'19 नवंबर' का वो दिन, जब 'आयरन लेडी' कर्णम मल्लेश्वरी ने बनाया 'वर्ल्ड रिकॉर्ड'
'आयरन लेडी' कर्णम मल्लेश्वरी ने महज 20 साल की उम्र में 54 किलोग्राम भार वर्ग में कुल 202.5 किलोग्राम भार उठाते हुए गोल्ड जीता। अन्य सात भार वर्गों में चीनी वेटलिफ्टर विजेता रहे थे। इससे पहले साल 1994 में इस्तांबुल में भी कर्णम मल्लेश्वरी विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी थीं।
1 जून 1975 को श्रीकाकुलम (आंध्र प्रदेश) के वोसावनिपेटा गांव में जन्मीं कर्णम मल्लेश्वरी ने बहन के नक्शेकदम पर चलते हुए वेटलिफ्टिंग शुरू की थी। पिता कॉलेज स्तर पर फुटबॉलर रहे थे। ऐसे में बेटियां भी पिता की तरह खेल में अपना करियर बनाना चाहती थीं। महज 13 साल की उम्र में कर्णम मल्लेश्वरी ने वजन उठाना शुरू कर दिया था।
साल 1994 और 1998 में कर्णम मल्लेश्वरी एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम करने से चूक गईं। उन्हें सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने सिडनी ओलंपिक की तैयारियां शुरू कर दीं।
आखिरकार, 2000 सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने इतिहास रच दिया। उन्होंने स्नैच में 110 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 130 किलोग्राम भार उठाया। कुल 240 भार के साथ कर्णम मल्लेश्वरी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। वह ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
कर्णम मल्लेश्वरी 2002 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को एक और पदक जिताने की तैयारी कर रही थीं, लेकिन इसी बीच पिता के निधन ने उन्हें झकझोर दिया।
साल 2004 में वह ग्रीस में हुए ओलंपिक गेम्स में उतरीं, लेकिन दुर्भाग्य से पदक नहीं जीत सकीं। कुछ समय बाद उन्होंने अपने करियर से संन्यास का ऐलान कर दिया।
कर्णम मल्लेश्वरी 2002 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को एक और पदक जिताने की तैयारी कर रही थीं, लेकिन इसी बीच पिता के निधन ने उन्हें झकझोर दिया।
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कर्णम मल्लेश्वरी ने 1997 में वेटलिफ्टर राजेश त्यागी से शादी रचाई। संन्यास के बाद उन्होंने कर्णम मल्लेश्वरी फाउंडेशन की स्थापना की, जिसने अनेक युवा वेटलिफ्टर्स को उनका सपना साकार करने का मौका दिया है।