कोहली की अपील पर भी नहीं झुका BCCI, विदेशी दौरे पर फैमिली स्टे नियम में नहीं होगा बदलाव

भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने साफ कर दिया है कि खिलाड़ियों के फैमिली स्टे पॉलिसी में किसी तरह का बदलाव नहीं होने जा रहा। भले ही विराट कोहली ने हाल ही में इस नियम पर नाराज़गी जताई हो, लेकिन बोर्ड का कहना है कि यह पॉलिसी लंबे विचार-विमर्श और टीम के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।
दरअसल, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के एक इवेंट में विराट कोहली ने कहा था कि किसी भी खिलाड़ी से पूछिए कि क्या वो अपनी फैमिली को हर समय साथ रखना चाहता है? जवाब मिलेगा - हां। उन्होंने आगे कहा, "कोई भी खिलाड़ी नहीं चाहता कि वो अपने रूम में अकेले बैठे और अकेलापन महसूस करे। हम भी सामान्य जिंदगी चाहते हैं। जब आप अपनी जिम्मेदारी (मैच) खत्म करके लौटते हैं तो फिर से जिंदगी का हिस्सा बनना चाहते हैं।"
BCCI सेक्रेटरी देवजीत सैकिया ने Cricbuzz से बातचीत में कहा, "फिलहाल फैमिली स्टे की मौजूदा पॉलिसी ही लागू रहेगी। यह सिर्फ बोर्ड ही नहीं, बल्कि देश के हित में भी है। हमें पता है कि इस पर अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन यह नियम सभी खिलाड़ियों, कोचिंग स्टाफ और सपोर्ट स्टाफ पर समान रूप से लागू होते हैं।"
BCCI की मौजूदा फैमिली स्टे पॉलिसी क्या कहती है?
खिलाड़ी जब 45 दिनों से ज्यादा समय के लिए विदेश दौरे पर होते हैं, तो उनके पार्टनर और 18 साल से कम उम्र के बच्चे एक बार, दो हफ्तों के लिए उनके साथ शामिल हो सकते हैं।
देवजीत सैकिया ने कहा, "यह पॉलिसी कोई अचानक से नहीं बनाई गई है। ये दशकों पुरानी व्यवस्था का हिस्सा है, जो हमारे अध्यक्ष रोजर बिन्नी के समय से चली आ रही है। विराट कोहली और रवि शास्त्री के दौर में इस नीति में थोड़ा बदलाव किया गया था। लेकिन मूल उद्देश्य हमेशा टीम यूनिटी और एकता बनाए रखना रहा है।"
उन्होंने ये भी बताया कि नई पॉलिसी में कुछ अतिरिक्त प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो खिलाड़ियों की प्रैक्टिस, मैच शेड्यूल, टीम मूवमेंट और दूसरे लॉजिस्टिक मामलों को मैनेज करने में मदद करते हैं।
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भले ही विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ी इस नियम को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर रहे हों, लेकिन BCCI फिलहाल इसे बदलने के मूड में नहीं दिख रहा। बोर्ड का मानना है कि टीम का अनुशासन और एकजुटता किसी भी व्यक्तिगत सुविधा से ऊपर है।