भारतीय हॉकी का इतिहास स्वर्णिम रहा है। एक दौर था जब भारतीय हॉकी टीम दुनिया की सबसे शक्तिशाली टीम हुआ करती थी। इसका सबूत ओलंपिक हैं, जहां भारतीय हॉकी टीम ने लगातार गोल्ड मेडल जीते। राष्ट्रीय हॉकी टीम के स्वर्णिम दौर में जिन खिलाड़ियों ने अपनी चमक बिखेरी और देश का नाम दुनिया में प्रतिष्ठित किया, उनमें बलबीर सिंह का नाम बेहद महत्वपूर्ण है।
बलबीर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को हरिपुर, पंजाब में हुआ था। उन्हें बलबीर सिंह सीनियर के नाम से भी जाना जाता है। जब वे पांच साल के थे, तभी से उन्होंने हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। जब 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने 1936 में भारत की हॉकी टीम को तीसरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतते हुए देखा, तो उनके मन में भी देश के लिए हॉकी खेलने की इच्छा जगी। यही इच्छा और जुनून उन्हें राष्ट्रीय टीम तक ले आई।
उन्होंने हॉकी खेलने की शुरुआत एक गोलकीपर के तौर पर की और फिर बैक फोर में खेलने लगे, लेकिन उन्हें अपने हुनर का सही अंदाजा पहली बार तब हुआ, जब एक स्ट्राइकर के तौर पर उन्हें स्थानीय टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला। पंजाब की हॉकी टीम ने 14 साल से राष्ट्रीय पदक नहीं जीता था। बलबीर सिंह सीनियर ने 1946 और 1947 में लगातार दो बार पंजाब को राष्ट्रीय खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इस प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय टीम में उनकी जगह बनी।