टीम इंडिया के कई पूर्व क्रिकेटर राजनीति की पिच पर भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। गौतम गंभीर, मोहम्मद अज़हरुद्दीन, नवजोत सिंह सिद्धू, कीर्ति आजाद और चेतन चौहान जैसे चुनाव लड़े और संसद में पहुंचे जबकि सचिन तेंदुलकर और हरभजन सिंह जैसे बिना चुनाव लड़े, राज्यसभा में भेजे गए। कई इस कोशिश में फेल हुए। 2024 के आम चुनाव में यूसुफ पठान और मनोज तिवारी भी रेस में हैं।
एक बड़ा मजेदार सवाल ये है कि भारत के किस टेस्ट क्रिकेटर ने पहली बार संसद का चुनाव लड़ा? वे जीते या हारे- ये एक अलग चर्चा है। आज क्रिकेटरों को जो लोकप्रियता हासिल है, पहले ऐसा नहीं था और उनके लिए चुनाव, एक न खेल पाने वाली गुगली साबित हुए। स्वतंत्र भारत में ये रिकॉर्ड बना और मंसूर अली खान पटौदी ने विशाल हरियाणा पार्टी (अब ये नहीं है) के टिकट पर 1971 में गुड़गांव सीट से चुनाव लड़ा था।
एक और बड़ी ख़ास बात ये है कि वे उस समय एक्टिव क्रिकेटर थे और चुनाव के बाद भी टेस्ट खेले। इसकी तुलना में, और कोई भी, भारत में एक्टिव टेस्ट क्रिकेटर होते हुए, चुनाव लड़ना तो दूर राजनीति में भी नहीं आया। मनोज तिवारी विधायक बनकर फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेले- टेस्ट नहीं। पटौदी के उस समय चुनाव लड़ने की स्टोरी बड़ी रोमांचक है।