50 साल पहले भारतीय क्रिकेट को एक और 'कर्नल' मिला था 

Updated: Sun, Nov 23 2025 23:28 IST
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Dilip Vengsarkar: पिछले कुछ महीनों में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने अपने कुछ, पहले और आज के क्रिकेटरों के साथ-साथ अपने पूर्व चीफ शरद पवार को भी वानखेड़े स्टेडियम में उनकी मूर्ति लगा या किसी स्टैंड/गेट को उनका नाम दे या और भी किसी तरीके से सम्मानित किया है। बहरहाल सम्मान पाने वालों की लिस्ट में एक नाम रह गया, उसकी वजह चाहे जो भी हो। अब इसमें सुधार किया जा रहा है और एमसीए ने वानखेड़े स्टेडियम में दिलीप वेंगसरकर की आदमकद मूर्ति लगाने का फैसला लिया है। 

भारत के कप्तान रहे दिलीप वेंगसरकर न सिर्फ मुंबई के लिए खेले, एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट भी रहे और एक बार प्रेसिडेंट की पोस्ट का चुनाव हार गए। अब उन्हें सम्मान दे रहे हैं भारतीय और मुंबई क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए।वेंगसरकर 116 टेस्ट और 129 वनडे खेले और भारत की 1983 वर्ल्ड कप चैंपियन टीम में भी थे।

संयोग से, यह सम्मान उन्हें उस पारी को खेलने की 50वीं सालगिरह के करीब दिया है, जिसे देख हर किसी ने कहा कि मुंबई क्रिकेट स्कूल से दिलीप वेंगसरकर नाम की एक नई, युवा और गजब की टेलेंट सामने आई है। इस पारी से ऐसा असर पड़ा कि सेलेक्टर्स उन्हें टेस्ट क्रिकेट के लिए भारतीय टीम में शामिल करने पर मजबूर हो गए। यही वेंगसरकर भारत के बेहतरीन बल्लेबाज़ों के दौर में, भारत के सबसे कामयाब बल्लेबाजों में से एक बन गए। जब 1976 में ऑकलैंड में न्यूजीलैंड के विरुद्ध टेस्ट खेल अपना इंटरनेशनल करियर शुरू किया, तब तक वे सिर्फ़ 8 फर्स्ट क्लास और 4 लिस्ट ए मैच ही खेले थे। 

गुजरात के विरुद्ध अपने रणजी ट्रॉफी डेब्यू पर वे 0 पर आउट हुए। अगला मैच ईरानी ट्रॉफी में उस रेस्ट ऑफ इंडिया टीम के विरुद्ध खेले जिसमें भारत के दिग्गज स्पिन गेंदबाज बिशन बेदी और इरापल्ली प्रसन्ना भी खेल रहे थे। वेंगसरकर ने उस मैच में अपने टैलेंट का ऐसा परिचय दिया कि सब हैरान रह गए। 11 चौकों और 7 छक्कों की मदद से 110 रन बनाए। बेदी और प्रसन्ना, दोनों ही उनके शॉट देखकर दंग रह गए और उन्हें रोक नहीं पाए।

ये ईरानी ट्रॉफी मैच 31 अक्टूबर से 3 नवंबर, 1975 तक नागपुर में खेला गया था और अब उस ईरानी कप मैच में बनाए वेंगसरकर के 100 के 50 साल हो गए हैं। वेंगसरकर तब सिर्फ 19 साल के थे और डेब्यू मैच में 0 पर आउट होने के बाद, इस मैच के लिए तो टीम में भी उनका नाम नहीं था। संयोग से मैच से पहले एकनाथ सोलकर को चोट लग गई जिससे वेंगसरकर को खेलने का मौका मिल गया। तब वेंगसरकर ने जिस तरह से बेदी और प्रसन्ना की धुनाई की, वह देखने लायक नजारा था। वह तो पहली बार इन दोनों को खेल रहे थे।

