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Cricket Tales: जब ढेरों दर्शक इंग्लैंड के खिलाडी टोनी ग्रेग के खून के प्यासे हो गए थे

क्रिकेट के अनसुने किस्से (Cricket Tales) - हाल ही में लॉर्ड्स में जॉनी बेयरस्टो के, गेंद के डैड होने से पहले, क्रीज से आगे निकलने पर ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर के उन्हें स्टंप आउट करने का विवाद आज 'बहुत बड़ा' बन...

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti July 14, 2023 • 14:07 PM
Tony Greig-Alvin Kallicharran
Tony Greig-Alvin Kallicharran (Image Source: Google)
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क्रिकेट के अनसुने किस्से (Cricket Tales) - हाल ही में लॉर्ड्स में जॉनी बेयरस्टो के, गेंद के डैड होने से पहले, क्रीज से आगे निकलने पर ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर के उन्हें स्टंप आउट करने का विवाद आज 'बहुत बड़ा' बन गया है।  कई नए-पुराने क्रिकेटर तो इस पर बोले ही- इन दोनों देश के पीएम भी इस विवाद पर आपस में टकरा गए और माहौल और खराब हो गया। 'स्पिरिट ऑफ़ क्रिकेट' का एक ऐसा किस्सा जिसमे हालात ऐसे हो गए थे कि ढेरों दर्शक इंग्लैंड के खिलाडी टोनी ग्रेग के खून के प्यासे थे और स्टेडियम में दंगा भड़कने का पूरा माहौल बन गया था।

दिन था 3 फरवरी, 1974 का। वेस्टइंडीज के बरनार्ड जूलियन ने दिन की आखिरी गेंद को पिच के करीब खेला। टोनी ग्रेग ने सिली मिड ऑफ़ पर गेंद को फील्ड किया पर तभी देखा कि नॉन-स्ट्राइकर एल्विन कालीचरन पवेलियन की तरफ चल दिए हैं। ग्रेग ने उसी क्षण गेंद उनके स्टंप्स पर मारी- निशाना बिल्कुल सही रहा और अपील पर अंपायर ने कालीचरन को रन आउट दे दिया। शोर पर कालीचरन रुके, मुड़ कर देखा कि क्या हो रहा पर वे कुछ नहीं कर पाए और आउट के इशारे ने उन जैसे शांत क्रिकेटर का भी 'पारा' एकदम बढ़ा दिया- वे गुस्से में बैट जमीन पर पटकते हुए पवेलियन चले गए। पहले तो दर्शकों को समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या है पर जब स्टेडियम पर लगे स्कोर बोर्ड पर स्कोर 274-6 से बदलकर 274-7 किया गया तो उन्हें सब समझ आ गया। वे पवेलियन लौट रहे ग्रेग के वहीं खून के प्यासे हो गए और बुरी तरह से गालियां दे रहे थे- शोर कर रहे थे।

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शुरू से देखें तो ये सीरीज का पहला टेस्ट था। माइक डेनेस टॉस हारे और ओवरकास्ट कंडीशन में उन्हें बल्लेबाजी के लिए कहा गया। नतीजा- इंग्लैंड 131 रन पर आउट। दूसरे दिन विकेट तो वेस्टइंडीज के भी गिरे पर छोटे कद के गुयाना के खब्बू कालीचरन जम गए और 30,000 से ज्यादा की भीड़ ने उनकी बल्लेबाजी का खूब मजा लिया। दिन की आख़िरी गेंद और स्कोर 274-6 था। गेंदबाज- डेरेक अंडरवुड थे। ग्रेग क्या, उस वक्त तो 142* पर बल्लेबाजी कर रहे कालीचरन को आउट करने के लिए हर कोई बेताब था। नॉन स्ट्राइकर कालीचरन क्रीज से बाहर निकले पर जब देखा कि ये रन वाला स्ट्रोक नहीं है तो इसे ओवर और दिन के खेल का अंत मानकर, वहीं से पवेलियन की तरफ चल दिए। ये सच है कि अंपायर डगलस सांग ह्यू ने तब तक 'ओवर' की आवाज नहीं लगाई थी और ग्रेग की बायोग्राफी के लेखक डेविड टॉसेल के अनुसार, अंपायर के पास बल्लेबाज को आउट देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। क्रिकेट लॉज़ के मुताबिक कालीचरन आउट थे।

