गैरी गिलमर की करिश्माई गेंदबाजी

Updated: Tue, Feb 10 2015 20:13 IST

सन् 1975 में जब वर्ल़्ड कप का आगाज हुआ था तो उस वर्ष कई ऐसे खिलाड़ीयों का उदय हुआ  जिन्होंने अपने क्रिकेट करियर में ऐसा मुकाम हासिल किया जो क्रिकेट जगत के लिए खास है ।  पर कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हुए जो अपने बेहतरीन प्रदर्शन  से आस जगाने के बाद भी  क्रिकेट के इतिहास में "वन मैन शो " बन कर रह गए ।  इस क्रम में आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी  गैरी "गस " जॉन गिलिमोर का नाम सबसे पहले के क्रम में लिया जाता है ।  इस खिलाड़ी ने ऑलराउंड परफॉरमेंस से क्रिकेट के इतिहास में अपना नाम दर्ज तो करा लिया पर अपनी पहचान को क्रिकेट में आगे नहीं ले जा सके थे। 

गैरी गिलमोर का जन्म वारत के न्यू साउथ वेल्स , सिडनी आस्टेलिया में 26 जुन 1951 को हुआ था ।  इस ऑलराउंडर ने अपनी तेज गेंदबाजी से 1973 से 1977 तक  क्रिकेट के फील्ड में अपने खेल से शानदार परफॉर्मेस की थी। अपनी लेफ्ट ऑर्म स्विंग बॉलिंग और स्लिप में शानदार फील्डिंग का ही करिश्मा था कि गैरी गिलमोर की तुलना उनके ही देश के ग्रेट ऑलराउंडर एलन डेविडसन से होने लगी । 

गैरी गिलमोर ने अपने क्रिकेट करियर में 15 टेस्ट और 5 वनडे मैच खेले । गिलमोर को उनके  शानदार ऑलराउंड खेल  के कारण  "न्यूकासिल " ग्रेटेस्ट ऑलराउंडर  भी कहा जाता था ।  

1975 वर्ल़्ड कप के सेमीफाईनल मैच में गैरी गिलमर ने अपने खास प्रदर्शन से एक ऐसा इतिहास बानाया जो बहुत दिनों तक उनके नाम ही रहा । इंग्लैंड में हुए इस सेमीफाईनल में ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला इंग्लैंड के साथ था . उस मैच में 23 साल के नौजवान बॉलर गिलमर ने  हेंडिग्ली की पिच पर अपनी आग उगलती गेंदबाजी से इंग्लैंड बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी और गिलमर ने अपने 12 ओवर के स्पेल में बिना रूके एक छोर से लगातार गेंदबाजी करते हुए 6 विकेट मात्र 14 रन खर्च कर के लिए ।  इस बेहतरीन गेंदबाजी परफॉरमेंस के कारण गैरी गिलमर ने एक रिकॉर्ड भी अपने नाम किया वो था क्रिकेट इतिहास में पहली बार कोई गेंदबाज ने एक वन डे मैच में 6 विकेट लेने का । गिलमर का यह रिकॉर्ड 1983 में टूटा जब विंस्टन डेविस ने 7 विकेट 51 रन देकर लिए। 

इंग्लैड की पूरी टीम  मैच में केवल 93 रन पर ही लूढ़क गई थी । लक्षय का पीछा करने  के क्रम में अस्ट्रेलियाई टीम के 6 विकेट  केवल 39 रन पर गिर गए जिससे लगा कि अब अस्ट्रेलिया फाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाएगा पर अचानक गैरी गिलमर ने 28 रनों की उपयोगी पारी खेलकर अपनी टीम को जीत दिला दी। 

इस दमदार प्रदर्शन के बदौलत आस्टेलिया ने इंग्लैंड का फाइनल में खेलने के सपने पर पानी फेर दिया । इस मैच में गिलमर के प्रदर्शन को देखते हुए मैच ऑफ द मैच के  खिताब से नवाजा गया था । 

गिलमर की घातक गेंदबाजी सेमीफाइनल तक ही सीमित नहीं रही और गिलमर ने फाइनल में भी वेस्टइंडीज के खिलाफ 48 रन देकर 5 विकेट अपने झोली में डाल लिए। हालांकि फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को वेस्टइंडीज के हाथों शिकस्त मिली थी । इस प्रदर्शन के बदौलत उसी साल हो रहे एशेज सीरीज में केवल हैंडिग्ली टेस्ट के  लिए गिलमर को टीम में जहग मिली जिसमें भी इस खिलाड़ी नें पहली पारी में बॉलिंग करते हुए 85 रन देकर 6 विकट लिए तो दूसरी पारी में भी 3 विकटों पर अपना कब्जा किया।  पर इस बेहतरीन बॉलिंग फरफॉर्मेंस के बावजूद गिलमर को एशेज के अंतिम टेस्ट मैच से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।  

