पिछले दिनों खेले टी20 वर्ल्ड कप के दौरान दो जिक्र खूब हुए- बरसात और डीएलएस (DLS) सिस्टम के। इन के साथ, फ्रैंक डकवर्थ (Frank Duckworth) का नाम भी चर्चा में आ गया। क्या है इन तीनों के बीच आपस में संबंध? जिस डीएलएस सिस्टम को इस समय, लिमिटेड ओवर क्रिकेट में बरसात या किसी और वजह से प्रभावित मैच का स्पष्ट नतीजा निकालने के लिए, नया लक्ष्य तय करने में इस्तेमाल किया जाता है वह इन्हीं फ्रैंक डकवर्थ की देन है। बरसात और ये सिस्टम चर्चा में थे तो संयोग से इसी दौरान फ्रैंक डकवर्थ का 84 साल की उम्र में निधन हो गया। टोनी लुईस 78 साल की उम्र में 2020 में ही चले गए थे।
गणना का तरीका डकवर्थ ने सोचा पर उसे मैच में सही तरह लागू करने के फार्मूले में बदलने में उनके पहले साथी थे टोनी लुईस (Tony Lewis) और इस तरह शुरू हुई वह चर्चित पार्टनरशिप। तब ये डकवर्थ एंड लुईस मेथड (Duckworth & Lewis Method) था। तीसरा नाम, कई साल बाद जुड़ा और ये इस सिस्टम के मौजूदा कस्टोडियन स्टीवन स्टर्न
(Steven Stern) का है। समय के साथ तथा मैचों के दौरान आई दिक्कतों को देख कर डकवर्थ और लुईस, अपने इस नया लक्ष्य निकालने के तरीके में बदलाव करते रहे पर बढ़ती उम्र में, और वनडे के साथ-साथ इसे टी20 के लिए भी सही बनाने में, उन्हें मदद की जरूरत थी जो स्टर्न से मिली। इस तरह ये बन गया डकवर्थ, लुईस एंड स्टर्न मेथड (Duckworth, Lewis & Stern Method) जिसे नाम बिगाड़ कर, सब जगह डकवर्थ, लुईस एंड स्टर्न सिस्टम या डीएलएस सिस्टम (DLS) लिख दिया जाता है।
लिमिटेड ओवर क्रिकेट में बीच में रुकने वाले मैच में नए लक्ष्य के झगड़ों को इन के गणना के तरीके ने लगभग खत्म ही कर दिया। पहली बार इस तरीके से इंटरनेशनल क्रिकेट में गणना की 1997 में पर सभी इंटरनेशनल क्रिकेट में इसके इस्तेमाल की मंजूरी आईसीसी ने 2001 में दी। आईसीसी की नजर में इनका ये गणना का तरीका, क्रिकेट को किसी से भी मिले सबसे बड़े योगदान में से एक है। गणना का फार्मूला बनाने में खूब दिमाग लगाया पर वास्तव में ये सब हैं कौन और कितना क्रिकेट जानते हैं? इस सवाल का जवाब जहां एक तरफ बड़ा मजेदार है, वहीं हैरान भी कर देगा। विश्वास कीजिए इसके बारे में सबसे पहले सोचने वाले फ्रैंक डकवर्थ न तो क्रिकेटर थे और न ही क्रिकेट के बड़े जानकार।
फ्रैंक एक इंग्लिश सांख्यिकीविद (स्टेटिस्टीशियन- Statistician) थे- Royal Statistical Society (RSS) के सदस्य। इस सोसाइटी में जो काम होता था उसकी जानकारी देने के लिए एक बुलेटिन छपता था और RSS News नाम के इस बुलेटिन के वे संपादक थे। और देखिए- उनके पास डिग्री थी धातु विज्ञान (Metallurgy) की। बाद में स्टेटिस्टीशियन के लिए क्वालीफाई किया। इस सब का क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं था। बस थोड़े शौकीन थे क्रिकेट के।