ये तो तय है कि टीम इंडिया के मौजूदा ऑस्ट्रेलिया टूर के दौरान, भारत के जिस पिछले ऑस्ट्रेलिया टूर के बारे में सबसे ज्यादा लिखा जा रहा है, वह 1947-48 का है । वास्तव में बड़ा अनोखा था ये टूर और इसकी कई स्टोरी भारतीय क्रिकेट के सबसे मजेदार और चर्चित किस्सों में से हैं। अब ये टूर के लिए जिस ओरियन (Orion) नाम के शिप पर जाना था, उसके ख़राब होने की स्टोरी हो या सीरीज के दौरान महात्मा गांधी के निधन की स्टोरी- सब इतिहास का हिस्सा हैं।
तो भारत के विरुद्ध इस 1947-48 सीरीज के दौरान डॉन ब्रैडमैन ने जो बैगी ग्रीन (Baggy Green) कैप पहनी, उसकी स्टोरी ख़ास क्यों न होगी? ये कैप अचानक ही ख़बरों में आ गई। ये लगभग 80 साल पुरानी कैप, जो कई जगह से फट चुकी है और महज किसी शो-केस में रखने वाली 'ट्रॉफी' से ज्यादा कुछ नहीं, वह भी सिडनी में एक नीलामी में 479700 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग 2.63 करोड़ रुपये) में बिक गई। खुद इसे नीलाम करने वाले बोनहम्स की तरफ से इस कैप के इंट्रो में इसे 'धूप में उड़े रंग वाली और घिसी हुई' बताया गया था। यहां तक कि इंसेक्ट के इसे नुक्सान पहुंचाने और टॉप से फटे होने के निशान भी हैं। असल में सबसे बड़ी बोली तो 390000 ऑस्ट्रेलयाई डॉलर (लगभग 2.14 करोड़ रुपये) की थी पर उसके बाद खरीदार के प्रीमियम ने कुल कीमत को बढ़ा दिया और ये 479700 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग 2.63 करोड़ रुपये) हो गई।
आखिरकार ऐसा क्या ख़ास है इस कैप में कि इसे सिर्फ सजाने के लिए, एक क्रिकेट प्रेमी ने 2.63 करोड़ रुपये जैसी बड़ी रकम खर्च कर दी! कुछ ख़ास बातें नोट कीजिए :
* ये 1947-48 की भारत के विरुद्ध सीरीज डॉन ब्रैडमैन की, टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होने से पहले की, आख़िरी घरेलू टेस्ट सीरीज थी।
* इस कैप के साथ, क्रिकेट इतिहास के सबसे महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन का बड़ा नाम जुड़ा है, जिससे इसकी कीमत का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।
* उस 1947-48 सीरीज में डॉन गजब की फार्म में थे और 715 रन बनाए 178.75 के आश्चर्यजनक औसत से, तीन 100 और एक 200 के साथ। बैट के साथ उनके इसी कमाल की बदौलत, ऑस्ट्रेलिया ने भारत पर 4-0 से जीत हासिल की। इसी सीरीज में वे 100 फर्स्ट क्लास 100 बनाने वाले एकमात्र ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बने थे।
* ये स्वतंत्र देश (टीम के रवाना से कुछ दिन पहले ही भारत को ब्रिटिश अधिकार से मुक्ति मिली थी) के तौर पर भारत की पहली इंटरनेशनल क्रिकेट सीरीज थी।
* अब डॉन ब्रैडमैन का करियर तो ख़ास है ही। उनके नाम गजब के रिकॉर्ड हैं और 1948 में द ओवल में अपनी आखिरी टेस्ट पारी में उनका 0 पर आउट होना भी एक रिकॉर्ड बन गया।