स्पेशल: बिना कोई उथलपुथल के समाप्त हो गया कप्तान धोनी का सफलतम युग...
5 जनवरी, नई दिल्ली (CRICKETNMORE)। हवा में उड़ते बाल, सांवला रंग धोनी को मैदान पर खेलते हुए देखने का क्रिकेट फैन्स का यह पहला अनुभव था। महेंद्र सिंह धोनी का जब भारतीय टीम में चुनाव हुआ तो क्रिकेट फैन्स ये
5 जनवरी, नई दिल्ली (CRICKETNMORE)। हवा में उड़ते बाल, सांवला रंग धोनी को मैदान पर खेलते हुए देखने का क्रिकेट फैन्स का यह पहला अनुभव था। महेंद्र सिंह धोनी का जब भारतीय टीम में चुनाव हुआ तो क्रिकेट फैन्स ये जानने को मचलने लगे कि रांची (झारखंड) के छोटे से शहर से कौन है जिसका भारतीय टीम में चयन हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले ऐसी स्थती भारतीय क्रिकेट में नहीं आई थी जहां छोटे से जगह से निकल कर कोई खिलाड़ी भारतीय टीम के चौखट पर कदम रख रहा हो।
जब धोनी ने रांची से निकलकर भारतीय टीम में बना डाली अपनी जगह...
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पहली नजर में धोनी से क्रिकेट फैन्स ये कल्पना नहीं कर रहे थे कि धोनी लम्बी रेस के घोड़ें साबित होगें, उनकी बल्लेबाजी में वो बात नहीं थी। उनकी बल्लेबाजी में तकनीक की कमी साफ झलकती थी – कोई भी ऐसा शॉट नहीं खेलते थे जिसको देखकर आप उऩकी शॉट की वाहवाही कर सके।
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पहले मैच में बांग्लादेश के खिलाफ “डक” पर रन आउट होने के बाद भी धोनी का मनौबल नहीं टूटा जो ऐसे खिलाड़ी के लिए काफी महत्वपूर्ण है जो छोटे से अंजान शहर से अपनी जिंदगी के सबसे बड़े सपने को संवारने के लिए पहुंचा हो।
समय के साथ धोनी ने अपने आप को दार्शनिक बनाया, हेलीकॉप्टर शॉट से धोनी लोकप्रिय होने लगे । 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ बनाया गया उनका पहला शतक 148 रन उनकी शानदार बल्लेबाजी का पहला सबूत था। उस दिन धोनी की बल्लेबाजी में वो सब कुछ था जो किसी भी क्रिकेटर को लोकप्रिय बनाता है।
"उस दिन के बाद धोनी देसी अंदाज से निकलकर बिल्कुल नए अंदाज में दिखाई देने लगे।"
“उनकी लोकप्रियता में इजाफा करने में पाकिस्तान के परवेज़ मुशर्रफ़ का भी योगदान है, बात उस समय की है जब भारत ने पाकिस्तान का दौरा किया था और धोनी ने उस दौरान खूब रन बटोरे थे।” साल 2006 में जब लाहौर में खेले गए एक वनडे मुक़ाबले के दौरान धोनी ने मात्र 46 गेंदों में 72 रनों की विस्फोटक पारी खेली थी तो मैच के बाद परवेज मुशर्फ ने कहा कि “ धोनी अपनी जुल्फे ना कटाए, इसमें वो काफी अच्छे दिखते हैं ।..”
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सचिन, राहुल और गांगुली के साथ ताल मिलाते हुए धोनी धीमी गति से आगे बढ़ रहे थे। इन महानायकों में से एक सौरव गांगुली ने जब अपने बल्ले को किनारा किया तो राहुल द्रविड़ टीम के कप्तान बने।
2007 में जब द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ी तो कुंबले ने कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली फिर जब कुंबले ने क्रिकेट को अलविदा कहा तो धोनी कप्तान के तौर पर एक विकल्प नजर आए।
धोनी बने भारतीय टीम के कप्तान..
साल 2007 में धोनी भारतीय टीम का मुख्य चेहरा बन गए।। इसके बाद माही ने जो कारनामा किया वो भारतीय क्रिकेट इतिहास में कपिल देव के बाद सबसे यादगार पलों में लिखा गया है। ऐसा हो भी क्यों ना – सालों के बाद भारत ने किसी वर्ल्ड सीरीज में कोई खिताब पर कब्जा किया था। साल में धोनी की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड टी- 20 का खिताब जीतकर इतिहास लिख दिया था।
धोनी की कप्तानी में भारत ने कई करिश्में को अंजाम दिए ..टेस्ट में भारत ने अपना परचम लहराया । 2008 में बार्डर – गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा, वहीं अस्ट्रेलिया को 40 साल के बाद टेस्ट में पूरी तरह सफाया कर इतिहास रच दिया। धोनी ने अपने छोटे से ही करियर में वन-डे के बाद टेस्ट मे भी नंबर वन की रैंकिंग पर लाकर भारत को खड़ा कर दिया जो जो इतिहास बन गया।
अब साल 2011, भारतीय टीम का वो एतिहासिक पल जो भारतीय क्रिकेट में एक करिश्में की तरह आया। वर्ल्ड कप हासिल करने का इंतजार 28 सालों का था। उस दिन भी धोनी के बल्ले ने ही इतिहास लिखा.... बेमिसाल कप्तान धोनी ने अपनी कप्तानी में किए कई करिश्मे, बनाए ये शानदार रिकॉर्ड
एक ओर जहां सचिन का इंतजार खत्म हुआ वहीं एक ऐसे नायक का जन्म हो गया जिसे सचिनन के बाद पूरी दुनिया शिद्दत से सलाम करने लगी।
धोनी की कप्तानी को लेकर सवाल भी खड़े हुए हैं पर धोनी ने उन सभी सवालों को अपने अंदाज से ही सामना किया है, ये धोनी का अंदाज है। धोनी मैच को अपने ही अंदाज से जिताने लगे। हर एक क्रिकेट फैन्स धोनी के द्वारा छक्के जमाकर भारत को मैच जीताने की बात करने लगा।
धोनी के अंदाज को देखकर यकिन होता है कि सपने को जीया जा सकता है। धोनी पर बनी बायोपिक “धोनी द अनटोल्ड स्टोरी” में भी इसी बात को दिखाया गया है। धोनी के संघर्ष में उनके पुराने दोस्तों ने भरपूर साथ दिया है। वो भी धोनी के इस सफलता के हकदार हैं।
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खैर धोनी का जलवा इसी अंदाज से चलेगा जो क्रमश: है....हलांकि अब धोनी भारत के कप्तान नहीं होगें लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर भी धोनी लाजबाव है..!!..
MS Dhoni as Indian captain.....