अमेरिका कैसे बना T20 World Cup 2024 का को-होस्ट? सारी कहानी यहां जान लीजिए
ये ठीक है कि जॉर्ज वॉशिंगटन ने क्रिकेट मैच खेले और 1844 में क्रिकेट की पहली इंटरनेशनल सीरीज यूएसए और कनाडा के बीच थी पर ये अभी भी समझ से बाहर है कि क्रिकेट के बुनियादी ढांचे की कमी वाला
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ऑफिशियल तौर पर इन्हें होस्ट चुनने की जो वजह बताई उसमें दम था- क्रिकेट को और डेवलप करने के लिए अमेरिका एक जोरदार बाजार है। इससे ओलंपिक रोस्टर में क्रिकेट को फिर से शामिल करने में भी मदद मिलेगी। अमेरिका में इस इवेंट के आयोजन का अनुभव, 2028 में अमेरिका के ही एक शहर में आयोजित होने वाले ओलंपिक में क्रिकेट की एंट्री में मदद करेगा।
तब भी ये कैसे नजरअंदाज कर दिया कि यूएसए में क्रिकेट के बुनियादी ढांचे की कमी है, एसोसिएशन में कोई स्थिरता नहीं, वहां कोई फर्स्ट क्लास क्रिकेट का स्ट्रक्चर नहीं- तब भी उन्हें को-होस्ट चुन लिया। जब आईसीसी से इस फैसले पर सवाल पूछे गए तो अगले कई महीने तक उनके पास कोई जवाब नहीं था।
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इससे और रायता फैला- अमेरिका क्रिकेट में गड़बड़ी/उथल-पुथल और तैयारियों की कमी को हाइलाइट किया जाने लगा। तब भी सब चुप रहे- आईसीसी के साथ-साथ दोनों मेजबान भी। आईसीसी ने बस इतना सा स्पष्टीकरण दिया कि CWI और USA क्रिकेट के संयुक्त बिड के वेल्युएशन और अच्छी तरह स्टडी करने के बाद उसे मंजूर किया गया। इस बिड को आईसीसी बोर्ड की एक सब-कमेटी ने स्टडी किया था और तब आईसीसी बोर्ड ने इस पर आख़िरी फैसला दिया। मार्टिन स्नेडेन की इस सब कमेटी में क्रिकेट की अच्छी समझ रखने वाले भूतपूर्व बीसीसीआई चीफ सौरव गांगुली और क्रिकेट वेस्टइंडीज के भूतपूर्व चीफ रिकी स्केरिट भी थे।
सिर्फ यही नहीं- सभी इवेंट के लिए आए सभी 28 प्रपोजल को इसी सब-कमेटी ने स्टडी किया था। इन्हें आईसीसी ने अपनी पॉलिसी के बारे में बता दिया था- आईसीसी वर्ल्ड कप को नए रीजन और जमे हुए बाजार में ले जाना चाहते हैं ताकि क्रिकेट को बढ़ाने के स्ट्रेटेजिक लक्ष्य तक पहुंचने में मदद मिल सके। हर बिड में आयोजन की पूरी जानकारी थी।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा कि वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी अलग-अलग देश मिल कर करेंगे पर जब भी ऐसा हुआ तो हर होस्ट का बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्टक्चर) और अपनी क्रिकेट एसोसिएशन के पैरामीटर पर दावा बड़ा मजबूत था। यूएसए इन दोनों पैरामीटर में मात खा गया और इसीलिए ये खबर भी आई कि आयोजन का सारा भार क्रिकेट वेस्टइंडीज और आईसीसी ही उठाएंगे और अमेरिका, आईसीसी का एसोसिएट मेंबर होने के नाते इसमें बड़ी भूमिका नहीं निभाएगा।
वैसे भी सीडब्ल्यूआई ने ही फुल मेंबर बोर्ड के नाते होस्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। हर आईसीसी आयोजन में ऐसा ही होता है- भले ही फुल और एसोसिएट मेंबर मिलकर मेजबान हों। 2027 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए भी ऐसा ही होगा। ये तो तब की बात है और अब जबकि इवेंट शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं- ये इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी वाली बात अभी भी सही है। यूएसए क्रिकेट के पिछले चीफ डॉ. अतुल राय ने कहा था- आईसीसी की उम्मीद के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है।
यहां तक कि फ्लोरिडा (लॉडरहिल में सेंट्रल ब्रोवार्ड रीजनल पार्क स्टेडियम- टर्फ ग्राउंड) में भी बहुत काम की जरूरत है भले ही ये स्टेडियम अब वेस्टइंडीज के वनडे की मेजबानी करता है। न ये और न अन्य कोई स्टेडियम वर्ल्ड कप जैसे बड़े आयोजन की मेजबानी के लिए पूरी तरह तैयार है। इसीलिए फटाफट मॉड्यूलर/अस्थायी स्टैंड तक पहुंच गए।
आखिरकार सबसे पहले किसने ये सोचा कि क्रिकेट वेस्टइंडीज और अमेरिका मिलकर इस आयोजन के लिए बिड करें? इस सोच के पीछे यूएसए क्रिकेट के पूर्व चीफ पराग मराठे और सीईओ इयान हिगिंस थे। हिगिंस, यूएसए क्रिकेट में आने से पहले, 2008 से 2019 तक आईसीसी में काउंसिल थे। 2015 में सीईओ का काम भी देखा। हिगिंस ने ही क्रिकेट वेस्टइंडीज को राजी किया कि इस इवेंट के लिए मिलकर बिड करें और उन्हें जरूरी समर्थन दें। इसे देखते हुए, हिगिंस को तो अभी तक यूएसए क्रिकेट के साथ होना चाहिए था पर अंदरूनी राजनीति ने उन्हें टिकने न दिया और 15 नवंबर 2021 को उन्होंने यूएसए क्रिकेट के चीफ एग्जीक्यूटिव के पद से इस्तीफा दे दिया- संयुक्त बिड की कामयाबी की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले।
हिगिंस के जाने के बाद मराठे भी ज्यादा नहीं टिक पाए और मई 2022 में इस्तीफा दे दिया। इस तरह 6 महीने के भीतर, यूएसए क्रिकेट ने दो बड़े ऑफिशियल खो दिए और तब से एसोसिएशन डगमगा रही है। विनय भीमजियानी आए और चले गए। एक साल से भी कम में दो अंतरिम चीफ मिले हैं। इन सब हालात में आईसीसी को अपना सम्मान बचाने के लिए बार-बार ये कहना पड़ा- ऑल इज वैल। एमएलसी का आयोजन जरूर किया पर सच्चाई सामने है।
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इसीलिए मार्च 2023 में तो मीडिया में ये भी आ गया था कि अमेरिका से इस टी20 वर्ल्ड कप 2024 के को-होस्ट का अधिकार छीन लिया है। फिर से आईसीसी ने ऑल इज वैल वाला संदेश दोहरा दिया। सच ये है कि अमेरिका क्रिकेट खत्म हो गई और आईसीसी ने अपने स्टाफ/कंसल्टेंट के साथ अमेरिका में क्रिकेट को जारी रखा- यहां तक कि अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइजेज (एसीई), जो कॉमर्स ब्रांच है और अमेरिका में टी20 लीग क्रिकेट और अन्य एकाउंट को देख रही है- वह सीधे आईसीसी को रिपोर्ट कर रहे हैं। आईसीसी ने अमेरिका के बारे में जो फैसला लिया- ये सब उसे ही सही ठहराने की कोशिश है।