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किस्सा शेन वार्न और बेक बींस का जो एससीजी के गेट तक पहुंच गया

शेन वार्न के निधन पर, उनके प्रति, ऑस्ट्रेलिया में, श्रद्धांजलि अर्पित करने का क्रिकेट प्रेमियों का अलग-अलग तरीका था। किसी ने एमसीजी के बाहर उनकी मूर्ति पर फूल रखे तो किसी ने एससीजी के गेट पर। एक क्रिकेट प्रेमी ने

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Shane Warne Baked Beans
Shane Warne Baked Beans (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Mar 07, 2022 • 09:19 PM

शेन वार्न के निधन पर, उनके प्रति, ऑस्ट्रेलिया में, श्रद्धांजलि अर्पित करने का क्रिकेट प्रेमियों का अलग-अलग तरीका था। किसी ने एमसीजी के बाहर उनकी मूर्ति पर फूल रखे तो किसी ने एससीजी के गेट पर। एक क्रिकेट प्रेमी ने एससीजी के गेट पर बेक बींस का टिन पैक रख दिया। ये कैसा तरीका था शेन वार्न को याद करने का?

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
March 07, 2022 • 09:19 PM

असल में उस टिन पैक से, उस क्रिकेट प्रेमी ने सीधे शेन वार्न के नाम के साथ जुड़े बींस के किस्सों के साथ जोड़ दिया। ये किसी से छिपा नहीं कि न सिर्फ शेन को, उनके पूरे परिवार को बींस और स्पेगेटी खाने का बड़ा शौक था। इस साल जनवरी में ही तो उनके बेटे ने बताया था कि क्राउन केसिनो में नाश्ते की टेबल पर वार्न के एक एक्शन से हलचल मच गई थी- सब कुछ रखा था वहां नाश्ते के लिए पर वार्न ने साथ में लाए बींस और स्पेगेटी के टिन खोल लिए और उन्हें टोस्ट पर रखकर खाया।

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इसी से जुड़ा एक किस्सा 1998 के भारत टूर का है- तब कुछ ऐसा हुआ जिसकी सफाई देते-देते उनकी सारी जिंदगी निकल गई पर किस्सा ख़त्म नहीं हुआ। ये टूर वार्न को खूब याद रहा। शेन वार्न की भारत में पहली टेस्ट सीरीज। सचिन तेंदुलकर और नवजोत सिद्धू की बैटिंग ने वार्न को परेशानी में डाल दिया था। इसी टूर में उनके नाम के साथ वह हेनज़ बेक्ड बींस और स्पेगेटी का किस्सा जुड़ा, जिसे 'झूठ और गलत' करार देने में उनकी जिंदगी निकल गई। क्या था ये किस्सा?

सीरीज के दौरान, एक सुबह वार्न ने देखा कि कोच ज्योफ मार्श बड़े मजे से पैक टिन से बींस और स्पेगेटी का मजा ले रहे हैं। ये वो दौर था जब भारत का मसालेदार भोजन हर विदेशी क्रिकेटर को रास नहीं आता था। कोच की इजाजत से वार्न और कुछ अन्य क्रिकेटर टिन से बींस हुए स्पेगेटी का मजा लेने बैठ गए। वार्न को इतना मजा आया कि कोच से कह दिया कि अभी तो टूर खत्म होने में तीन हफ्ते बचे हैं- तो क्या कुछ और टिन बींस और स्पेगेटी का इंतजाम हो सकता है? ये कह कर वार्न इस बात को भूल गए।

दो दिन बाद ही उन्हें सन्देश मिला कि डॉक पर उनके लिए एक डिलीवरी आई है- ख़ास तौर पर उनके लिए क्योंकि उस पर 'शेन वार्न इंडिया' लिखा है। वार्न डॉक पर पहुंचे तो पता लगा कि 3-3 टन स्पेगेटी और बेक्ड बींस के टिन आए (1900 टिन थे) हैं। बहुत सारे खिलाड़ी जो स्पेगेटी और बींस चाहते थे, इनका मजा लेते रहे पर चूंकि डिलीवरी पर वार्न का नाम लिखा था इसलिए किस्सा ये बन गया कि इतने सारे टिन उनके लिए आए हैं। इस तरह इस मिथक का जन्म हुआ। पूरे टिन इस्तेमाल भी नहीं हुए। वापस लौटने से पहले क्रिकेटर उन्हें बांट गए थे।

असल में हुआ ये था कि जब कोच ज्योफ मार्श से कहा कि अभी भी 3 हफ्ते और रहना है तो कोच को भी लगा कि टीम के क्रिकेटरों को उनका मनपसंद खाना मिलना चाहिए। उन्होंने वार्न से बात का हवाला क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को दिया- उन्होंने सीधे कंपनी से बात की और अगले कुछ घंटे में कंटेनर तैयार था। उस पर पहचान के लिए 'शेन वार्न, इंडिया' लिख दिया।

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उस दौर में मेहमान टीमें अपने देश से मिनरल वॉटर तक मंगा लेती थीं- ऐसे में बींस के टिन मंगा लिए तो कौन सी बड़ी बात थी पर इतने सारे टिन वार्न के लिए- इसकी सफाई देने में उनकी जिंदगी निकल गई। मौत आने पर भी इन बींस ने छोड़ा नहीं।

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