मेरी मर्जी के बिना 2.5 महीने मुझे बंदी बनाया गया, ये दुनिया में अवैध है लेकिन पाकिस्तान में नहीं: वसीम अकरम

Updated: Sat, Nov 26 2022 13:14 IST
Wasim Akram (Image Source: Google)

पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी वसीम अकरम (Wasim Akram) ने अपनी आत्मकथा सुल्तान: ए मेमॉयर में क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद कोकीन की लत के बारे में खुलासा किया था। अब वसीम अकरम ने खुलासा किया है कि उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध ढाई महीने तक पाकिस्तान में रिहैब में रखा गया था। वसीम अकरम में कोकीन की लत तब विकसित हुई जब वह इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद इंग्लैंड में थे। 

वसीम अकरम ने द ग्रेड क्रिकेटर पोडकास्ट पर कहा, 'इंग्लैंड में, एक पार्टी में किसी ने मुझसे कहा 'क्या आप इसे आजमाना चाहते हैं?' मैं रिटायर हो चुका था, मैंने कहा 'हां'। फिर एक लाइन एक ग्राम बन गई थी। मैं पाकिस्तान वापस आ गया। कोई नहीं जानता था कि यह क्या था लेकिन यह उपलब्ध था। मुझे एहसास हुआ, मैं इसके बिना काम नहीं कर सकता, जिसका मतलब है कि मैं इसके बिना मेलजोल नहीं कर सकता।'

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वसीम अकरम ने आगे कहा, 'यह बद से बदतर होता गया। मेरे बच्चे छोटे थे। मैं अपनी दिवंगत पत्नी को बहुत प्रताड़ित कर रहा था। उसने कहा मुझे मदद चाहिए। उसने कहा कि एक रिहैब सेंटर है, तुम वहां जा सकते हो। मैंने कहा ठीक है मैं एक महीने के लिए वहां जाऊंगा लेकिन उन्होंने मुझे ढाई महीने तक मेरी मर्जी के खिलाफ वहां रखा। जाहिर है, यह दुनिया में अवैध है लेकिन पाकिस्तान में नहीं। इससे मुझे मदद नहीं मिली। जब मैं बाहर आया, तो मेरे अंदर एक विद्रोह आ गया। यह मेरा पैसा है, मैं उस भयानक जगह में अपनी इच्छा के विरुद्ध रहा।'

वसीम अकरम ने कहा, 'वेस्टर्न फिल्मों में, यहां तक ​​कि ऑस्ट्रेलिया में भी आप देखते हैं कि रिहैब में सुंदर बड़े लॉन होते हैं, लोग लेक्चर देते हैं, आप जिम जाते हैं। लेकिन मैं एक जहां था (पाकिस्तान में) वहां एक गलियारा और आठ कमरे थे,बस। यह बहुत कठिन था। यह एक भयानक समय था।'

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वसीम अकरम ने आगे कहा, 'फिर एक त्रासदी हुई, मेरी पत्नी का देहांत हो गया। मुझे पता था कि मैं गलत रास्ते पर हूं, मैं इससे बाहर निकलना चाहता था। मेरे दो जवान लड़के थे। पश्चिमी संस्कृति में, एक पिता और मां बच्चे को पालने में 50-50 शामिल होते हैं। आप सुबह उठकर अपने बच्चे को स्कूल छोड़ते हैं, उसे उठाते हैं और कपड़े बदलते हैं। हमारी संस्कृति में, एक पिता के रूप में, हम ऐसा कभी नहीं करते। हमारा काम बाहर जाना और धन जुटाना है। मैं दो साल के लिए खो गया था। मुझे कभी नहीं पता था कि मुझे उनके लिए कपड़े कहां से खरीदने हैं। मुझे नहीं पता था कि उन्होंने क्या खाया, मुझे हर क्लास में जाना पड़ता था और पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में शामिल होना पड़ता था। मुझे उनके दोस्तों के माता-पिता के साथ दोस्ताना व्यवहार करना पड़ा। लेकिन मुझे कहना होगा कि मेरे बच्चों के आसपास के हर माता-पिता ने बहुत मदद की।'

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