इस पारी की बदौलत वेंगसरकर को 'कर्नल' का निकनेम मिला। कहा जाता है कि इस नाम के लिए लाला अमरनाथ जिम्मेदार थे। वे उस मैच में एक रेडियो कमेंटेटर के तौर पर मौजूद थे और उन्होंने वेंगसरकर के 100 को देख कर कहा था कि वे पूर्व भारतीय कप्तान कर्नल सीके नायडू की तरह बल्लेबाजी करते हैं। बस ये कमेंट वेंगसरकर के नाम के साथ जुड़ ही गया और वे भी 'कर्नल' बन गए। वैसे ये नाम उन्हें कभी पसंद नहीं आया। वेंगसरकर ने इस किस्से को याद करते हुए बताया, 'लालाजी ने कहा था कि मैं कर्नल सीके नायडू की तरह बल्लेबाजी करता हूं। यह मेरे लिए बहुत बड़ी तारीफ थी। प्रेस ने उनके इस कमेंट को पकड़ लिया और इसे हर जगह उछाल दिया।'

संयोग से, वेंगसरकर को 2017 में सीके नायडू अवार्ड से सम्मानित किया गया था।  तब उन्होंने कहा था, 'बीसीसीआई के इस साल कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए चुने जाने पर मुझे बड़ा 'सम्मानित' महसूस हो रहा है।'

उस ईरानी ट्रॉफी मैच में, रेस्ट ऑफ इंडिया के 210 के जवाब में, एक समय बॉम्बे का स्कोर 98-3 था। तब वेंगसरकर आए क्रीज पर अशोक मांकड़ का साथ देने।  लगभग 100 मिनट बाद जब उस दिन का खेल खत्म हुआ तो बॉम्बे का स्कोर 230-3 था और मांकड़ 30* तथा वेंगसरकर 101* पर खेल रहे थे। अगली सुबह, वेंगसरकर 113 मिनट में 11 चौकों और 7 छक्कों के साथ 110 रन बना कर आउट हुए। इस पार्टनरशिप में 146 रन जोड़े गए। 

एक और हैरानी की बात ये कि वेंगसरकर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कभी इस तरह की अटैकिंग बल्लेबाजी नहीं की। 50 साल पहले, बेदी और प्रसन्ना दोनों ही बड़े नाम थे और उन्हें खेलते हुए वेंगसरकर ने गजब के फुट वर्क का इस्तेमाल कर, एक के बाद एक बाउंड्री शॉट लगाए थे। कम से कम भारत की घरेलू क्रिकेट में तो इन महान स्पिनरों को किसी ने ऐसे नहीं खेला था। 

सुजीत मुखर्जी ने अपनी किताब प्लेइंग फॉर इंडिया (Playing for India) में लिखा, 'यह मान लें कि विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ग्राउंड आकार में छोटा है, तब भी इस युवा खिलाड़ी ने ऐसे गजब के ड्राइव और पॉवरफुल शॉट लगाए कि यूं लग  रहा था कि बेदी और प्रसन्ना कोई क्लब स्तर के गेंदबाज हों।'

संक्षिप्त स्कोर कार्ड:

रेस्ट ऑफ इंडिया: 210 (गुंडप्पा विश्वनाथ 72, करसन घावरी 3- 61, पद्माकर शिवलकर 6-74) और 212 (गुंडप्पा विश्वनाथ 52, यजुर्वेंद्र सिंह 46*, करसन घावरी 5- 63, पद्माकर शिवलकर 3- 99)

बॉम्बे: 305 (सुनील गावस्कर 47, रामनाथ पारकर 46, अशोक मांकड़ 58, दिलीप वेंगसरकर 110, बिशन बेदी 3-123, ईएएस प्रसन्ना 6-110) और बिना कोई विकेट खोए 13 रन।

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चरनपाल सिंह सोबती
 

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