Manu Bhaker: हरियाणा के एक छोटे से गांव धीन के रहने वाले 13 वर्षीय सरबजोत सिंह ने जब अपने किसान पिता जतिंदर सिंह को बताया कि वह फुटबॉल छोड़कर निशानेबाजी करना चाहता है, तो पिता ने उसे मना किया। निशानेबाजी एक महंगा खेल है और पिता के लिए यह खर्च उठाना मुश्किल था। लेकिन बेटे की लगातार जिद के आगे पिता को हार माननी पड़ी।
सरबजोत के पिता ने अपनी सीमित संसाधनों के बावजूद बेटे के सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की और उनका यह त्याग रंग लाया। मंगलवार को पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में सरबजोत ने मनु भाकर के साथ भारत के लिए कांस्य पदक जीता।
सरबजोत का ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं रहा। उन्हें कई बार निराशा का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहे। वह कांस्य पदक जीतने तीन दिन पहले पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत स्पर्धा में नौवें स्थान पर रहकर बाहर हो गए थे। लेकिन सरबजोत ने पेरिस में अपना अगला मौका नहीं गंवाया।