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वर्ल्ड कप 2019 की पूरी कहानी, न्यूज़ीलैंड के जबड़े से मैच छीनकर इंग्लैंड बना चैंपियन

2019 में इंग्लैंड ने पहली बार वर्ल्ड कप जीतकर अपने फैंस को खुश होने का मौका दिया। आइए आपको इस वर्ल्ड कप की पूरी कहानी विस्तार से बताते हैं।

Shubham Yadav
By Shubham Yadav September 29, 2023 • 14:31 PM
वर्ल्ड कप 2019 की पूरी कहानी, न्यूज़ीलैंड के जबड़े से मैच छीनकर इंग्लैंड बना चैंपियन
वर्ल्ड कप 2019 की पूरी कहानी, न्यूज़ीलैंड के जबड़े से मैच छीनकर इंग्लैंड बना चैंपियन (Image Source: Google)
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2019 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 12वां क्रिकेट वर्ल्ड कप था, जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा आयोजित किया गया था। इस वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड की टीमें आमने-सामने थी। पहले 50 ओवरों का मैच टाई पर समाप्त हुआ और उसके बाद सुपर ओवर भी बराबरी पर रहा जिसके बाद बाउंड्री काउंट के जरिए इंग्लैंड को विनर घोषित किया गया।

आइए आपको इस वर्ल्ड कप का पूरा इतिहास बताते हैं। 

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होस्ट

ये टूर्नामेंट 30 मई से 14 जुलाई के बीच इंग्लैंड में 10 स्थानों और वेल्स में एक ही स्थान पर आयोजित किया गया था। ये पांचवीं बार था जब इंग्लैंड ने वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी, जबकि वेल्स के लिए ये तीसरी बार था। मेजबानी के अधिकार अप्रैल 2006 में दिए गए, जब इंग्लैंड और वेल्स ने 2015 क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिए अपनी बोली वापस ले ली, जो ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेला गया था। 1975, 1979, 1983 और 1999 वर्ल्ड कप के बाद ये इंग्लैंड में खेला गया पांचवां क्रिकेट वर्ल्ड कप था।

फॉर्मैट

टूर्नामेंट के शुरुआती चरण में 10 टीमों को एक राउंड-रॉबिन के लिए एक साथ रखा गया था, जिसमें हर टीम ने दूसरी टीमों के खिलाफ एक-एक मैच खेला यानि कुल नौ टीमों के साथ खेला। टीमों को जीत के लिए दो अंक दिए गए और टाई या कोई नतीजा नहीं निकलने पर एक अंक दिया गया। इस चरण के मैचों में खराब मौसम की स्थिति में कोई आरक्षित दिन नहीं रखा गया था। सात दिनों में चार खेल बारिश की भेंट चढ़ने और आरक्षित दिनों की कमी के बारे में शिकायत किए जाने के बाद, आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेव रिचर्डसन ने कहा कि आरक्षित दिनों को शामिल करने का प्रयास "टूर्नामेंट की लंबाई में काफी वृद्धि करेगा और व्यावहारिक रूप से बेहद जटिल होगा"

इन टीमों ने लिया भाग

टूर्नामेंट में 10 टीमों ने भाग लिया था, जो पिछले संस्करण की 14 टीमों से कम था, टूर्नामेंट का प्रारूप एकल राउंड-रॉबिन समूह में बदल गया, जिसमें टॉप चार टीमों ने नॉकआउट चरण के लिए क्वालीफाई किया। इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाली टीमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका, बांग्लादेश, वेस्टइंडीज और अफगानिस्तान की थी। छह सप्ताह के राउंड-रॉबिन मैचों के बाद, जिसमें चार मैचों का कोई नतीजा नहीं निकला, भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड टॉप चार में रहे, जबकि पाकिस्तान नेट रन रेट से सेमीफाइनल में पहुंचने से चूक गया। 

सेमीफाइनल की कहानी

पहला सेमीफाइनल भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच खेला गया। बारिश के कारण ये मैच रिजर्व डे तक चला गया जहां कीवी टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 239 रन बनाए और भारत के सामने 240 रनों का लक्ष्य रखा। अगर ये कोई द्विपक्षीय सीरीज का मैच होता तो टीम इंडिया ये लक्ष्य आसानी से चेज़ कर सकती थी लेकिन ये वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल था और उसका असर भारतीय बल्लेबाजों पर देखने को भी मिला। भारत ने 92 के स्कोर पर ही अपने पहले 6 विकेट गंवा दिए थे लेकिन इसके बाद रविंद्र जडेजा और एमएस धोनी के बीच शतकीय साझेदारी हुई जिससे भारत मैच में जीत के करीब आया लेकिन पहले जडेजा और आखिर में एमएस धोनी के रनआउट होते ही भारत की उम्मीदें खत्म हो गई और भारत ये मैच 18 रन से हारकर बाहर हो गया और न्यूज़ीलैंड ने फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया।

दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामने थी और दोनों ही टीमें फाइनल के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाली थी लेकिन जब सेमीफाइनल खत्म हुआ तो इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को एकतरफा अंदाज में रौंदते हुए फाइनल के लिए क्वालिफाई किया। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 49 ओवरों में सिर्फ 223 रन बनाए और जवाब में इंग्लैंड ने ये लक्ष्य सिर्फ 32.1 ओवर में 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया।

फाइनल

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नॉकआउट चरण में, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ने अपने-अपने सेमीफाइनल जीतकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 241 रन बनाए और उसके बाद इंग्लैंड ने भी बेन स्टोक्स के अर्द्धशतक के चलते 50 ओवरों में 241 रन बनाए और मैच टाई हो गया। इसके बाद दोनों टीमों के बीच सुपर ओवर कराया गया और सुपर ओवर भी बराबरी पर रहा जिसके बाद बाउंड्री काउंटबैक नियम के आधार पर इंग्लैंड को विजेता घोषित कर दिया गया और इयोन मोर्गन की टीम पहली बार खिताब जीतने में सफल रही। 


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