मैं गलती से कप्तान बना : अनिल कुंबले
पणजी, 14 अक्टूबर (हि.स.) । भारतीय टेस्ट टीम के पूर्व कप्तान व महान फिरकी गेंदबाज अनिल कुंबले ने मंगलवार को कहा कि करियर के 17वें साल में कप्तान बनना महज एक संयोग या गलती थी। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि तब इस भूमिका को निभाने में किसी की दिलचस्पी नहीं थी।
कुंबले को नवंबर 2007 में कप्तान नियुक्त किया गया था और इसके बाद उन्होंने एक साल के लिये भारतीय टेस्ट टीम की अगुवाई की। उन्होंने बताया कि राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ी ही थी और उस समय पर शायद महेंद्र सिंह धोनी को टेस्ट कप्तान बनाना थोड़ी जल्दी होती और सचिन भी यह नहीं चाहते थे इसलिये उन्होंने कहा कि चलो अनिल ही एकमात्र खिलाड़ी है और कप्तानी उसे ही दे देते हैं।
कुंबले यहां एक समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने अपने 18 साल के चमकदार करियर में 132 टेस्ट में 619 विकेट और 271 वनडे में 337 विकेट चटकाये हैं। उन्होंने कहा कि यह भारतीय क्रिकेट के लिये बदलाव का दौर था, जब उन्होंने कप्तानी संभाली थी। 41 वर्षीय कुंबले ने कहा कि उनकी कप्तानी करने का तरीका हमेशा ‘समावेशी’ होता था क्योंकि वह हमेशा फैसले लेने में युवाओं को सम्मिलित करते थे। कप्तान के तौर पर कुंबले की अगुवाई में भारत ने 14 टेस्ट मैच खेले, इसमें पांच गंवाये और छह ड्रा कराये। उन्होंने कप्तान नियुक्त किये जाने के तुरंत बाद भारत को चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान पर होम सीरीज में 1-0 की यादगार जीत दिलायी थी। कुंबले ने कहा कि गेंदबाज के तौर पर डगर काफी कठिन है, विशेषकर भारत में। उन्होंने कहा कि अगर आप गेंदबाज हो तो आप नायक नहीं हो, आप हमेशा एक नायक का समर्थन करते हो लेकिन टेस्ट मैच जीतने के लिये आपको 20 विकेट की जरूरत होती है। भारत में आप पिचों के आधार पर टीम का चयन करते हो इसलिये गेंदबाज ही बदला जाता है। अगर यह टर्निंग पिच है तो तेज गेंदबाज नहीं खेल सकता और अगर यह घसियाली पिच है तो स्पिनर नहीं खेल सकता।
हिन्दुस्थान समाचार/धीरेन्द्र/अनूप