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1984 एशिया कप में टीम इंडिया में एक खिलाड़ी 'जावद असकर'था, पर स्कोरकार्ड में ये नाम कहीं नहीं मिलता?

1984 का पहला एशिया कप खेला गया शारजाह में और शारजाह है अरब के उन 7 अमिरात में से एक जो मिलकर बने यूनाइटेड अरब अमिरात यानि कि यूएई। तब दुबई और शारजाह आज जैसे भव्य, आधुनिक और चकाचौंध वाले

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1984 एशिया कप में टीम इंडिया में एक खिलाड़ी 'जावद असकर'था, पर स्कोरकार्ड में ये नाम कहीं नहीं मिलता?
1984 एशिया कप में टीम इंडिया में एक खिलाड़ी 'जावद असकर'था, पर स्कोरकार्ड में ये नाम कहीं नहीं मिलता? (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Aug 20, 2023 • 07:57 PM

1984 का पहला एशिया कप खेला गया शारजाह में और शारजाह है अरब के उन 7 अमिरात में से एक जो मिलकर बने यूनाइटेड अरब अमिरात यानि कि यूएई। तब दुबई और शारजाह आज जैसे भव्य, आधुनिक और चकाचौंध वाले नहीं थे। शारजाह में इंग्लिश अखबार से ज्यादा अरबी भाषा की अखबार पढ़ी जाती थी। किसी लाइब्रेरी में, तब की कोई अरबी अखबार मिल जाए तो मैचों की रिपोर्ट में, या टीम इंडिया के जिक्र में, एक क्रिकेटर का नाम  'जावद असकर' लिखा होगा पर मजे की बात है कि इस नाम के किसी क्रिकेटर का टीम इंडिया के लिए उस एशिया कप में खेलना तो दूर, आज तक इस नाम का कोई क्रिकेटर नहीं खेला है। तो कौन था ये?

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
August 20, 2023 • 07:57 PM

असल में हुआ ये कि वहां के अरबी भाषा के अखबार तब सुनील गावस्कर को 'जावद असकर (JAVAD ASKAR)' लिखते थे। सिर्फ उस एशिया कप में ही नहीं, तब से जब शारजाह में क्रिकेट खेलने का सिलसिला शुरू हुआ। शारजाह में 1984 के एशिया कप से पहले, 1981 में गावस्कर इलेवन-जावेद मियांदाद इलेवन के बीच एक वनडे (अन-ऑफिशियल) और 1982 में दो दिन का डबल विकेट टूर्नामेंट खेले थे। नाम की ये गड़बड़ इन मैचों से ही शुरू हो गई थी। दूसरी तरफ सच्चाई ये हैं कि इन मैचों में दर्शकों की भारी भीड़ को देखकर ही अब्दुल रहमान बुख़ातिर ने 1984 में यहां एशिया कप आयोजित करने का दावा पेश किया था।

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1984 में एशिया कप के दौरान सुनील गावस्कर के नाम की इस गड़बड़ को नोट किया गया। पूरा किस्सा ये है कि जिस बड़े अरबी अखबार ने क्रिकेट की रिपोर्टिंग शुरू की उस ने गावस्कर को 'जावद असकर' लिखा। अरबी भाषा में गाव से शुरू होने वाला कोई शब्द है ही नहीं और वे गावस्कर नाम ठीक तरह से लिख नहीं पा रहे थे तो रिपोर्टर ने नाम छोटा कर दिया और वे असकर बन गए। अब जावद नाम कहां से आया? इसका जवाब ये है कि उन सालों में शारजाह में असकर नाम का एक बड़ा मशहूर और अमीर परिवार होता था और रिपोर्टर के जहन में उन्हीं का नाम घूम रहा था- उन्हीं के नाम से अरबी के जावद को भी ले लिया ताकि पढ़ने वालों को आसानी हो क्रिकेट से जुड़ने के लिए। उन सालों में वहां क्रिकेट एक नया और अजीब खेल था।
  
सुनील गावस्कर को अपने क्रिकेट करियर में तारीफ के तौर पर कई नाम मिले होंगे पर ऐसा नहीं हुआ होगा। जब और दूसरे अरबी अख़बारों ने भी क्रिकेट रिपोर्टिंग शुरू की तो उन्हें बना-बनाया नाम मिल गया और वे भी इसी नाम का इस्तेमाल करने लगे। कई साल बाद नाम कुछ सही तरह से लिखा गया।  

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