सन् 1975 -76 में गिलमर को वेस्टइंडीज के खिलाफ 6 टेस्ट मैचों की  सीरीज में 5 टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला । सारीज में अपने प्रदर्शन को निखारते हुए गिलमर ने 20 बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया । खास कर सिडनी टेस्ट मैच में एक ऐसा पल भी आया जब इस तेज गेंदबाज को डेनिस लिली के बदले  बॉलिंग की शुरूआत करने का मौका मिला।  बल्लेबाजी में भी गिलमर ने एडिलेड टेस्ट में 93 रनों की शानदार पारी खेली। 

पाकिस्तान के साथ हुए टेस्ट मैच  के दौरान जब बॉलर जैफ थॉमस चोटिल हो गए थे तो बॉलिंग करने का पूरा दारोमदार गिलमर और डेनिस लिली के कंधे पर आ गया वहां भी गिलमर ने 3 टेस्ट मैचों में 8 विकेट लेकर तहलका मचा दिया।

वैसे गिलमर अपने बढ़ते वजन के कारण भी कई बार विवाद में रहे । द ग्रेट सर डॉन ब्रेडमेन ने गिलमर को यह कहते हुए आलोचना की थी कि " यदि मैं आस्ट्रेलिया टीम का सिलेक्टर होता तो कभी भी गिलमर को  आस्ट्रेलिया टीम में जगह नहीं देता क्योंकि वह आलु ज्यादा खाता है ।" 

गिलमर के क्रिकेट करियर में एक मात्र टेस्ट सेंचूरी 101 रन 146 बॉल पर 187 मिनट में न्यूजीलैंड के खिलाफ क्रिस्टचर्च में लगाया था शतक लगाने के साथ – साथ गिलमर ने डग बाल्टर के साथ 7वें विकेट के लिए रिकॉर्ड पार्टनरशिप की थी जो अस्ट्रेलियन क्रिकेट में एक रिकॉर्ड है ।  

सन् 1977 के मेलबर्न टेस्ट में गिलमर की गैंदबाजी का नाट्कीय ढ़ग से पतन होना शुरू होने लगा था। मेलबर्न टेस्ट मैच में गिलमर ने केवल 9 ओवर ही डालने का मौका मिल पाया था। खराब प्रर्दशन की खुद आलोचना करते हुए गिलमर ने कहा था कि" मै एक मुर्ख है जो अपने प्रर्दशन को नहीं निखार पा रहा हूं" । 

 अपने खराब फॉर्म का खामियाजा उन्हें 1977 में भुगतना पड़ा था जब गिलमर को  इंग्लैंड दौरे पर जाने वाली  आस्ट्रेलियन टीम में जगह नहीं मिला था। 

गिलमर अपने क्रिकेट करियर में हुए इस नाट्किए बदलाव को नहीं समझ पाए। बाद में गिलमर वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट में खेलने लगे जहां भी गिलमर ने बहुत सफलता पाई । गिलमर का फस्ट क्लास करियर 27 साल की उम्र तक चला। इसके बाद भी गिलमर बेल्मोंट इन  न्यूकासिल डिस्ट्रिक कंपीटीशन में खेलते रहे । वर्ष 2007 में गैरी गिलमर को आस्ट्रेलिया के 30 बेहतरीन वन डे खिलाड़ियों के लिस्ट में शामिल किया गया था ।

गैरी गिलमर के साथ खेले उनके साथी खिलाड़ी "स्टीव बर्नार्ड" गिलमर को याद करते हुए कहते हैं कि वह हर तरह से परफेक्ट खिलाड़ी था पर उनका करियर उस ऊंचाईयों पर नहीं पहुंच पाया जहां पर पहुंचना चाहिए था। गिलमर की क्रिकेट एविलिटी तारीफ करते हुए कहते हैं कि उनकी स्विंग गैंदबाजी का सामना करना बड़ा ही मुश्किल भरा होता था। गिलमर हर मायने में एक महान इंसान के साथ- साथ एक महान क्रिकेटर भी थे। 

10 जुन 2014 को  गैरी  गिलमर ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 

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