ऋषभ पंत बने कॉलेज स्टूडेंट के लिए मसीहा, जरूरत के वक्त भरी कॉलेज की फीस
भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत अक्सर अपनी ऑफ फील्ड हरकतों से भी फैंस का दिल जीत लेते हैं और इस बार भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है। पंत ने एक गरीब कॉलेज स्टूडेंट की मदद करते हुए उसकी कॉलेज की फीस भरी है। ये स्टूडेंट कर्नाटक के बागलकोट ज़िले के एक आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार से आता है जिसकी पंत ने मदद की है।
पंत ने बिलागी तालुका के रकबाई गांव की निवासी ज्योति कनबुर मथ की शिक्षा का व्यक्तिगत रूप से खर्च उठाया। ज्योति ने अपने प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (PUC) में 85% अंक प्राप्त किए थे और जामखंडी स्थित बीजापुर लिंगायत शिक्षा संस्थान में कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक (BCA) में प्रवेश प्राप्त किया था। हालांकि, उनके परिवार को फीस का भुगतान करने में कठिनाई हो रही थी।
उनके पिता, तीर्थय्या कनबुर मथ, आवश्यक 40,000 रु का प्रबंध करने में असमर्थ थे, इसलिए परिवार ने अनिल नाम के एक स्थानीय शुभचिंतक से संपर्क किया, जिन्होंने बेंगलुरु में अपने क्रिकेट नेटवर्क से संपर्क किया। ये संदेश अंततः पंत तक पहुंचा, जिन्होंने तुरंत राशि सीधे कॉलेज को हस्तांतरित कर दी, जिससे ज्योति बिना किसी व्यवधान के अपनी शिक्षा जारी रख सकी।
ज्योति और कॉलेज प्रशासन ने पंत को एक हार्दिक धन्यवाद पत्र भेजा। अपने नोट में, ज्योति ने गहरा आभार व्यक्त किया और भविष्य में इस नेक काम को आगे बढ़ाने का अपना सपना साझा किया। इंडिया टुडे के हवाले से ज्योति ने लिखा, "सभी को नमस्ते, मेरा नाम ज्योतिका है। मेरे पिता का नाम तीर्थया और मेरी मां का नाम रूपा है। मैं जामखंडी के रबकवी गांव में रहती हूं। मैंने बेलगावी के एक स्कूल से एसएसएलसी और बेलगावी के ही एक कॉलेज से पीयूसी पूरा किया। मैं बीसीए करना चाहती थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण, मेरे माता-पिता ने हमारे गांव के ही अनिल से पूछा कि क्या कोई छात्रवृत्ति या आर्थिक मदद उपलब्ध है। फिर अनिल ने अपने दोस्त अक्षय से संपर्क किया, जो बैंगलोर में रहता है।"
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उन्होंने आगे कहा, "अक्षय ने मेरी स्थिति से भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत को अवगत कराया। ऋषभ पंत ने 40,000 रुपये ट्रांसफर किए ताकि मैं बीसीए कर सकूं। मैं ऋषभ पंत की बहुत आभारी हूं और ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि वो उन्हें अच्छी सेहत प्रदान करें। मैं अनिल अन्ना और अक्षय नाइक सर की भी आभारी हूं। मैं उनकी मदद को कभी नहीं भूलूंगी। मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती हूं और इस अवसर का पूरा लाभ उठाऊंगी। मैं ये भी कहना चाहती हूं कि बेटियों को बचाएं और बेटियों को सशक्त बनाएं। अंत में, सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के बाद, मैं गरीब बच्चों की भी मदद करूँगी।"