IPL फ्रेंचाइजियों द्वारा दुनियाभर की टी20 लीग में टीमें खरीदने पर भड़का यह पूर्व क्रिकेटर, कहा- ये अन्य बोर्ड्स के लिए खतरे की घंटी....
हाल ही में आईपीएल फ्रेंचाइजी की हंड्रेड टीमों में स्टेक लेने की खबर आयी थी। ऐसे खबरें है कि GMR ग्रुप, जो कि आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स के मालिक है, वो सदर्न ब्रेव टीम इन द हंड्रेड में हिस्सेदारी खरीद रहेहै। यह संभावित रूप से अन्य आईपीएल टीमों के लिए भी इसी रास्ते पर चलने के दरवाजे खोल सकता है। ऐसे में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर इयान चैपल (Ian Chappell) का मानना है कि दुनिया भर की अन्य लीगों में आईपीएल फ्रेंचाइजी की शुरुआत खतरे का संकेत है। चैपल का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो खिलाड़ी अपनी इंटरनेशनल टीमों के बजाय अपनी फ्रेंचाइजी के प्रति अधिक मजबूर होंगे।
चैपल ने कहा कि, "सफल कंपनियों का गेम के ट्रेंड में अधिक दखल रखने का चलन तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि आईपीएल मालिकों के पास पहले से ही संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, साउथ अफ्रीका और कैरेबियन में खेलने वाली टी20 टीमों में बड़ी हिस्सेदारी है। चतुर मालिक टॉप-रेटेड खिलाड़ियों को लंबे कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करना भी शुरू कर रहे हैं और यह क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। बेहतर खिलाड़ी अपने क्रिकेट बोर्ड के बजाय आईपीएल मालिक के आभारी बन सकते हैं। तभी हितों का टकराव एक बांटनेवाला मुद्दा बन जाता है।"
पूर्व क्रिकेटर ने आगे कहा कि, यह कोई हैरानी की बात नहीं है क्योंकि ज्यादतर देशों में गेम को पैसे की सख्त जरूरत है और आईपीएल मालिको के पास काफी पैसा हैं। क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन को कुछ दशक पहले खेल के लिए लॉन्ग टर्म ब्लूप्रिंट तैयार नहीं करने का दोष स्वीकार करना चाहिए। इस तरह उनके पास कम से कम इस मुद्दे से निपटने के लिए खेल के लिए एक अच्छा प्लान हो सकता था। ऐसा तब तक है जब तक दुनिया भर के क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन पक्का नहीं हो जाते कि भविष्य पूरी तरह से अमीर फ्रेंचाइजी द्वारा संचालित टी20 खेल का ही है।"
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क्रिकेट की दुनिया में, आईपीएल फ्रेंचाइजी दुनिया की कई टॉप टी20 लीगों में फैल गई हैं। फ्रेंचाइजी ने कैरेबियन प्रीमियर लीग (CPL), मेजर लीग क्रिकेट (MLC), SA20 लीग और यूएई में भी टीमें खरीदी हैं। इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने हाल ही मेंएक मॉडल पेश किया जिसके मुताबिक, 51% हिस्सेदारी द हंड्रेड के आठ मेजबानों के पास होगी। इस बीच, आईपीएल फ्रेंचाइजी अपनी विशेष टीमों को चलाने के लिए अधिक हिस्सेदारी चाहती हैं। फ्रेंचाइजी अपनी-अपनी टीमों में 51% हिस्सेदारी चाहती हैं।