3 भारतीय खिलाड़ी जो वनडे में कभी नहीं हुए आउट, लेकिन टीम इंडिया से हो गए हमेशा के लिए 'आउट'
भारत में क्रिकेट को एक धर्म माना जाता है और इस खेल की लोकप्रियता के चलते हर खिलाड़ी की चाहत होती है कि वो टीम इंडिया के लिए खेले और अपने देश का नाम रोशन करे। लेकिन जितनी बड़ी हमारे देश
भारत में क्रिकेट को एक धर्म माना जाता है और इस खेल की लोकप्रियता के चलते हर खिलाड़ी की चाहत होती है कि वो टीम इंडिया के लिए खेले और अपने देश का नाम रोशन करे। लेकिन जितनी बड़ी हमारे देश की जनसंख्या है और आजकल क्रिकेट में जितना कम्पीटिशन बढ़ गया है, हर खिलाड़ी का ये सपना पूरा होना मुमकिन नहीं है।
इसके बावजूद कई खिलाड़ी भारतीय टीम में तो एंट्री ले लेते हैं लेकिन उन्हें कुछ मौके देकर ही टीम से बाहर कर दिया जाता है चाहे फिर उस खिलाड़ी ने उन कुछ मौकों पर शतक या अर्द्धशतक ही क्यों ना लगाया हो। अच्छे प्रदर्शन के बाद भी कई खिलाड़ियों को भारतीय टीम से बाहर ऐसे निकाला जाता है जैसे दूध में पड़ी मक्खी को निकाला जाता है।
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तो आइए, इस आर्टिकल में हम उन तीन दुर्भाग्यशाली खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं जिन्हें भारतीय टीम में घुसने का मौका मिला और वो जितने भी वनडे मैच खेले उनमें वो आउट भी नहीं हुए लेकिन फिर भी उनका करियर खत्म हो गया।
सौरभ तिवारी
सौरभ तिवारी एक ऐसा नाम जिसने आईपीएल से अपनी पहचान बनाई और टीम इंडिया में भी जगह हासिल की लेकिन इस युवा खिलाड़ी को टीम इंडिया के लिए सिर्फ तीन वनडे मैच खेलना ही नसीब हुआ। इस दौरान तिवारी को सिर्फ दो पारियों में ही बल्लेबाजी का मौका मिला और वो इन दोनों पारियों में नॉटआउट रहे। अगले मैच में तिवारी की बल्लेबाजी नहीं आई, लेकिन फिर भी उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
फैज़ फज़ल
फैज़ फज़ल ने घरेलू क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा और यही कारण रहा कि उन्हें टीम इंडिया में भी मौका दिया गया लेकिन इस खिलाड़ी ने भी टीम इंडिया के लिए सिर्फ एक ही मैच खेला। साल 2016 में खेले गए इस वनडे मैच में जिम्बाब्वे के खिलाफ फैज़ ने नाबाद 55 रनों की पारी खेली। इस शानदार अर्द्धशतक के बाद भी उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और वो आज तक टीम में वापसी की राह ढूंढ रहे हैं।
भरत रेड्डी
भरत रेड्डी का नाम शायद आज के युवा ना जानते हों लेकिन इस खिलाड़ी को भी भारत के लिए सिर्फ तीन वनडे खेलना ही नसीब हुआ था। रेड्डी ने 1978 से लेकर 1981 तक भारत के लिए तीन वनडे खेले थे जिसमें उन्हें दो बार बैटिंग करने का मौका मिला और वो दोनों बार नाबाद रहे। इसके बाद भरत रेड्डी को भी टीम इंडिया से बाहर कर दिया और उनके करियर का भी दुखदायी अंत हो गया।