सब्स्टीट्यूट ज्योफ अर्नोल्ड ने बाद में लिखा- 'भीड़ इतने गुस्से में थी कि हमें पीट-पीट कर मार डालते। भीड़ पागल हो गई थी और मुझे लगा कि हम त्रिनिदाद से ज़िंदा बाहर नहीं निकल पाएंगे।' मजे की बात ये है कि ब्रिटिश मीडिया भी उस समय टोनी ग्रेग के साथ नहीं था। अगर ये कांड जमैका या गुयाना में हुआ होता तो पक्का है कि हालात इससे भी खराब होते।

तब तक दो बड़ी ख़ास बातें सामने आईं। पहली तो ये कि सिर्फ कालीचरन ने ही इसे 'ओवर और दिन के खेल का अंत' नहीं माना था- खुद इंग्लैंड के विकेटकीपर एलन नॉट ने भी खेल खत्म मानकर स्ट्राइकर के स्टंप्स से बेल्स हटा दी थीं- जब नॉन स्ट्राइकर सिरे पर काली को आउट दिया तो दूसरे सिरे के स्टंप्स से बेल्स हटी हुई थीं। दूसरी ये कि अंपायर का इशारा देखकर पहले तो स्कोर बोर्ड ऑपरेटर ने स्कोर 274-7 किया और फिर अपने आप ही वापस 274-6 कर दिया। उस ऑपेरटर की इस 'गलती' ने इंग्लैंड के क्रिकेटरों की जान बचा दी- भीड़ को लगा कि आउट का फैसला बदल गया है। तब भी स्टेडियम से, इंग्लिश टीम बस में टोनी ग्रेग को होटल नहीं भेजा गया क्योंकि गेट पर हजारों की भीड़ जमा थी।

वेस्टइंडीज बोर्ड ने और पुलिस बुला ली और वे जानते थे कि हालात काबू न किए तो दंगा सड़कों पर भी होगा। खिलाड़ी होटल चले गए लेकिन दोनों टीम के कप्तान और मैनेजर रोक लिए। इंग्लिश कप्तान डेनेस के साथ मैनेजर डोनाल्ड कैर थे जो खुद कप्तान रहे थे और जानते थे कि वेस्टइंडीज में खेलना क्या होता है? मीटिंग हुई बोर्ड अधिकारियों के साथ और इंग्लिश प्रतिनिधियों को बता दिया गया कि उनके सामने अपील वापस लेने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है। तीन घंटे की मीटिंग के बाद, इंग्लैंड मैनेजमेंट ने अपील वापस लेने की रजामंदी दे दी जिसका मतलब था कालीचरन आगे खेल सकेंगे। एक बयान जारी किया गया, जिसमें लिखा था कि टोनी ग्रेग का इरादा स्पिरिट ऑफ क्रिकेट तोड़ने का नहीं था और जो हुआ, उस पर उन्हें दुःख है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये सब जबरदस्ती हो रहा था।

अर्नोल्ड का मानना था कि अगर अगली सुबह कालीचरन को बल्लेबाजी न करने दी होती तो 'उन्होंने हमें मार डाला होता'। डेनेस ने बताया- 'जब मैं तीसरे दिन खेल की शुरुआत के लिए ग्राउंड गया तो दर्शक मुझे छोटे-छोटे बैग खोल कर दिखा रहे थे जो कांच की खाली बोतलों से भरे हुए थे। वे कह रहे थे- उम्मीद है कल्ली बल्लेबाजी करेगा। यदि नहीं तो ये आपके लिए हैं। मुझे लगता है कि हमने अपील वापस लेने का सही फैसला लिया।'

एक दिन के रेस्ट के बाद, तीसरे दिन की सुबह ऑफिशियल तौर पर इंग्लैंड टीम ने अपील वापस ली और कालीचरन बैटिंग के लिए आए। वे कुल 158 रन बनाकर आउट हुए।

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इतना सब हो जाने के बावजूद वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड का सुझाव था कि ग्रेग को सीरीज के बीच से इंग्लैंड वापस घर भेज दिया जाना चाहिए। इंग्लैंड ने इस से इंकार कर दिया। टोनी ग्रेग पूरी जिंदगी ये कहते रहे कि क्रिकेट को लॉ में खेल कर उन्होंने क्या गलत किया था?


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