ब्रिटिश फौजियों ने मैदान पर बैठे दर्शकों को बेल्ट से पीटा और उन्हें प्रताड़ित किया।
इन सभी घटनाओं के बावजूद पारसी खिलाड़ियों ने खुद को क्रिकेट से जोड़े रखा। अपने खेल में निखार लाते हुए खुद को इस कदर मजबूत किया कि उन्होंने अपने दम पर ही इंग्लैंड दौरा करने का मन बनाया। उन्होंने सर्रे के रोबर्ट हेंडरसन को बतौर कोच नियुक्त किया। यहां तक कि अपने जेब से खर्च देकर साल 1886 में उन्होंने इंग्लैंड का रुख किया।
साल था 1886 का और भारत की पारसी क्रिकेट टीम धनजीशॉ 'डीएच पटेल' की अगुवाई में इंग्लैंड रवाना हुई। हालांकि इस दौरान इन्हें 'नॉर्मनहर्स्ट' के खिलाफ केवल एक ही मैच में जीत हासिल हुई, 8 मुकाबले ड्रॉ हुए और 19 में हार मिली। लेकिन तब एक अच्छी बात यह रही कि पारसी टीम से शापूरजी भेदवार हैट्रिक हासिल करने के लिए सुर्खियों में रहें।
हालांकि पारसी क्रिकेट टीम यहीं नहीं रुकी और उन्होंने साल 1888 में एक बार फिर उन्होनें इंग्लैंड का दौरा किया। तब पारसी जिमखाना ने पूरी टीम का खर्च उठाया। इस दौरे के हीरो रहे डॉक्टर मेहलाशा 'एमई' पावरी। इन्हें भारत का सबसे पहला महान क्रिकेटर भी कहा जाता है।