अब तक 20 टीम क्रिकेट वर्ल्ड कप में खेली हैं- इनमें से 3 ने सिर्फ एक वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया। ये ईस्ट अफ्रीका, बरमूडा और नामीबिया हैं। इन 20 में से सिर्फ एक टीम ऐसी है जिसका आज कोई अस्तित्व नहीं और ये ईस्ट अफ़्रीका (East Africa Cricket Team) है। इस नाम का कोई देश नहीं, इस टीम का वर्ल्ड कप में खेलना, अपने आप में वर्ल्ड कप की सबसे चर्चित पहेली में से एक है। यहां तक कि वर्ल्ड कप जैसा टूर्नामेंट खेलने के बावजूद इनके बारे में, आज पूरी जानकारी तक नहीं है।
आम तौर पर लिखा जाता है कि ये क्रिकेट टीम 1975 वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने के लिए बनाई- ये गलत है। केन्या, युगांडा, तंजानिया और जाम्बिया- इन 4 देश के क्रिकेटर मिलकर एक क्रिकेट टीम के तौर पर खेलते थे और इसका नाम था ईस्ट अफ़्रीका।1951 में अपना अलग बोर्ड बनाया, 1956 में पाकिस्तान और 1958 में दक्षिण अफ्रीका इलेवन के विरुद्ध खेले। इसी तरह और मैच भी खेले।1966 से 1989 तक आईसीसी के एसोसिएट सदस्य रहे- उसके बाद इनकी जगह ईस्ट एंड सेंट्रल अफ्रीका सदस्य बन गए।
1975 में पहले क्रिकेट वर्ल्ड कप में खेलना इस टीम के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि था। मेजबान इंग्लैंड, भारत और न्यूजीलैंड के साथ एक ग्रुप में थे- इन तीनों टीम से मैच हार गए और उनके लिए यहीं वर्ल्ड कप खत्म हो गया। अब सबसे पहला सवाल तो ये है कि वे इस वर्ल्ड कप में खेले कैसे? 1975 वर्ल्ड कप के समय 7 टेस्ट टीम थीं- इनमें से सिर्फ दक्षिण अफ्रीका को वर्ल्ड कप खेलने का न्यौता आईसीसी ने नहीं दिया था। रोडेशिया पर भी प्रतिबंध था। श्रीलंका उस समय टेस्ट न खेलने वाली टॉप टीम थी- इसलिए उन्हें बुला लिया। अब 7 टीम से सही प्रोग्राम नहीं बन रहा था और 2 ग्रुप बनाने के लिए कम से कम 8 टीम की जरूरत थी- इसलिए उस समय की एकमात्र अन्य चर्चित टीम ईस्ट अफ्रीका को बुला लिया।
वे चर्चा में इसलिए थे क्योंकि जून-जुलाई 1972 में इंग्लैंड टूर में काउंटी टीमों के विरुद्ध 18 मैच खेले- इनमें से नॉर्थ वेल्स के विरुद्ध 6 विकेट से जीत भी हासिल की। एमसीसी टीम 1973-74 में ईस्ट अफ्रीका गई- जाम्बिया और तंजानिया में 2-2 और केन्या में 4 मैच खेले। इस तरह इंग्लैंड में ये टीम ज्यादा चर्चा में थी और इसीलिए उन्हें बुला लिया। ऑफिशियल दलील ये थे कि चूंकि ये 'वर्ल्ड' टूर्नामेंट है- इसलिए ये टीम अफ्रीका रीजन का प्रतिनिधित्व करेगी। और तो और- सच ये है कि टीम सेलेक्शन में भी आईसीसी के कहने पर इंग्लैंड ने उनकी मदद की थी। 4 अलग़-अलग़ देश के खिलाड़ी जो साथ-साथ बहुत कम खेलते थे- मिलकर वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलने के लिए तैयार थे। पैसा था नहीं इसलिए तैयारी के नाम पर कुछ ख़ास नहीं किया।