पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया और फैसल इकबाल में जुबानी जंग, बात धर्म व देशभक्ति तक पहुंची
इस्लामाबाद, 17 अप्रैल| पाकिस्तान के दो पूर्व क्रिकेटरों दानिश कनेरिया और फैसल इकबाल के बीच ट्विटर पर हल्की नोकझोंक देखते ही देखते कड़वी बातों में बदल गई जिसमें बात धर्म, मैच फिक्सिंग और देश के प्रति समर्पण तक जा पहुंची। बात एक वीडियो से शुरू हुई। इसमें पाकिस्तान के अपने समय के कामयाब स्पिनर कनेरिया की गेंद पर वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा को एक के बाद एक छक्के मारते दिखाया गया है। मैच के दौरान कनेरिया ने लारा को स्लेज किया और फिर लारा उनकी गेंदों पर बरस पड़े थे।
इस वीडियो पर पाकिस्तान के पूर्व बल्लेबाज फैसल इकबाल ने लिखा, "मैं खुद इस मैच में बारहवां खिलाड़ी था। दानिश कनेरिया के व्यंग्य के जवाब में किंग लारा के छक्के देखने को मिले। बाद में लेग स्पिनर (कनेरिया) खुद डरे-सहमे नजर आए।"
कनेरिया को इकबाल की बात पसंद नहीं आई। उन्होंने जवाबी ट्वीट किया, "ब्रायन लारा अच्छे क्रिकेटर थे लेकिन मैंने उन्हें पांच बार आउट भी किया था। फैसल इकबाल अपने करियर के आंकड़ों पर नजर डालें। साथ ही बताएं कि मैंने पाकिस्तान को कितने मैच जितवाए हैं।"
लेकिन, इकबाल अपने आंकड़े पर ध्यान देने के बजाए नाराज होकर बरस पड़े और विवादित मुद्दों पर उतर आए। उन्होंने ट्वीट किया, "मेरे करियर के आंकड़े एक झूठे और फिक्सर से बेहतर हैं। किसने सालों तक धन की खातिर अपनी आत्मा बेची और जो सहानुभूति हासिल करने के लिए धर्म के कार्ड का इस्तेमाल कर रहा है। मैंने देश का झंडा सीने से लगाकर जो भी प्रदर्शन किया, उस पर मुझे गर्व है। कोई दाग तो नहीं है दानिश कनेरिया।"
इस पर कनेरिया ने पलटवार कर कहा, "मैंने पैसों के लिए कभी अपने मुल्क को नहीं बेचा और मुझे पाकिस्तानी होने पर गर्व है। लेकिन, बहुत से खिलाड़ियों ने अपने मुल्क को बेचा और उनका आज भी स्वागत किया जाता है। क्या आप इनके बारे में बात करना पसंद करेंगे।"
कनेरिया हिंदू समुदाय से संबंध रखते हैं। उनका कहना है कि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने उन पर फिक्सिंग के मामले में जो प्रतिबंध लगाया, उससे उन्हें निकालने में पाकिस्तान बोर्ड ने मदद नहीं की। जबकि, फिक्सिंग के आरोप में जेल की सजा काटने वालों (जैसे गेंदबाद मोहम्मद आमिर) तक का समर्थन किया।
पाकिस्तान के पूर्व गेंदबाज शोएब अख्तर ने कहा था कि कुछ खिलाड़ी कनेरिया से धर्म के आधार पर भेदभाव करते थे। कनेरिया ने इसे सही बताया था।