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सर डॉन ब्रैडमैन की रिकॉर्ड कीमत की कैप भारत में तो 'गिफ्ट' थी, तब न इसकी कद्र हुई और न इसे किसी ने संभाला  

ये तो तय है कि टीम इंडिया के मौजूदा ऑस्ट्रेलिया टूर के दौरान, भारत के जिस पिछले ऑस्ट्रेलिया टूर के बारे में सबसे ज्यादा लिखा जा रहा है, वह 1947-48 का है । वास्तव में बड़ा अनोखा था ये टूर

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सर डॉन ब्रैडमैन की रिकॉर्ड कीमत की कैप भारत में तो 'गिफ्ट' थी, तब न इसकी कद्र हुई और न इसे किसी ने स
सर डॉन ब्रैडमैन की रिकॉर्ड कीमत की कैप भारत में तो 'गिफ्ट' थी, तब न इसकी कद्र हुई और न इसे किसी ने स (Image Source: Twitter)
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Jan 02, 2025 • 03:10 PM

ये तो तय है कि टीम इंडिया के मौजूदा ऑस्ट्रेलिया टूर के दौरान, भारत के जिस पिछले ऑस्ट्रेलिया टूर के बारे में सबसे ज्यादा लिखा जा रहा है, वह 1947-48 का है । वास्तव में बड़ा अनोखा था ये टूर और इसकी कई स्टोरी भारतीय क्रिकेट के सबसे मजेदार और चर्चित किस्सों में से हैं। अब ये टूर के लिए जिस ओरियन (Orion) नाम के शिप पर जाना था, उसके ख़राब होने की स्टोरी हो या सीरीज के दौरान महात्मा गांधी के निधन की स्टोरी- सब इतिहास का हिस्सा हैं। 

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
January 02, 2025 • 03:10 PM

तो भारत के विरुद्ध इस 1947-48 सीरीज के दौरान डॉन ब्रैडमैन ने जो बैगी ग्रीन (Baggy Green) कैप पहनी, उसकी स्टोरी ख़ास क्यों न होगी? ये कैप अचानक ही ख़बरों में आ गई। ये लगभग 80 साल पुरानी कैप, जो कई जगह से फट चुकी है और महज किसी शो-केस में रखने वाली 'ट्रॉफी' से ज्यादा कुछ नहीं, वह भी सिडनी में एक नीलामी में 479700 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग 2.63 करोड़ रुपये) में बिक गई। खुद इसे नीलाम करने वाले बोनहम्स की तरफ से इस कैप के इंट्रो में इसे 'धूप में उड़े रंग वाली और घिसी हुई' बताया गया था। यहां तक कि इंसेक्ट के इसे नुक्सान पहुंचाने और टॉप से फटे होने के निशान भी हैं। असल में सबसे बड़ी बोली तो 390000 ऑस्ट्रेलयाई डॉलर (लगभग 2.14 करोड़ रुपये) की थी पर उसके बाद खरीदार के प्रीमियम ने कुल कीमत को बढ़ा दिया और ये 479700 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग 2.63 करोड़ रुपये) हो गई।

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आखिरकार ऐसा क्या ख़ास है इस कैप में कि इसे सिर्फ सजाने के लिए, एक क्रिकेट प्रेमी ने 2.63 करोड़ रुपये जैसी बड़ी रकम खर्च कर दी! कुछ ख़ास बातें नोट कीजिए : 
* ये 1947-48 की भारत के विरुद्ध सीरीज डॉन ब्रैडमैन की, टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होने से पहले की, आख़िरी घरेलू टेस्ट सीरीज थी।
* इस कैप के साथ, क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन का बड़ा नाम जुड़ा है, जिससे इसकी कीमत का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।
* उस 1947-48 सीरीज में डॉन गजब की फार्म में थे और 715 रन बनाए 178.75 के आश्चर्यजनक औसत से, तीन 100 और एक 200 के साथ। बैट के साथ उनके इसी कमाल की बदौलत, ऑस्ट्रेलिया ने भारत पर 4-0 से जीत हासिल की। इसी सीरीज में वे 100 फर्स्ट क्लास 100 बनाने वाले एकमात्र ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बने थे।
* ये स्वतंत्र देश (टीम के रवाना से कुछ दिन पहले ही भारत को ब्रिटिश अधिकार से मुक्ति मिली थी) के तौर पर भारत की पहली इंटरनेशनल क्रिकेट सीरीज थी। 
* अब डॉन ब्रैडमैन का करियर तो ख़ास है ही। उनके नाम गजब के रिकॉर्ड हैं और 1948 में द ओवल में अपनी आखिरी टेस्ट पारी में उनका 0 पर आउट होना भी एक रिकॉर्ड बन गया। 

