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शिखर धवन से पहले टीम इंडिया के इस क्रिकेटर को खिलाड़ी बुलाते थे ‘गब्बर’, 2 वर्ल्ड कप में रहे कप्तान

Cricket Tales (World Cup Special): क्रिकेट में गब्बर सिंह का नाम लें तो सीधे शिखर धवन का चेहरा सामने आ जाता है- उनका निकनेम है 'गब्बर' और ये नाम उन्हें कैसे मिला इसकी कई स्टोरी हैं। कुछ उनके पावरफुल स्ट्रोक

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti October 19, 2023 • 13:32 PM
Srinivas Venkataraghavan
Srinivas Venkataraghavan (Image Source: Google)
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Cricket Tales (World Cup Special): क्रिकेट में गब्बर सिंह का नाम लें तो सीधे शिखर धवन का चेहरा सामने आ जाता है- उनका निकनेम है 'गब्बर' और ये नाम उन्हें कैसे मिला इसकी कई स्टोरी हैं। कुछ उनके पावरफुल स्ट्रोक प्ले और हिम्मती बल्लेबाजी को इसकी वजह मानते हैं तो कुछ उनकी मूछों की स्टाइल के लिए। वैसे फिल्म 'शोले' के मशहूर विलेन गब्बर सिंह के नाम पर, शिखर धवन को गब्बर का निकनेम, एक और क्रिकेटर विजय दहिया ने दिया था। रणजी ट्रॉफी मैचों में धवन सिली-प्वाइंट पर फील्डिंग करते थे और दूसरी टीम बड़ी पार्टनरशिप करें तो धवन चिल्लाते थे- 'बहुत याराना लगता है' और शोले फिल्म का ये मशहूर डायलॉग गब्बर फिल्म में बोले थे। इसी से धवन को 'गब्बर' नाम मिला।

वैसे आपको ये जानकार हैरानी होगी कि धवन से पहले भी एक बड़े क्रिकेटर को 'गब्बर' कहते थे और चूंकि वे टीम के कप्तान थे- इसलिए दबी आवाज में कई खिलाड़ी आपसी बातचीत में उन्हें इस नाम से बुलाते थे। वजह- उस कप्तान का हर गलती पर ग्राउंड में ही डांटना, रूतबा दिखाना और किसी की न सुनना। ये स्टोरी सीधे वर्ल्ड कप से जुड़ती है।

सब जानते हैं कि 1975 और 1979 में इंग्लैंड में खेले पहले दो वर्ल्ड कप भारत के लिए कैसे रहे थे? इन दो वर्ल्ड कप के बाद टीम को वनडे क्रिकेट के लिए 'अनाड़ी' का नाम मिला था। इन दोनों वर्ल्ड कप में कप्तान एस वेंकटराघवन थे। टीम में करसन घावरी भी थे और एक इंटरव्यू में वे बोले- 'हम दोनों में वनडे में खेलने को सीख रहे थे। हमें कोई अंदाजा नहीं था कि कैसे खेलना है और हम इस फॉर्मेट के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे।'

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ये मानने वालों की कमी नहीं कि टीम की इस हालत के लिए कप्तान वेंकट बहुत कुछ जिम्मेदार थे। वे खुद इंग्लिश क्रिकेट में वनडे मैच खेले थे- तब भी टीम इंडिया के खिलाड़ियों को इसकी ख़ास बातें बताने में बुरी तरह से नाकामयाब रहे। कोई स्ट्रेटजी नहीं, कोई गेम प्लान नहीं- यहां तक कि फील्ड प्लेसमेंट या अपनी टीम में बैटिंग आर्डर तक तय नहीं- ऐसे खेले थे ये दो वर्ल्ड कप। उस पर वेंकट का गलती पर ग्राउंड में ही डांटना- इससे माहौल और ख़राब होता गया।

1975 वर्ल्ड कप और इंग्लैंड के विरुद्ध लॉर्ड्स में मैच- इंग्लैंड ने 60 ओवर में 334-4 बनाए और ये तब बहुत बड़ा स्कोर था। घावरी- 11 ओवर, एक मेडन और 83 रन दिए। नतीजा- ईस्ट अफ्रीका और न्यूजीलैंड के विरुद्ध मैचों की टीम से बाहर। सच ये है कि वास्तव में घावरी ने खराब गेंदबाजी की- जो फील्डिंग वेंकट ने लगाई वे उससे गलत लाइन पर गेंदबाजी करते रहे। फील्ड ऑफ साइड पर और वे मिडिल और लेग पर गेंदबाजी कर रहे थे। वेंकी को गुस्सा आ गया- ग्राउंड पर ही गलत लाइन पर गेंदबाजी पर डांट दिया। स्कोरबोर्ड की ओर भी इशारा किया और कहा कि देखो ये कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस गुस्से के बाद उन्होंने लेग-साइड फील्ड लगाई- अब घावरी ने ऑफ-साइड पर गेंदबाजी शुरू कर दी।


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