India vs England: आपको लगेगा कि ये हेडिंग ही गलत है और सड़क के रास्ते इंग्लैंड में लंदन से भारत पहुंचना संभव ही नहीं- है और ऐसा आज भी किया जा सकता है। ये बात अलग है कि अब बीच के देशों के हालात देखते हुए कोई ऐसा एडवेंचर नहीं करता और फिर किसके पास इतना समय है कि लंदन से मुंबई आने में लगभग डेढ़ महीना लगा दे।
दिसंबर 1975 में, इंग्लैंड की मशहूर अखबार द टाइम्स के विश्व प्रसिद्ध जर्नलिस्ट जॉन वुडकॉक और कमेंटेटर/जर्नलिस्ट हेनरी ब्लोफेल्ड (जो शारजाह मैं कमेंट्री के दौरान महिलाओं के ईयर रिंग की तारीफ़ करने के लिए बड़े मशहूर हुए) ऑस्ट्रेलिया में वेस्टइंडीज के विरुद्ध एक असाधारण टेस्ट (पर्थ) जब कवर कर रहे थे तो वहीं आपसी बातचीत में तय किया कि इंग्लैंड के अगले भारत टूर पर एक साथ चलेंगे। ब्लोफेल्ड ने तब वुडकॉक को बताया कि इंग्लैंड के उससे पिछले भारत टूर पर वे ब्रायन जॉन्सटन और माइकल मेलफोर्ड के साथ गए थे और एडवेंचर के तौर पर तय किया था कि अपनी कार पर जाएंगे। ये सुन कर तब तीनों की पत्नियां मिलकर मोर्चे पर आ गईं और सड़क के रास्ते नहीं जा पाए। बहरहाल इस बार ब्लोफेल्ड ने फिर से वही प्रोग्राम बना लिया और वुडकॉक को राजी कर लिया। हां, सेफ्टी के लिए अपनी 'टीम' बड़ी कर ली। तो वे सड़क के रास्ते गए उस ज़माने में जब इंटरनेट भी नहीं था- मदद के लिए या दुनिया स जुड़े रहने के लिए।
दोस्त आ जुड़े- सिडनी से जूडी केसी, हैंपशायर से एड्रियन (एडी) लिडेल (पुरानी कारें इकट्ठा करने के शौकीन और वे क्लैरट रंग की 1921 रोल्स-रॉयस ले आए) और माइकल बेनेट (मजाकिया और शराबी दोस्त)। ब्लोफेल्ड की पीले रंग की रोवर कार भी गई।