इस कैप को सिडनी में मशहूर ऑक्शन हाउस बोनहम्स (Bonhams) ने नीलामी में बेचा। अब मजेदार चर्चा ये है कि ये ख़ास बैगी ग्रीन कैप नीलाम तक पहुंची कैसे? रिकॉर्ड में ये दर्ज है कि उस 1947-48 की सीरीज के खत्म होने पर डॉन ने ये कैप, भारतीय टीम के मैनेजर पंकज 'पीटर' गुप्ता (Pankaj 'Peter' Gupta) को एक 'यादगार' के तौर पर दी थी। ये वही पंकज गुप्ता है जो उन सालों में भारत में सबसे मशहूर स्पोर्ट्स एडमिनिस्ट्रेटर में से एक थे और क्रिकेट से भी ज्यादा फ़ुटबाल और हॉकी में मशहूर थे। बाद में पंकज गुप्ता ने यह कैप, उसी भारतीय टीम के विकेटकीपर और अपने भतीजे पीके सेन को दे दी। 

इसे उन्होंने कभी अपनी व्यक्तिगत प्रॉपर्टी नहीं बनाया और कई साल तक ये कैप, भारतीय टीम के पास रही। ये कैप उसके बाद कैसे और कहां से नीलाम तक पहुंची, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं। बोनहम्स के अनुसार, इस कैप के मौजूदा नीलाम के वक्त के मालिक (उन्हीं के अनुसार एक ब्रिटिश क्रिकेट प्रशंसक) ने इसे 2003 में खरीदा था। यह कैप पहली बार बाज़ार में आई तो इसे मेलबर्न की नीलामी फर्म लुडग्रोव (Ludgrove) ने 23 फरवरी 2003 को बेचा था। 2010 में इसे, प्रदर्शन के लिए डॉन ब्रैडमैन के शहर बोउरल (Bowral) में ब्रैडमैन म्यूजियम (Bradman Museum) को उधार दे दिया। कितनी हैरानी की बात है कि जब ये अनोखी धरोहर भारत में थी तो इसे भारत के किसी म्यूजियम में प्रदर्शित करने के बारे में, किसी ने न सोचा। 

जिस एक ख़ास बात को नोट नहीं किया गया वह ये कि ये अकेली ऐसी 'नायाब' बैगी ग्रीन कैप नहीं है, जिसके साथ डॉन ब्रैडमैन का नाम जुड़ा है। मौजूदा दौर में, ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर, टेस्ट डेब्यू के वक्त मिली, एक ही बैगी ग्रीन से ही पूरे करियर में खेलते रहते हैं पर डॉन के युग में, टेस्ट क्रिकेटर, हर सीरीज के लिए एक अलग कैप पहनते थे। इसीलिए डॉन ब्रैडमैन की 1928 की डेब्यू सीरीज (इसे आख़िरी बार 2020 में 450000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर में खरीदा- खरीदार : ऑडियोवेयर ब्रांड रोड माइक्रोफोन के फाउंडर पीटर फ्रीडमैन) और 1948 की सीरीज (2003 में 425000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर में और बाद में 2008 में लगभग 400000 में बेचा) की कैप के नीलाम के भी रिकॉर्ड मौजूद हैं। 

यही वजह है कि डॉन ब्रैडमैन के नाम के बावजूद, सबसे महंगी बिकी बैगी ग्रीन का रिकॉर्ड डॉन ब्रैडमैन की कैप का नहीं है। ये रिकॉर्ड शेन वार्न की कैप का है जिसे 2019-20 में जंगलों में लगी आग से निपटने के लिए किए गए प्रयासों में मदद के लिए नीलाम किया तो उस कैप को कॉमनवेल्थ बैंक ने 1007500 डॉलर में खरीदा था। ख़ास बात ये थी कि ये वार्न की अकेली कैप थी । 

सर डॉन की इस भारत की सीरीज से जुड़ी कैप की नीलामी 10 मिनट तक चली और बोली 160000 डॉलर से शुरू होकर 390000 डॉलर तक पहुंची। इसलिए 1947-48 में भारत के विरुद्ध सीरीज में ब्रैडमैन द्वारा पहनी कैप 'एकमात्र' न होने के बावजूद, नीलामी में 479700 डॉलर में बिक गई। ये ब्रैडमैन के नाम का सम्मान है। नीलाम से पहले इस कैप को एक-एक हफ्ते मेलबर्न और सिडनी में देखने के लिए प्रदर्शित किया गया था। इस प्रदर्शन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को भी,दोनों टीमों के बीच के लंबे इतिहास की याद के साथ जोड़ दिया। वैसे अब इस कैप को किसने खरीदा है, खरीदार की सुरक्षा के नाते ये नहीं बताया है। 

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- चरनपाल सिंह सोबती

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