'नींद नहीं आती थी सुबह उठना नहीं चाहता था', 2014 में डिप्रेशन से जूझ रहे थे विराट कोहली
Virat Kohli on Depression: टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। विराट कोहली कितने शानदार बल्लेबाज हैं इस बात की गवाही उनके आकड़े देते हैं। लेकिन विराट के जीवन में ऐसा भी एक दौर था जब वह लगातार फेल होने के चलते डिप्रेशन में चले गए थे। 2014 का इंग्लैंड दौरा विराट के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा था।
इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी मार्क निकोल्स के साथ बातचीत के दौरान विराट ने उन पलों को साझा किया है जब वह हताशा में डूब गए थे। कोहली ने डिप्रेशन से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'हां, मेरे साथ ऐसा हुआ था। यह सोचकर अच्छा नहीं लगता था कि मैं रन नहीं बना पा रहा हूं। ऐसे में आपको पता नहीं होता है कि इससे कैसे पार पाना है।'
विराट कोहली ने आगे कहा, 'यह वह दौर था जब मैं चाहकर भी चीजों को बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकता था। उस वक्त मुझे ऐसा महसूस होता था कि जैसे मैं दुनिया में अकेला इंसान हूं। मेरे लिए वह नया एहसास था आप बड़े ग्रुप का हिस्सा होने के बावजूद अकेला महसूस करते हो। मैं यह नहीं कह रहा कि मेरे साथ बातचीत करने के लिए कोई नहीं था लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो प्रोफेशलन हो जो समझ सके कि मुझपर क्या बीत रही है।'
विराट ने कहा, 'मुझे लगता है कि सभी खिलाड़ियों को कभी ना कभी ऐसा महसूस होता होगा कि आपका किसी चीज पर कोई कंट्रोल नहीं है। ऐसे मुश्किल हालातों में ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके पास किसी भी समय जाकर आप अपने दिल की बात कह सको। आप उसे बता सको कि सुनो मैं कैसा महसूस कर रहा हूं। मुझे नींद नहीं आ रही है। मैं सुबह उठना नहीं चाहता हूं। मुझे खुद पर भरोसा नहीं है। अब मैं क्या करूं।'
विराट ने कहा, 'कई बार लंबे समय तक खिलाड़ी ऐसा महसूस करते हैं। कभी-कभी इससे निकलने में महीनों लग जाते हैं तो कभी-कभी पूरे सीजन भी लोग इससे उबर नहीं पाते हैं। ऐसे में प्रोफेशनल की मदद बेहद आवश्यक है।' बता दें कि विराट कोहली ने 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ 10 टेस्ट पारियों में 13.50 के औसत से महज 135 रन ही बनाए थे।