सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को लगाई फटकार, न्यायमूर्ति ने कहा खुद सुधरे नहीं तो हम सुधार देंगे
नई दिल्ली, 28 सितम्बर (CRICKETNMORE): क्रिकेट में सुधार लाने के उद्देश्य के लिए गठित की गई लोढ़ा समिति ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पदाधिकारियों को पद से हटाने का आग्रह किया। समिति ने कहा है कि बीसीसीआई उसके द्वारा संगठनात्मक बदलाव के बारे में की गई सिफारिशों को लागू नहीं कर रही है। समिति के वकील गोपाल शंकरनारायण ने शीर्ष न्यायालय को समिति की रिपोर्ट सौंपी।
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प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "अगर बीसीसीआई सोचता है कि वो अदालत के आदेश की अवेहलना कर सकता है और कानून अपने हाथ में ले सकता है तो वह गलतफहमी में है।"
पीठ ने कहा है कि वह लोढ़ा समिति की रिपोर्ट और बीसीसीआई के सभी पदाधिकारियों को हटाने के सुझाव पर छह अक्टूबर को सुनवाई करेगी।
अपनी रिपोर्ट में लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई पर हर कदम पर बदलाव को टालने और शीर्ष अदालत के निर्देशों के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं।
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समिति ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर एवं बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों पर शीर्ष अदालत का आदेश न मानने और उसके सुझावों हर स्तर पर रोकने के आरोप लगाए हैं।
समिति के इस आरोप पर अदालत ने बीसीसीआई को आड़े हाथों लिया और उसे आदेश का पालन करने को कहा है।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, "बीसीसीआई सोचता है कि वह अपने आप में कानून है। हम जानते हैं कि हमें किस तरह अपने आदेश का पालन करवाना है। बीसीसीआई सोचती है कि वह 'लार्ड' है। अगर आप (बीसीसीआई) नहीं सुधरेंगे तो हम आपको सुधार देंगे। बीसीसीआई का व्यवहार अच्छा नहीं है।"
आईपीएल मैच फिक्सिंग मामले के बाद देश की शीर्ष अदालत ने क्रिकेट में सुधार लाने और खेल को स्वच्छ बनाने के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा के नेतृत्व में समिति का गठन किया था। समिति ने इसके बाद अपनी रिपोर्ट अदालत को सौैंप दी थी।
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समिति ने अपनी रिपोर्ट में बीसीसीआई के अधिकारियों के लिए कड़े पात्रता मानदंड और उनके कार्यकाल के लिए सीमा तय करने की सिफारिश की थी। साथ ही समिति ने मंत्री, नौकरशाहों को बोर्ड में किसी तरह का पद देने की मनाही की थी। साथ ही 70 साल की उम्र से अधिक वाले अधिकारियों को भी बोर्ड में शामिल ना करने की बात कही थी।
लोढ़ा समिति ने साथ ही बीसीसीई की कार्यसमिति की जगह नौ सदस्सीय शीर्ष परिषद के गठन की सिफारिश की थी जिसमें महिला खिलाड़ी सहित खिलाड़ियों का भी प्रतिनिधि हो।
समिति ने बीसीसीआई बोर्ड में नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक (सीएजी) को भी शामिल करने की बात कही थी।
शीर्ष अदालत ने समिति की सभी सिफारिशों को माना था और बीसीसीआई से जल्द से जल्द इन्हें लागू करने के आदेश दिए थे।
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