रणजी ट्रॉफी के सीजन 2023-24 के जिस एक रिकॉर्ड को सबसे ज्यादा चर्चा मिली उसमें मुंबई के तनुश कोटियन और तुषार देशपांडे ने बड़ौदा के विरुद्ध क्वार्टर फाइनल में न सिर्फ एक ही पारी में अपने-अपने 100 का रिकॉर्ड बनाया- चंदू सरवटे (124*) और शूते बनर्जी (121) के बाद, एक ही पारी में नंबर 10 और नंबर 11 के फर्स्ट क्लास 100 का रिकॉर्ड दर्ज करने वाली सिर्फ दूसरी जोड़ी बने। इसी तरह आख़िरी विकेट के लिए पार्टनरशिप में 200+ रन भी जोड़े। ये कोई मामूली प्रदर्शन नहीं है।
सब जानते हैं कि कोटियन-देशपांडे पार्टनरशिप, रिकॉर्ड बनाने की कोशिश ज्यादा थी जबकि सरवटे-बनर्जी पार्टनरशिप महत्व में इस से कहीं बेहतर थी। ये रिकॉर्ड बना 1946 में ओवल में इंडिया इलेवन-सरे मैच में और इस बार इसी पार्टनरशिप के अंदर झांकते हैं।
दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद, ब्रिटेन में 1946 सीजन से ही इंटरनेशनल क्रिकेट शुरू हुई और दूसरी तरफ ये अविभाजित भारत से क्रिकेट टूर पर गई आख़िरी टीम थी। इसी नाते ब्रिटेन में टीम के प्रदर्शन को बड़ी चर्चा मिली। भारत ने अगस्त 1936 (ओवल) के बाद पहला टेस्ट इसी टूर में खेला। कप्तान थे नवाब पटौदी सीनियर। ये मैच ओवल में था सरे के विरुद्ध- उसी ओवल में जहां पिछले 6 साल से विमान-रोधी सर्चलाइट (anti-aircraft searchlight) लगी हुई थीं और बाद में इसे एक्सिस पैराशूटिस्ट के लिए जेल में बदल दिया था।