सिर्फ भारत में ही नहीं, पूरी क्रिकेट की दुनिया में इस खबर को बड़ी चर्चा मिली कि जय शाह (Jay Shah) को आईसीसी (ICC) का अगला चेयरमैन बनने के लिए चुन लिया। ये पोस्ट उन्हें 1 दिसंबर 2024 को मिलेगी। मौजूदा चेयरमैन ग्रेग बार्कले तीसरा टर्म नहीं ले रहे और इसी से आईसीसी के अगले चेयरमैन को चुनने की चर्चा शुरू हो गई थी। आईसीसी चीफ बनने वाले 5वें भारतीय हैं वे पर ध्यान इस बात पर देना चाहिए सिर्फ कुछ साल पहले तक कोई भारतीय (ये भी कह सकते हैं कि कोई गैर ब्रिटिश) इस पोस्ट के बारे में सोच भी नहीं सकता था। आईसीसी में समय के साथ, क्रिकेट में बदलती हवा को पहचान कर जो बदलाव हुए, वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। ये सब आसान नहीं था। इसी चर्चा में, इस बात का भी जवाब छिपा है कि जगमोहन डालमिया और शरद पवार आईसीसी प्रेसीडेंट थे जबकि एन श्रीनिवासन और शशांक मनोहर चेयरमैन और इसी लिस्ट में जय शाह का नाम जुड़ रहा है। ऐसा क्यों?
जवाब के लिए शुरुआत एक इंग्लिश प्राइवेट क्लब एमसीसी (MCC) से करनी होगी। क्रिकेट इतिहास की किताबों में लिखा है कि कोई नहीं जानता कि इस क्लब को ये अधिकार किसने दिया कि वे न सिर्फ इंग्लिश क्रिकेट को कंट्रोल करें, इंग्लैंड से बाहर की क्रिकेट के लिए भी गाइडलाइन बनाएं। क्रिकेट लॉ उन्होंने लिखे और आज तक इन लॉ पर कॉपीराइट एमसीसी का है। इंग्लैंड की टीम, कुछ साल पहले तक जब इंग्लैंड से बाहर टेस्ट खेलती थी कि तो उसे एमसीसी टीम लिखते थे, न कि इंग्लैंड टीम। कुछ जगह इसका आसान सा स्पष्टीकरण ये दिया है कि एमसीसी का हेड क्वार्टर लॉर्ड्स में होने की वजह से उन्हें ये महत्व मिल गया। एमसीसी की चर्चा में तो एक ग्रंथ लिखा जा सकता है।
एडमिनिस्ट्रेशन की बात करें तो वे एक प्राइवेट क्लब होते हुए भी सालों इंग्लिश क्रिकेट को चलाते रहे और आज भी, इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) में क्रिकेट चलाने वाले 14 मेंबर के बोर्ड में वे भी हैं। सच तो ये है कि 1968 तक, वे ही इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड थे। उस साल टेस्ट एंड काउंटी क्रिकेट बोर्ड (TCCB) बना। 1997 में ये ECB बन गया और तब इंग्लैंड की टीम का विदेश में एमसीसी के नाम से खेलना रुका। ये सब इंग्लैंड का मामला बना रहता तो ठीक था पर सच ये है कि वे 1993 तक आईसीसी को भी चलाते रहे। ये मान ही लिया था कि क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन सिर्फ वे जानते हैं!