राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में कितना बदल गया भारतीय क्रिकेट टीम का कोचिंग दर्शन?
राहुल द्रविड़ वो कोच नहीं है जो कप्तान को बताएं कि उसको क्या करना है, बल्कि वे कप्तान को उसका नजरिया मैदान में उतारने के लिए काम करते हैं। यानी कोच इस आधार पर अपने काम को अंजाम दे कि वह टीम के खेल के प्रति कप्तान की सोच को कैसे सफल बनाता है। इसलिए द्रविड़ नतीजों के बारे में बात करना ज्यादा पसंद नहीं करते, जबकि दिन के अंत में एक कोच का आकलन इसी आधार पर होता है कि उसने कितने मैच जीतकर दिए।
द्रविड़ का कहना है कि कोचिंग का असली काम है वो चीजें विकसित करना जो आपको जीत की ओर लेकर जाएं। इनको पूरा किए बगैर अगर कोच सिर्फ जीत का ही पीछा करता रहेगा तो उससे कुछ हासिल नहीं होगा। इसलिए जरूरी है कि खिलाड़ियों के लिए अच्छा, सही, पेशेवर और सुरक्षित वातावरण बने जिसमें विफलता का डर नहीं हो।
राहुल द्रविड़ वो कोच नहीं है जो कप्तान को बताएं कि उसको क्या करना है, बल्कि वे कप्तान को उसका नजरिया मैदान में उतारने के लिए काम करते हैं। यानी कोच इस आधार पर अपने काम को अंजाम दे कि वह टीम के खेल के प्रति कप्तान की सोच को कैसे सफल बनाता है। इसलिए द्रविड़ नतीजों के बारे में बात करना ज्यादा पसंद नहीं करते, जबकि दिन के अंत में एक कोच का आकलन इसी आधार पर होता है कि उसने कितने मैच जीतकर दिए।
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बता दें, टी20 विश्व कप 2024 के चैम्पियन बनने के बाद राहुल द्रविड़ का कोचिंग कार्यकाल पूरा हो चुका है। वहीं टीम के खिलाड़ियों में रोहित शर्मा, विराट कोहली और रवींद्र जडेजा ने टी20 अंतर्राष्ट्रीय से अपने संन्यास की घोषणा कर दी है।